कोलकाता के नेताजी इंडोर स्टेडियम में नौकरी गंवाने वालों से मिलीं मुख्यमंत्री
कोलकाता। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सोमवार को राज्य संचालित स्कूलों में 25,753 शिक्षण और गैर-शिक्षण पदों की नियुक्तियों को रद्द करने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर गंभीर सवाल उठाए। उन्होंने इस फैसले के पीछे किसी “खेल” की आशंका जाहिर करते हुए कहा कि कुछ ताकतें पर्दे के पीछे से षड्यंत्र कर रही हैं।
कोलकाता के नेताजी इंडोर स्टेडियम में नौकरी गंवाने वाले लोगो के एक बड़े समूह को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा, “क्या इस फैसले के पीछे कोई खेल हुआ है? किसने पर्दे के पीछे से यह खेल रचा?” मुख्यमंत्री ने मांग की कि सर्वोच्च न्यायालय स्पष्ट करे कि कौन अभ्यर्थी ‘सही’ हैं और कौन ‘दोषी’। मानवता के नाते हम सुप्रीम कोर्ट से निवेदन करते हैं कि राज्य सरकार को सही और दोषी अभ्यर्थियों की अलग-अलग सूची सौंपी जाए।
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार सुप्रीम कोर्ट से यह भी जानना चाहेगी कि जब तक नई भर्ती प्रक्रिया नहीं होती, तब तक मौजूदा शिक्षकों के भविष्य को लेकर क्या दिशा-निर्देश हैं। पहले हमें सही अभ्यर्थियों का मामला सुलझाना है। फिर तथाकथित दोषी अभ्यर्थियों के खिलाफ दस्तावेजों और सबूतों की जांच की जाएगी।उन्होंने शिक्षकों से अपील की कि जब तक औपचारिक रूप से नियुक्ति रद्द नहीं होती, वे स्वैच्छिक सेवा जारी रखें। क्या आपको अब तक सेवा समाप्ति का पत्र मिला है? नहीं। तब तक आप स्वैच्छिक सेवा दे सकते हैं।
ममता बनर्जी ने घोषणा की कि देश के शीर्ष वकीलों की एक टीम मामले को उच्च स्तर पर आगे बढ़ाएगी। राज्य सरकार की जिम्मेदारी है कि जो लोग सेवा में हैं, उनके अधिकारों की रक्षा करें। हम कानूनी दायरे में रहकर हर जरूरी कदम उठाएंगे। मुख्यमंत्री ने आरोप लगाया कि राज्य में शिक्षा व्यवस्था को अस्थिर करने के लिए एक साजिश रची जा रही है। उन्होंने खासतौर पर मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा-माले) के राज्यसभा सांसद और कलकत्ता उच्च न्यायालय के वरिष्ठ अधिवक्ता बिकाश भट्टाचार्य को निशाने पर लिया। उन्होंने कहा कि बिकाश भट्टाचार्य ने ही इस कानूनी लड़ाई की शुरुआत की थी। 2022 से ही यह गंदा खेल खेला जा रहा है। उधर मुख्यमंत्री के साथ मीटिंग के बाद बाहर निकले इन उम्मीदवारों ने कहा कि वे स्कूल जाते रहेंगे और बच्चों को पढ़ना जारी रखेंगे।