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नयी दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने लोकसभा चुनाव में 50 फीसदी इवीएम की वीवीपैट से मिलान की मांग कर रहे 21 विपक्षी दलों को बड़ा झटका दिया है। देश के शीर्षस्थ कोर्ट ने वीवीपैट पर्चियों के औचक मिलान को लेकर दायर समीक्षा याचिका को खारिज करते हुए कहा कि अदालत अपने आदेश को संशोधित करने के लिए तैयार नहीं हैं। सुप्रीम कोर्ट ने इससे पहले प्रत्येक विधानसभा के पांच बूथों की इवीएम का वीवीपैट से मिलान करने का फैसला दिया था। विपक्षी पार्टियों की तरफ से सीनियर वकील अभिषेक मनु सिंघवी पैरवी कर रहे थे। याचिका खारिज होने के बाद सिंघवी ने पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि वह सुप्रीम कोर्ट के फैसले का सम्मान करते हैं। उनकी याचिका इवीएम को लेकर नहीं, बल्कि वीवीपैट को लेकर थी।
बता दें कि पहले नियम था कि वोटों की गिनती के दौरान किसी भी विधानसभा के किसी भी बूथ की इवीएम का वीवीपैट से मिलान किया जाएगा। इस नियम में बदलाव की मांग को लेकर 21 पार्टियों ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था। इस मामले पर फैसला देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने एक विधानसभा के पांच बूथों की इवीएम का वीवीपैट से मिलान करने का फैसला दिया था। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले पर विपक्षी पार्टियों ने पुनर्विचार की मांग करते हुए याचिका दायर की थी। विपक्षी पार्टियों की मांग थी कि कम से कम 50 प्रतिशत इवीएम का वीवीपैट से मिलान हो, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई करते हुए कहा कि एक ही मामले को बार-बार नहीं सुना जा सकता है। कोर्ट मे सिंघवी ने यह भी कहा कि अगर 50 प्रतिशत मिलान नहीं किया जा सकता, तो कम से कम 25 प्रतिशत मिलान की सुविधा रखी जाये।
सिंघवी ने कहा, हम सुप्रीम कोर्ट के फैसले का सम्मान करते हैं। सुप्रीम कोर्ट ने विधानसभा की पांट बूथों पर वीवीपैट के मिलान की बात कही थी, जो ऊंट के मुंह में जीरा जैसा है। अपने फैसले में कोर्ट ने कहा है कि वह अपने पुराने आदेश में कोई बदलाव नहीं करेंगे। बता दें कि कई पार्टियां इवीएम में गड़बड़ी की बात कह चुके हैं। 14 अप्रैल को विपक्षी पार्टियों की बैठक में यह मुद्दा फिर से उठाया गया था। विपक्षी पार्टियों से उस दौरान इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में जाने की बात कही थी। वहीं इस पर बीजेपी ने कहा था कि विपक्षी पार्टियां पहले ही अपनी हार मान चुकी हैं।

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