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    Home»Jharkhand Top News»हेमंत सोरेन सरकार का साहसिक प्रहार
    Jharkhand Top News

    हेमंत सोरेन सरकार का साहसिक प्रहार

    azad sipahi deskBy azad sipahi deskMay 28, 2020No Comments6 Mins Read
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    रासबिहारी जैसे ताकतवर अधिकारी को पहले ही दिखा चुके हैं दिन में तारें
    पांच महीने पहले झारखंड की सत्ता संभालनेवाले हेमंत सोरेन ने एक और साहसिक फैसला लेकर राज्य में व्याप्त गड़बड़ियों और ताकतवर अधिकारी लॉबी को सकते में डाल दिया है। इस फैसले के बाद उन तमाम राजनीतिक पंडितों की जुबान पर ताला लग गया है, जो कहते थे कि गठबंधन सरकार चलाते हुए हेमंत सोरेन साहसिक और बड़े फैसले नहीं ले सकते। हेमंत ने पिछले करीब 15 साल से झारखंड की सत्ता के गलियारे में अपनी मजबूत पकड़ बना चुके निरंजन कुमार नामक एक अधिकारी के खिलाफ निगरानी जांच का आदेश देकर साबित कर दिया है कि वह झारखंड के हितों पर कुंडली मार कर बैठे किसी भी शख्स के खिलाफ कार्रवाई से पीछे नहीं हटेंगे, चाहे वह शख्स कोई भी हो। इसके साथ ही हेमंत सोरेन ने सरकारी काम में गड़बड़ी करनेवाले अधिकारियों के खिलाफ भी कार्रवाई कर भ्रष्टाचार के खिलाफ अपनी खुली जंग का एलान भी कर दिया है। पहले ताकतवर इंजीनियर लॉबी के रासबिहारी सिंह को निलंबित कर उन्होंने इस ओर कदम बढ़ाया था और अब निरंजन कुमार जैसे अधिकारी पर कार्रवाई कर उन्होंने जंग की शुरुआत की है। झारखंड को इसी तरह के कदमों की दरकार है, ताकि सत्ता को अपनी जेब में रखनेवाली ताकतों का पर्दाफाश हो सके और झारखंड को ऐसी ताकतों से बचाया जा सके। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के इस साहसिक फैसले को रेखांकित करती आजाद सिपाही ब्यूरो की विशेष रिपोर्ट।

    मंगलवार 26 मई को मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन दिग्गज कांग्रेसी नेता राजेंद्र प्रसाद सिंह के अंतिम दर्शन कर बेरमो से वापस आये और सीधे प्रोजेक्ट भवन गये। सब कुछ सामान्य था, लेकिन हेमंत सोरेन के दिमाग में कुछ और चल रहा था। करीब दो घंटे बाद जैसे ही यह खबर फैली कि उन्होंने जरेडा के निदेशक निरंजन कुमार के खिलाफ निगरानी जांच के आदेश दिये हैं और धनबाद नगर निगम के पूर्व नगर आयुक्त मनोज कुमार समेत चार अधिकारियों के खिलाफ अलग-अलग प्राथमिकी दर्ज करने का आदेश दिया है, पूरे राज्य की नौकरशाही में एकाएक हलचल सी मच गयी। टेलीफोन पर अधिकारी एक-दूसरे से इन खबरों की पुष्टि करने में जुट गये। खबरें सही थीं कि मुख्यमंत्री ने पिछले 14 साल से झारखंड की सत्ता के गलियारे में मजबूत पैठ कायम करनेवाले आइटीपीटीसीएफएएस अधिकारी निरंजन कुमार के खिलाफ जांच के आदेश दिये हैं।

    मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के इस आदेश के कई संकेत हैं। उन्होंने चुनाव जीतने के बाद भ्रष्टाचार और गड़बड़ियों के खिलाफ अपनी जिस जीरो टॉलरेंस नीति की घोषणा की थी, यह फैसला उसी का हिस्सा है। इसके साथ ही हेमंत ने कहा था कि उनकी सरकार केवल झारखंड के हितों का ही ध्यान रखेगी, किसी व्यक्ति या संस्था का हित उसके लिए गौण होगा। निरंजन कुमार सरीखे अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई कर उन्होंने अपनी इस घोषणा को भी अमली जामा पहना दिया है। इसके साथ ही उन्होंने झारखंड की सत्ता के गलियारे में जड़ें जमा चुके वैसी तमाम ताकतों को चेतावनी भी दे डाली है। इससे पहले जनवरी में जब हेमंत सोरेन ने रासबिहारी सिंह नामक बेहद प्रभावशाली और राजनीतिक गलियारे में पैठ रखनेवाले इंजीनियर के खिलाफ कार्रवाई की थी, तभी इस बात के संकेत मिल गये थे कि देर-सबेर दूसरे ऐसे अधिकारियों के खिलाफ भी हेमंत जरूर कदम उठायेंगे।

