अगरतला: त्रिपुरा कांग्रेस में कोलाहल के बीच खबर है कि उत्तरी त्रिपुरा से पुलिस ने करीब 150 हथगोले बरामद किए हैं , जिन्हें जमीन में गाड़कर रखा गया था। हालांकि अब कोई परेशानी की बात नहीं है क्योंकि बरामद किए गए सभी हथगोले को सेना की टीम ने निष्क्रिय कर दिया है।
शनिवार को इसकी जानकारी देते हुए पुलिस ने बताया कि पिछले सप्ताह उत्तरी त्रिपुरा के गौरनगर में जमीन में 151 हथगोलों को बरामद कर लिया गया है। बताया जा रहा है कि इन हथगोलों पर पहली नजर गौरनगर में केंद्रीय विद्यालय के पास खेल रहे बच्चों की पड़ी थी।
इसके बाद स्थानीय लोगों ने इसकी जानकारी पुलिस को दी, जिसके बाद जमीन खोदकर हथगोलों को बरामद किया गया, और फिर सेना की एक विशेष टीम ने सभी हथगोलों को निष्क्रिय किया। बरमाद किए गए हथगोलों को लेकर खबर है कि इन्हें 1971 के दौरान बांग्लादेश के खिलाफ लड़ाई के दौरान छिपाया गया हो।
इतिहासकारों के अनुसार…
- इन हथगोलों को बांग्लादेश से आजादी की लड़ाई के दौरान यहां छिपाया गया होगा
- त्रिपुरा में ऐसे छह-सात सेक्टर थे, जहां बांग्लादेशी स्वतंत्रता सेनानियों ने प्रशिक्षण ली
- प्रशिक्षण के बाद पाकिस्तानी सैनिकों के खिलाफ लड़ाई लड़ी
- 16 लाख से अधिक बांग्लादेशियों ने केवल त्रिपुरा में ही शरण लिया था।
- यह लड़ाई करीब नौ महीने तक चली
- इसके बाद भारत-पाकिस्तान में युद्ध शुरू हुआ
- बांग्लादेश की 856 किलोमीटर लंबी सीमा त्रिपुरा से लगी हुई है।
- 16 दिसंबर, 1971 को करीब 93,000 पाकिस्तानी सैनिकों ने ढाका में समर्पण किया।