नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट की कलीजियम ने उन दो जजों के नामों को एक बार फिर केंद्र सरकार के विचार के लिए भेजा है, जिन्हें पिछले दिनों उसने वापस लौटा दिया था। शीर्ष अदालत की कलीजियम ने झारखंड हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस अनिरुद्ध बोस और गुवाहाटी हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश ए.एस बोपन्ना को सुप्रीम कोर्ट में जज बनाए जाने की सिफारिश की है। पिछले ही दिनों केंद्र सरकार ने इन दोनों नामों को वरिष्ठता क्रम और क्षेत्रीय प्रतिनिधित्व में संतुलन का हवाला देते हुए वापस लौटा दिया था।
इसके अलावा कलीजियम ने बॉम्बे हाई कोर्ट के जस्टिस बी.आर. गवई और हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस सूर्यकांत को भी सुप्रीम कोर्ट में भेजे जाने की सिफारिश की है। यदि केंद्र सरकार इन चारों जजों को सुप्रीम कोर्ट भेजे जाने के फैसले पर मुहर लगाती है तो शीर्ष अदालत में सभी 31 जजों के पद भर जाएंगे। कई सालों से सुप्रीम कोर्ट का कोरम पूरा नहीं है।
यदि जस्टिस गवई की सुप्रीम कोर्ट में नियुक्ति होती है तो वह 2025 में चीफ जस्टिस बन सकते हैं। यही नहीं उनकी नियुक्ति के साथ ही करीब एक दशक बाद सुप्रीम कोर्ट को अनुसूचित जाति से आने वाला कोई जज मिलेगा। चीफ जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस एस.ए. बोबडे, जस्टिस एन.वी. रमन्ना, जस्टिस अरुण मिश्रा और जस्टिस आर.एफ. नरीमन की सदस्यता वाले कलीजियम की बुधवार को मीटिंग हुई, जिसमें जस्टिस बोस और जस्टिस बोपन्ना के नामों को एक बार फिर केंद्र सरकार के समक्ष विचार के लिए भेजने का फैसला लिया गया।