सुनील कुमार
लातेहार। चुनाव की गहमा-गहमी के बीच लातेहार की ‘निर्भया’ की दास्तान अंधेरे में ही दबी रह गयी। लातेहार की इस महिला के साथ जो कुछ हुआ या हो रहा है, वह व्यवस्था की पोल खोलने के लिए काफी है। घटना 23 जनवरी की है। लातेहार थाना क्षेत्र अंतर्गत लुटी गांव की महिला कमली देवी (काल्पनिक नाम) के साथ सामूहिक दुष्कर्म किया गया। दरिंदों ने इस दौरान उसके सिर पर प्रहार किया, जिससे वह बेहोश हो गयी। दरिंदे तो वहां से भाग निकले, लेकिन पीड़िता घटनास्थल पर ही पड़ी रही। ग्रामीणों ने उसे वहां बेहोश देख कर पुलिस को सूचना दी। पुलिस वहां पहुंची और दुर्घटना बता कर मामले को रफा-दफा कर दिया। पीड़िता बेहोश ही रही। इसलिए उसे सदर अस्पताल में दाखिल करा दिया गया। 11 दिन बाद भी जब उसे होश नहीं आया, तो पुलिस ने चार फरवरी को कांड संख्या 24/2019 के तहत मामला दर्ज कर लिया। यह मामला भादवि की धारा 341, 323, 307 और 34 के तहत दर्ज किया गया। पुलिस ने न तो मामले की सही तरीके से जांच की और न ही घटना की तह में जाने का प्रयास किया। परिजनों की गुहार के बावजूद पुलिस ने इसे गैंग रेप की घटना मानने से इनकार कर दिया और महज हादसे की प्राथमिकी दर्ज की। इससे पहले 26 जनवरी को पीड़िता को लातेहार सदर अस्पताल से रिम्स भेज दिया गया। परिजनों ने घर और जमीन गिरवी रख कर पीड़िता का इलाज कराया, लेकिन वह होश में नहीं आयी। अंतत: रिम्स ने 27 मार्च को उसे वापस लातेहार भेज दिया। फिलहाल पीड़िता के बच्चे ही उसकी देखभाल कर रहे हैं, जबकि उसका पति मदद के लिए सरकारी दफ्तरों का चक्कर लगा रहा है। घटना की सूचना सामाजिक कार्यकर्ता अंबरीश पांडेय को भी मिली। उनकी पहल पर मुख्यमंत्री सचिवालय तो गंभीर हुआ, लेकिन पीड़िता तक सुविधाएं नहीं पहुच पायीं।
ऐसे सामने आया मामला
यह मामला उस समय सामने आया, जब इलाके के सामाजिक कार्यकर्ताओं, जेम्स हेरेंज, सेलेस्टिन कुजूर, तारामणि साहू, पूनम विश्वकर्मा, कलावती कुमारी, सुनील मिंज एवं फिलीप कुजूर ने इसे राष्टÑीय मानवाधिकार आयोग के पास पहुंचाया। तब दिल्ली से आयोग की एक टीम यहां पहुंची और उसने मामले की जांच की। इसके बाद प्रशासन हरकत में आया। सिविल सर्जन डॉ एसपी शर्मा का कहना है कि पीड़िता का इलाज लातेहार में संभव नहीं है। इसलिए उपायुक्त के आदेश पर उसे दोबारा रिम्स भेजा जा रहा है।
तीन महीने के बाद मांगी गयी रिपोर्ट
मामले की जांच के नाम पर पुलिस कुछ नहीं कर रही है। जब मामला राष्टÑीय मानवाधिकार आयोग के संज्ञान में आया, तब पुलिस कुछ सक्रिय हुई। घटना के तीन महीने बाद मामले के अनुसंधानकर्ता एसआइ अवधेश कुमार सिंह ने गत 16 अप्रैल को चिकित्सा पदाधिकारी से जख्म जांच प्रतिवेदन की मांग की है। मामले के तीन आरोपियों, महेंद्र ठाकुर (डाटम), सुनील उरांव (लुटी) तथा आरसी उरांव (टेमकी) को जेल भेजा जा चुका है।
सामूहिक दुष्कर्म की धारा जोड़ी गयी
अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी वीरेंद्र कुमार राम के अनुसार इस कांड में पूर्व की धाराओं के अलावा 341, 342, 376(डी) भादवि एवं अनुसूचित जाति, जनजाति अत्याचार अधिनियम की धारा 3 को भी प्राथमिकी में जोड़ा गया है।
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