जयपुर: देश में किसानों की हालत किसी से छिपी नहीं है, जीतोड़ मेहनत के बाद भी किसानों को अपनी फसल का सही से दाम नहीं मिल पाता है। इसके लिए कभी तो सरकार जिम्मेदार होती है तो कभी बिचौलिये। ऐसे में भला किसान क्या न करे, औने पौने दामों में फसल को बेचकर किसान हमेशा ही घाटे में रहा है। लेकिन अब किसानों के लिए एक अच्छी खबर है। अच्छी खबर यह है कि किसान अपनी फसल का मूल्य स्वयं तय करेंगे। उन्हें बिचौलिया के चक्कर नहीं लगाने होंगे।
राजस्थान की एक संस्था ने एक नई पहल की है, संस्था का मुख्य उद्देश्य है कि किसानों के चेहरे आर मुस्कराहट आये। और भला आये भी कैसे न जब किसानों को ही कह दिया जाये कि उनकी मेहनत की फसल का भाव भी वह खुद ही तय कर लें। आपको यह अच्छी तरह ही मालूम होगा कि आज देश में किसानो की क्या दशा है। किसानों को फसल का सही भुगतान न होने के कारण किसान अक्सर कर्ज में डूब जाते हैं और कर्ज में डूबे किसानों की आत्महत्या के मामले हमेशा चर्चा में रहे हैं।
लेकिन राजस्थान की एक संस्था सीजीआर ने अब किसानों को इस बंधन से मुक्त करने की कोशिश की है कि उसकी फसल का मूल्य कोई बिचौलिया या व्यापारी तय करेगा। देश में किसानो के लिए पहलीबार सीजीआर नामक संस्था ने एक ऐसी पहल की है, जिससे किसान ना केवल अपनी फसल के भाव खुद तय करेगा, बल्कि आढ़तिये के कमीशन से भी छुटकारा मिलेगा। दरअसल राजस्थान के श्रीगंगानगर जिले में पहली डिजिटल मंडी की शुरुआत सीजीआर ग्रुप की ओर से लांच की गई है। सीजीआर मंडी को क्षेत्र के किसानों के लाभ के लिए शुरू किया गया है।
सबसे पहले जिले की 335 ग्राम पंचायतो पर 335 किसान मित्र नियुक्त किए हैं, जो किसानों को एप की जानकारी देंगे। सीजीआर ग्रुप के एमडी अमन चौधरी ने बताया कि यह डिजिटल मंडी देश की पहली ऑनलाइन मंडी है, जहां किसान अपना माल अपने भाव पर सीधा ग्राहकों को बेच सकेंगे। सीजीआर कोलेटरल मैनेजमेंट के पास राजस्थान गुजरात में करीब 105 जगहों पर वेयरहाउस की सुविधा है। इस मंडी में केवल एक प्रतिशत का चार्ज लगेगा जो ट्रेडर द्वारा देय होगा।
वहीं सीजीआर की इस पहल को किसान अपने लिए बेहतर बता रहे हैं। उनका कहना है कि इसके माध्यम से उनकी फसल को सही दाम मिलेगा। वहीँ किसान बिचौलियों और दलालों के चक्कर में न पड़के सीधे सीधे फसल ग्राहक को बेच पाएंगे।