• नाउम्मीदी में जी रहे मजदूरों को दिखा दी जीने की राह
  • 1200 प्रवासी मजदूरों को लेकर तेलंगाना से पहली ट्रेन रवाना
  • रात ग्यारह बजे पहुंचेगी हटिया स्टेशन
  • मई दिवस पर मजदूरों के लिए इससे बड़ा तोहफा कुछ हो ही नहीं सकता
  • पूरा देश जहां इस उधेड़-बुन में लगा है कि कैसे लायेगा वह प्रवासी मजदूरों को
  • हेमंत सोरेन ने बाजी मारी, किसी को कानोंकान खबर तक नहीं होने दी
  • प्रधानमंत्री, गृह मंत्री और रेल मंत्री ने हेमंत सोरेन का दर्द समझा

राकेश सिंह
रांची। झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने मई दिवस के अवसर पर झारखंड के मजदूरों को बहुत बड़ा तोहफा दिया है। उन्होंने वह कर दिखाया है, जिसकी सहज कल्पना भी किसी ने नहीं की थी। जहां एक ओर देश के सभी राज्य इस उधेड़बुन में लगे हैं कि वे बाहर में फंसे अपने प्रवासी मजदूरों को कैसे लायेंगे, वहीं हेमंत सोरेन ने रातोंरात इस असंभव काम को संभव कर दिखाया। पूरी दुनिया को कानोंकोन यह खबर नहीं थी कि झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन क्या कर रहे हैं। झारखंड की मीडिया से लेकर राजनीतिक गलियारों में कयासों का बाजार गर्म था और सभी यही कयास लगा रहे थे कि यह इतना आसान काम नहीं है। वहीं हेमंत सोरेन अपनी टीम के साथ इस अभियान में जुटे थे और शुक्रवार की सुबह चार बज कर पचास मिनट पर वह शुभ घड़ी आ ही गय, जब तेलंगाना के लिंगमपल्ली रेलवे स्टेशन पर 24 कोच की स्पेशल ट्रेन आकर लग गयी और उसमें झारखंड के मजदूर दोनों हाथ जोड़े हेमंत सोरेन और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की शुक्रिया अदा करते हुए ट्रेन में बैठ गये। ट्रेन में सवार यात्रियों के चेहरे के भाव और रेलवे स्टेशन पर पुलिस से लेकर अन्य अधिकारियों की मनोभावनाओं को देखते हुए कुछ कुछ वही दृश्य आंखों के सामने आ रहा था, जब 16 अप्रैल 1853 में बांबे से थाणे के लिए पहली ट्रेन चली थी। बता दें कि तीन दिन पहले झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने प्रवासी मजदूरों को लेकर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और केंद्रीय रेल मंत्री पीयूष गोयल तथा धर्मेंद्र प्रधान से बात की थी और उन्होंने आग्रह किया था कि सीमित संसाधनोंवाले झारखंड के प्रवासी मजदूरों को लाने के लिए केंद्र मदद करे और स्पेशल ट्रेन चलाये। इन प्रवासी मजदूरों को लेकर हेमंत सोरेन कितना संजीदा हैं, यह गुरुवार की शाम प्रोजेक्ट बिल्डिंग में प्रेस कांफ्रेंस में उनके इस वक्तव्य से भी झलक गया, जब उन्होंने कहा कि जरूरत पड़ी तो हम अपने प्रवासी मजदूरों और छात्रों को हवाई जहाज से भी लायेंगे। उस समय तक किसी को भी यह पता नहीं था कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और उनके मुख्य सचिव सुखदेव सिंह की टीम ने किस हद तक अपनी जिम्मेदारी का निर्वहन किया है। इस अभियान की सबसे बड़ी खासियत यह थी कि किसी को कानोंकान खबर नहीं थी। ऐसा इसलिए किया गया था कि तेलंगाना में भगदड़ जैसी स्थिति नहीं हो।
अपने हर वादे को हम निभायेंगे: हेमंत सोरेन
कोटा पहुंच चुकी है झारखंड की टीम, छात्र जल्द आयेंगे
झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा है कि झारखंड के लोगों से किये गये हर वादे को हम निभायेंगे। पूरे देश में झारखंडियों से भरी पहली ट्रेन तेलंगाना से रांची की ओर रवाना हो चुकी है। साथ ही आपको मैं बताना चाहूंगा कि अधिकारियों की एक टीम कोटा पहुंच चुकी है और जल्द ही वहां से सभी छात्रों को हम अपने घर ले आयेंगे। मैं पहले भी कह चुका हूं और फिर दोहराता हूं कि हमारी जवाबदेही हर एक झारखंडी के प्रति है और आपकी सरकार उसे जरूर निभायेगी।

