लॉकडाउन के कारण देश में हर जगह लोग फंसे हुए है। अब सभी का सब्र टूटने लगा है । मुंबई, पुणे, ठाणे, विरार, नवी मुंबई से लाखों मजदूरों ने ऑटो से ही अपने घर वापस जाने का निर्णय लिया। सरकार द्वारा श्रमिक स्पेशल ट्रेनों के संचालन के बाद भी कुछ मजदूरों ने खुद ही घरों की तरफ जाने का निर्णय लिया है। ज्यादातर मजदूर तो पैदल ही निकल पड़े है।
करीब एक लाख रिक्शा चालक अपने 200 सीसी की क्षमता वाले छोटे ऑटो को लेकर 1500 से 2000 किलोमीटर का सफर तय करने के लिए निकल चुके हैं। हर एक ऑटो में कम से कम चार प्रवासी सवार हैं।
इनका कहना है कि लॉकडाउन लागू हुए दो महीने हो चुके हैं और अब इंतजार नहीं किया जा सकता है। इन लोगों ने बताया कि इनके पास खाने के पैसे खत्म हो रहे हैं और इस कारण इन्होंने ऑटो रिक्शा से ही घर जाने का निर्णय लिया है। ये एक लाख ऑटो , चार लाख मजदूर और तय करनी है 2000 किमी वाले ज्यादातर उत्तर प्रदेश, बिहार और झारखंड के रहने वाले हैं।
रिक्शा चालक ने बताया कि इस पूरे सफर में सात से आठ हजार रुपये का पेट्रोल खर्च होगा और एक दिन में तीन से चार सौ किलोमीटर की दूरी तय कर ली जाती है, लेकिन गर्मी की वजह से ऑटो खराब हो जा रहे हैं।
उसने बताया कि नवी मुंबई में एक पार्टी के लोगों ने खाने का इंतजाम किया था, लेकिन वह पर्याप्त नहीं था। रिक्शा चालक ने बताया कि रास्ते में सफर के दौरान हमें लोगों से जो खाना मिल रहा है, उसी से गुजारा किया जा रहा है। ऐसे ही एक अन्य एक लाख ऑटो , चार लाख मजदूर और तय करनी है 2000 किमी चालक ने बताया कि लोग घर जाने के लिए इस कदर बैचेन हो गए हैं कि उन्हें जो मिल रहा है, फिर वो चाहे बाइक, साइकिल हो या ठेला उस पर सवार होकर गांव जा रहे हैं।