अजय शर्मा
रांची। रांची के गोंदा थाना के पीछे विशेष शाखा का समानांतर अवैध कार्यालय चलाया जा रहा था, जांच में इसकी पुष्टि हो गयी है। विशेष शाखा के जांच करनेवाले अधिकारी ने अपनी रिपोर्ट मुख्यमंत्री और डीजीपी को सुपुर्द कर दी है। इसमें कहा गया है कि यह अवैध कार्यालय पूर्व की सरकार के कार्यकाल में खोला गया था। जांचकर्ता अधिकारी को स्पेशल ब्रांच के तत्कालीन एडीजी अनुराग गुप्ता का एक पत्र मिला है, जो भवन निर्माण विभाग के सचिव को लिखा गया था। इस पत्र में लिखा गया है कि रघुवर दास (तत्कालीन मुख्यमंत्री) के निर्देश पर विशेष शाखा का एक कार्यालय खोलना है। इसके लिए दो भवन की आवश्यकता है। भवन निर्माण विभाग से अनुमति मिली या नहीं, इसकी पुष्टि रिपोर्ट में नहीं है। इतना है कि वहां कार्यालय खोल दिया गया था। विशेष शाखा की गाड़ियां जाया करती थीं। जिस भवन में विशेष शाखा का कार्यालय था, उसके बगलवाले भवन में बैजनाथ प्रसाद नामक व्यक्ति रहता था। इस कार्यालय का वह प्रत्यक्ष रूप से मॉनिटरिंग भी करता था। उसे गलत तरीके से वाहन और चालक भी उपलब्ध कराये गये थे, जबकि वह व्यक्ति पुलिस का नहीं है। समय-समय पर इस कार्यालय में विशेष शाखा में उस समय कार्यरत तीन डीएसपी स्तर के अधिकारी भी जाया करते थे।
रांची में चल रहा था स्पेशल ब्रांच का अवैध दफ्तर
इन सभी अधिकारियों और जवान के बयान भी रिपार्ट में दर्ज है। कार्यालय खोले जाने की सूचना उस समय विशेष शाखा में कार्यरत कुछ जूनियर पुलिस अधिकारियों को भी थी। इसकी भी पुष्टि हो गयी है कि इस कार्यालय की तरफ से गलत तरीके से कुछ लोगों पर नजर रखी जा रही थी।
फोन टेपिंग की रिपोर्ट भी जल्द आयेगी
सीआइडी में फोन टेपिंग करने के मामले की जांच भी अलग से की जा रही है। जल्द ही सीआइडी के अधिकारी इस संबंध में अपनी रिपोर्ट सरकार को सुपुर्द कर देंगे। अब तक की जांच में ये संकेत मिले हैं कि कुछ नेताओं के टेलीफोन टेप किये जा रहे थे। सीआइडी में गलत तरीके से फोन टेपिंग की जा रही थी और सात माह के अंदर 390 लोगों के फोन टेप किये गये। यह भी सामने आ चुका है कि विशेष शाखा के अधिकारी यहां तैनात किये गये थे। साथ ही, कुछ जानकार आरक्षियों को भी यहां तैनात किया गया था।
सरयू राय ने लिखा था पत्र
इस मामले को आजाद सिपाही ने प्रमुखता से उठाया था। उसके बाद जमशेदपुर के विधायक सरयू राय ने इस संबंध में पहले डीजीपी एमवी राव को पत्र को लिखा था और जांच कराने का अनुरोध किया था। उन्होंने बाद में मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर इस मामले में एसआइटी गठित करने की मांग की थी।