बताते चलें कि लॉकडाउन की वजह से देश के अलग-अलग हिस्सों में फंसे हुए लाखों मजदूरों को घर लाने का काम शुरू हो गया है। केंद्रीय गृह मंत्रालय की इजाजत मिलने के बाद अलग-अलग सरकारें अपने राज्य के मजदूरों को वापस लाने में जुटी हैं। तेलंगाना के लिंगमपेल्ली में फंसे झारखंड के मजदूरों को लाने के लिए एक स्पेशल ट्रेन की व्यवस्था की गयी, जो आज रात को 11 बजे झारखंड के हटिया स्टेशन पहुंचेगी। इस ट्रेन में कुल 24 कोच हैं। हर कोच में सिर्फ 56 मजदूरों को बैठने की इजाजत दी गयी है।

हेमंत सरकार की अपील पर ट्रेन चलायी गयी: रेल मंत्रालय
यूं तो अभी मजदूरों के लिए ट्रेन चलाने का ऐलान नहीं हुआ है, लेकिन इस स्पेशल ट्रेन पर रेल मंत्रालय का कहना है कि झारखंड सरकार के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की अपील पर इसे चलाया गया है। इसमें सभी तरह के नियमों का पालन किया गया है। यह सिर्फ इकलौती ट्रेन थी, जिसे चलाया गया है। आगे अगर कोई ट्रेन चलती है, तो राज्य सरकार और रेल मंत्रालय के निर्देश के बाद ही चलेगी।

बता दें कि झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने मजदूरों की वापसी के लिए स्पेशल ट्रेन चलाने की मांग को लेकर रेलमंत्री पीयूष गोयल से बात की थी। सीएम ने रेलमंत्री से कहा है कि राज्यों को विशेष ट्रेनों की जरूरत होगी ताकि दूसरे राज्यों में फंसे छात्रों, प्रवासी मजदूरों को वापस लाया जा सके। राज्य सरकार के अनुसार झारखंड के तकरीबन नौ लाख लोग दूसरे राज्यों में फंसे हैं, जिसमे से 6.43 लाख प्रवासी मजदूर हैं और बाकी लोग नौकरी और अन्य काम की वजह से हैं।

लॉकडाउन में फंसे लोगों से हेमंत सोरेन का आग्रह
धैर्य रखें, सरकार आप तक पहुंचेगी
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि लॉकडाउन के कारण जहां जो लोग थे, वहीं फंसे रह गये। लाखों की तादाद में झारखंडी श्रमिक भाई-बहन, छात्र-छात्राएं, मरीज तथा अन्य लोगों की सकुशल वापसी के लिए सरकार ने काम करना शुरू कर दिया है। आपसे आग्रह है कि धैर्य रखें, आपकी सरकार जल्द आप तक पहुंचेगी। स्वस्थ रहें।

श्रमिकों की शीघ्र सकुशल वापसी और बेहतरी के लिए कार्य हो रहा है
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने अंतरराष्ट्रीय मजदूर दिवस पर झारखंड के सभी श्रमिक भाई-बहनों को शुभकामनाएं दी हैं। मुख्यमंत्री ने कहा राज्य सरकार श्रमिकों के स्वास्थ्य, सुरक्षा और कल्याण की कामना करती है। मुख्यमंत्री ने कहा, मुझे मालूम है, लॉकडाउन में श्रमिकों को कष्ट झेलने पड़े हैं। सरकार श्रमिकों की शीघ्र सकुशल वापसी और बेहतरी के लिए कार्य कर रही है।

हेमंत सोरेन ने झारखंड के लिए आज जो कार्य किया है, वह अतुलनीय है। केंद्र सरकार को झारखंड के मजदूरों का दर्द समझाने में कामयाब हेमंत सोरेन ने आज मनवा ही दिया कि झारखंड के आंसू उनके अपने आंसू हैं और और झारखंड की जनता उनका अपना परिवार। एक बड़ा सा कदम बढ़ा दिया है हेमंत ने इतिहास रचने की ओर। एक तरफ जहां झारखंड के विपक्षी नेता हेमंत सोरेन को घेरने में लगे रहे, उसी बीच हेमंत ने अपना रास्ता बना लिया। न किया उपवास, न बैठे धरना पे ओर वो कर दिखाया जो झारखंड का असली खून ही कर सकता है। ट्रेन में बैठे प्रवासी मजदूरों की आंखों से खुशी के आंसू छलक रहे थे। वे बार-बार हेमंत को दुआ दे रहे थे। कह रहे थे कि माटी के लाल ने झारखंड की लाज रख ली और वह कर दिखाया, जो आज की तारीख में देश का कोई भी नेता नहीं कर सकता था।

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