- किराया से लेकर सुरक्षा और खाने-पीने तक का जिम्मा राज्यों पर
- विशेष ट्रेन चलाने के लिए जारी गाइडलाइन में बतायी है जिम्मेदारी
आजाद सिपाही संवाददाता
नयी दिल्ली। रेलवे ने पिछले दिनों में जो श्रमिक ट्रेनें चलायी हैं, उन्हें लेकर एक गाइडलाइन जारी की गयी है। इसके अनुसार, विशेष ट्रेन चलाने के एवज में रेलवे राज्य सरकारों से पूरा खर्च वसूल कर रहा है। इतना ही नहीं, सुरक्षा से लेकर दूसरी तमाम जिम्मेदारियां भी राज्य सरकारों के जिम्मे हैं। दरअसल इन विशेष ट्रेनों के संचालन को लेकर बहुत ही दुविधा थी, जैसे टिकट के पैसे कौन देगा, यात्रियों को खाना कौन देगा, स्टेशन की सुरक्षा कौन देखेगा आदि। इस गाइडलाइन में रेलवे से सब साफ कर दिया है। बता दें कि पिछले दिनों में रेलवे की तरफ से करीब दर्जन भर श्रमिक ट्रेनें शुरू की गयी हैं, ताकि लॉकडाउन की वजह से जगह-जगह फंसे प्रवासी मजदूरों, छात्रों और पर्यटकों को उनके घरों तक पहुंचाया जा सके। अब लॉकडाउन 3.0 में सरकार ने देश को ग्रीन, आॅरेंज और रेड जोन में बांटा है। इस दौरान ट्रेनों के संचालन के दौरान रेलवे को कुछ दिक्कत आ सकती है। रेलवे की गाइडलाइन में निम्नलिखित बातें कही गयी हैं-
यात्रियों की जांच और किराया राज्य देंगे, स्टेशन की सुरक्षा भी
रेलवे ने राज्य सरकार को कहा है कि वह यात्रियों की पूरी जांच के बाद उन्हें टिकट दें और उनसे पैसे लेकर रेलवे को दे दें। रेलवे ने यह भी कहा है कि ये राज्य सरकार की जिम्मेदारी है कि सिर्फ वही लोग रेलवे स्टेशन के अंदर घुसें, जो जांच की प्रक्रिया से गुजर चुके हैं और जिनके पास वैध टिकट है। रेलवे स्टेशन पर पर्याप्त सुरक्षा व्यवस्था बनाये रखने की जिम्मेदारी राज्यों की ही है।
90 फीसदी भरी होनी चाहिए ट्रेन
रेलवे ने कहा है कि हर श्रमिक स्पेशल ट्रेन एक नॉन-स्टॉप ट्रेन होगी, जो सिर्फ एक ही गंतव्य तक पहुंचेगी। सामान्य तौर पर श्रमिक स्पेशल ट्रेनों सिर्फ पांच सौ किलोमीटर से अधिक की दूरी के लिए चलेंगी। जब तक ट्रेन का गंतव्य स्टेशन नहीं आ जाता, ये ट्रेन पूरे रास्ते में कहीं रुकेगी नहीं। पूरी ट्रेन सोशल डिस्टेंसिंग के साथ (जिसमें मिडिल बर्थ नहीं है) करीब 12 सौ यात्रियों को बैठा सकती है। जिस राज्य से ट्रेन चल रही है, वह राज्य सीटों को देखते हुए ही यात्रियों को ट्रेन में बैठाये और यह सुनिश्चित करे कि ट्रेन में कम से कम 90 फीसदी लोग हों, यानी करीब 1100 लोग ट्रेन में हों।
स्थानीय राज्य सरकार पर होगी बड़ी जिम्मेदारी
गाइडलाइन में कहा गया है कि रेलवे उन्हीं गंतव्य के लिए उतनी ही टिकट प्रिंट करेगा, जितनी मांग राज्य सरकारों की तरफ से आयेगी और वह टिकट स्थानीय राज्य सरकार के अधिकारी को दे दिया जायेगा। यह स्थानीय राज्य सरकार का काम होगा कि वह इन टिकटों को यात्रियों को दे और उनसे पैसे लेकर रेलवे को सौंपे।
खाना-पानी भी राज्य सरकार देगी
गाइडलाइन के अनुसार जिस स्टेशन से ट्रेन चलेगी, वहां की राज्य सरकार की तरफ से यात्रियों को खाने के पैकेट और पानी मुहैया कराया जायेगा। यह हर यात्री के लिए जरूरी होगा कि वह मास्क लगाये। राज्य सरकारों की तरफ से इसे सुनिश्चित किया जाना चाहिए और यात्रियों से मास्क पहनने के लिए कहना चाहिए।
डेस्टिनेशन वाली राज्य सरकार के लिए भी हैं नियम-कायदे
राज्य सरकार की तरफ से ही यात्रियों को आरोग्य सेतु एप डाउनलोड कर इस्तेमाल करने के लिए प्रेरित किया जाना चाहिए। 12 घंटे से अधिक की यात्रा में एक वक्त का खाना रेलवे की तरफ से डेस्टिनेशन पर यात्री के पहुंचने पर उसे मुहैया कराया जायेगा। यात्रियों को राज्य सरकार की तरफ से ही रिसीव किया जायेगा। राज्य सरकारें ही यात्रियों की स्क्रीनिंग, क्वारेंटाइन (अगर जरूरत हो तो) और स्टेशन से दूसरी जगहों तक जाने की व्यवस्था करेगी।
गंतव्य के स्टेशन की सुरक्षा भी राज्य सरकार का जिम्मा
रेलवे स्टेशन पर रिसीविंग स्टेट को पर्याप्त सुरक्षा व्यवस्था मुहैया करनी होगी। अगर कहीं पर भी सुरक्षा या हाइजीन में कोई खामी पायी जाती है, तो रेलवे कभी भी इन श्रमिक स्पेशल ट्रेनों को रद्द करने का अधिकार रखता है।
http://azadsipahi.com/05/2020/railways-said-only-15-percent-of-the-money-is-being-charged-from-the-state-governments-on-fares.html