”वट साबित्री व्रत पूजन” को महिलाओं ने कोरोना वायरस को मात देकर गमलों में रखे वट वृक्ष के फेरे लगाकर पति की लम्बी आयु , शक्ति और खुशहाली के लिए प्रार्थना किया।

वैश्विक महामारी से बचाव के लिए घोषित लॉकडॉउन के कारण अधिकांश महिलाओं ने घरों में ही रहकर पूजन किया। कुछ महिलाओं ने गमलों में लगाए गये वट वृक्ष की परिक्रमा किया तो आपपास इस वृक्ष की परिक्रमा कर पूजना किया। इस दिन वट (बरगद) के पूजन का विशेष महत्व होता है। मान्यता है कि ब्रह्मा, विष्णु, महेश और सावित्री भी वट वृक्ष में ही निवास करते हैं। पति की लम्बी आयु , शक्ति और खुशहाली के लिए इस वृक्ष की पूजा की जाती है।

जमशेदपुर निवासी पूनम और सौनिका  ने बताया कि अपार्टमेंट के छत में एक छोटा वट वृक्ष है। महिलाओं ने उसी की परिक्रमा कर पूजा किया। उन्होने बताया कि पिछले 40 साल में पहली बार ऐसा हुआ है कि घरों, पार्क और गमलों में वट वृक्ष की लोगों को पूजा करनी पड़ी है। कोरोना के कारण ही लोगों को घरों में कैद रहना पड रहा है।

श्रीमती पूनम ने बताया कि कोरोना महामारी ने लोगों में दहशत पैदा कर दिया है। इसके घातक परिणाम भी देखने को मिल रहे हैं। कल तक प्रयागराज ग्रीन जोन में था,यह सुनकर बड़ी खुशी थी। लेकिन देखते ही देखते एक इंजिनियर समेत यहां तीन दु:खद मौत हो गयी। हाल ही में जन्मी नवजात शिशु को क्या पता जिंदगी क्या होती है, उसे भी कोरोना ने संक्रमित कर दिया।

उन्होने बताया कि दवा से बेहतर बचाव है। परिवार की लंबी आयु, सुख-समृद्धि और अखंड सौभाग्य देने के साथ मानव जीवन के घातक संरचना बदलने में शातिर अदृश्य शत्रु से बचाव के लिए वट देवता से लोगों के जीवन की सुरक्षा के लिए प्रार्थना किया।

पौराणिक कथा के अनुसार, इस दिन सावित्री ने अपने दृढ़ संकल्प और श्रद्धा से यमराज द्वारा अपने मृत पति सत्यवान के प्राण वापस पायी थी। महिलाएं भी इसी संकल्प के साथ अपने पति की आयु और प्राण रक्षा के लिए व्रत रखकर पूरे विधि विधान से पूजा करती हैं। इस व्रत को स्त्रियां अखंड सौभाग्यवती रहने की मंगलकामना से करती हैं। यह व्रत हर साल जेष्ठ मास की अमावस्या को रखा जाता है। इस बार 22 मई को है।

धर्मिक मान्यता के अनुसार सच्चे मन से इस व्रत को करने वाली महिलाओं की सारी मनोकामनाएं पूरी होने के साथ पति की लम्बी आयु भी प्राप्त होती है। वट वृक्ष की पूजा लंबी आयु, सुख-समृद्धि और अखंड सौभाग्य देने के साथ ही हर तरह के कलह और संताप मिटाने वाली होती है।

महिलाए वट वृक्ष के चारों ओर कच्चे सूत की महिलाएं फेरी देती हैं। पूजा में जल, मौली, रोली, कच्चा सूत, भिगोया चना, फूल तथा धूप का प्रयोग करती हैं। जल से वट वृक्ष को सींचकर उसके तने के चारों ओर तीन बार कच्चा धागा लपेटते हुए परिकमा की जाती है। पूजा में 12 पूरियां और 12 बरगद फल को हाथ में लेकर वट वृक्ष पर अर्पित करती हैं।

स्कंद पुराण और भविष्य पुराण में वट सावित्री व्रत पूजन का विस्तार से वर्णन किया गया है। इन दोनों पुराणों में बताया गया है कि ज्येष्ठ मास की अमवस्या तिथि के दिन सुहागन महिलाओं को अपने सुहाग की लंबी उमर के लिए पूजा करनी चाहिए

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