    निरंजन कुमार की पहुंच और उनकी पैठ का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि वह पिछले 14 साल से झारखंड की सरकार में प्रतिनियुक्ति पर थे। भारतीय डाक लेखा सेवा का अधिकारी होने के बावजूद उन्हें 2005 में झारखंड सरकार ने प्रतिनियुक्ति पर लिया और वह तत्कालीन वित्त मंत्री रघÞुवर दास के ओएसडी बने। इसके बाद धीरे-धीरे उन्होंने दूसरे विभागों में अपनी पैठ बनानी शुरू कर दी और अंतत: ऊर्जा संचरण निगम के एमडी बन गये। फिर धीरे-धीरे उन्होंने टीवीएनएल और उसके बाद जरेडा में आ गये और निदेशक बना दिये गये। निरंजन कुमार के बारे में कहा जाता है कि उनकी जड़ें बेहद मजबूत हैं और कोई उन पर हाथ डालने की हिम्मत नहीं करता। निरंजन कुमार पर 170 करोड़ रुपये से अधिक राशि का भुगतान अनियमित रूप से करने समेत कई तरह के आरोप हैं।

    रासबिहारी सिंह नामक इंजीनियर, राहुल पुरवार जैसे आइएएस के बारे में भी यही कहा जाता था कि उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हो सकती। लेकिन हेमंत सोरेन ने सत्ता संभालने के पांच महीने के भीतर ही इस धारणा को बदल कर रख दिया है। मुख्यमंत्री ने झारखंड सरकार में कुंडली मार कर बैठे ऐसे अधिकारियों को चेतावनी भी दे दी है कि उनके दिन अब पूरे हो चुके हैं।

    हेमंत सोरेन सरकार के इस फैसले से अब लोगों में यह उम्मीद जगी है कि उनके दिन फिरनेवाले हैं। अब तक सत्ता के शीर्ष स्तर तक पहुंचना आम लोगों के लिए सपना था, लेकिन हेमंत सोरेन ने उस सपने को साकार कर दिया है। इसके साथ ही उन्होंने कई अन्य चुनावी वायदों को पूरा किया है और अब उन्होंने बता दिया है कि शासन कैसे चलाया जाता है। रासबिहारी सिंह और निरंजन कुमार जैसे अधिकारियों ने झारखंड का कितना हित किया, यह तो किसी को पता नहीं है, लेकिन उनके रहते राज्य के सवा तीन करोड़ लोगों के हित में कोई काम नहीं हुआ, इस बात को सभी मानते हैं। इन जैसे अधिकारियों ने न तो झारखंड के लोगों को आगे बढ़ने का अवसर दिया और न ही राज्य के व्यापक हित में फैसले लिये। इसके बदले उन्होंने अपनी पसंद के लोगों को हमेशा आगे बढ़ाया और अपनी मर्जी से काम करते रहे।

    हेमंत सोरेन सरकार ने भ्रष्टाचार पर करारा प्रहार कर आम लोगों को बता दिया है कि वह केवल काम करने में विश्वास करते हैं। सत्ता में उनकी सहयोगी कांग्रेस भी उनकी पूरी मदद कर रही है और उनके हर फैसले में सहभागी की भूमिका निभा रही है। यह झारखंड के लिए सुखद संकेत है। हेमंत ने यह भी साबित किया है कि वह गठबंधन की गाड़ी के चालक ही नहीं, संचालक भी हैं और बड़ी कुशलता से इसे तमाम उबड़-खाबड़ रास्तों से होकर आगे ले जाने में सक्षम हैं। उनके इस एक फैसले ने उनके तमाम आलोचकों की जुबान पर ताला लगा दिया है, जो कहते थे कि गठबंधन सरकार मजबूत और बड़े फैसले नहीं ले सकती।

    Hemant Soren government's bold hit
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