विभिन्न कारणों से रांची नगर निगम के करीब 250 अंक काटे गये। कूड़ा गाड़ियों में जीपीएस सिस्टम नहीं होने के कारण स्वच्छता सर्वेक्षण में रांची के नंबर काटे गये। वहीं सफाई कर्मचारियों का अटेंडेंस बायोमीट्रिक सिस्टम से नहीं बनाये जाने के कारण भी 150 नंबर कटे हैं। ओडीएफ नहीं होने के कारण और शहर से निकलने वाले कचरे को झिरी में डंप करने और उसके उचित निस्तारण नहीं होने के कारण भी रांची सर्वेक्षण में पिछड़ी है। स्वच्छ सर्वेक्षण के रांची के पिछड़ने और चास के आगे निकलने पर भी रांची नगर निगम के अधिकारियों के पास जवाब तैयार हैं। उनका कहना है कि रांची का क्षेत्रफल 175 स्क्वायर किलोमीटर है, जबकि चास का क्षेत्रफल इससे काफी कम है। वहां कर्मचारी कम हैं इसलिए बायोमेट्रिक सिस्टम लग गया। गाड़ियां कम है इसलिये वहां जीपीएस सिस्टम लग गया। रांची के ओडीएफ नहीं होने के कारण कटे नंबर : रांची नगर निगम खुले में शौचमुक्त नहीं होने के कारण स्वच्छ सर्वेक्षण में रांची पिछड़ गया है।
रांची नगर निगम ने ओडीएफ होने का दावा किया था, लेकिन काफी प्रयास के बाद भी राजधानी खुले में शौचमुक्त नहीं हो सकी। करीब 35 हजार लोगों को शौचालय निर्माण के पैसे दिये गये। इनमें से काफी लोगों ने शौचालय बनवाया जबकि कई लोग शौचालय बनवाने के लिये मिले पैसे को खा गये। एजेंसी क्वालिटी कंट्रोल आॅफ इंडिया की टीम ने अपने दौरे में जब शहर के कई मुहल्लों का दौरा किया तब यह बात उनके सामने भी आयी। इस कारण रांची नगर निगम के नंबर कट गये। टीम ने मॉड्यूलर टॉयलटों में ताला लकटा पाया और कई लोगों को उनके सामने लघुशंका करते देखा। यह भी नेगेटिव मार्किंग की वजह बनीं। लेकिन जरा सोचिए, मोमेंटम झारखंड नहीं होता तो रांची कहां होती। 200 वां या. . .