अस्पतालों पर पुष्पवर्षा से दोगुना हुआ योद्धाओं का उत्साह
आम लोगों के मन में मजबूत हुआ संकल्प और विश्वास
कोरोना के खिलाफ जंग के लिए पिछले 40 दिन से लॉकडाउन में रह रहे 130 करोड़ की आबादी वाले इस देश में मई के पहले सोमवार का सूर्य नया सवेरा लेकर आयेगा। देश के आधे से अधिक हिस्से में गतिविधियां सामान्य होने लगेंगी। लेकिन इस देशव्यापी लॉकडाउन के अंतिम दिन रविवार को इस जंग के असली योद्धाओं को पूरे देश ने सलाम किया और उनकी हौसला अफजाई के लिए उनकी रणभूमि पर फूल बरसाये। हमारी सशस्त्र सेनाओं के तीनों अंगों ने इस जंग की अगुवाई कर रहे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आग्रह पर कश्मीर से कन्याकुमारी तक और अरुणाचल प्रदेश से कच्छ के रेगिस्तान तक में स्थित कोरोना का इलाज करनेवाले अस्पतालों पर पुष्पवर्षा कर इन योद्धाओं, जिनमें डॉक्टर, नर्स, चिकित्साकर्मी, लैब तकनीशियन, सफाईकर्मी, पुलिसकर्मी और प्रशासन के लोगों को देशवासियों का सलाम भेजा। कोरोना के खिलाफ जंग का यह सबसे रोमांचक और देश की एकजुटता का बेमिसाल प्रदर्शन था। इस एक आयोजन ने जहां कोरोना से लड़ रहे योद्धाओं के उत्साह को दोगुना कर दिया, वहीं इस जंग में तमाम कठिनाइयां झेलने के बावजूद जीतने का जज्बा लिये हंसते-मुस्कुराते भारतीयों को घर में रहकर ही खुशी मनाने का एक और मौका दे दिया। प्रधानमंत्री के आग्रह पर सशस्त्र बलों के इस शानदार काम को इस जंग के इतिहास में स्वर्णाक्षरों में लिखा जायेगा। इस प्रदर्शन के संभावित असर का विश्लेषण करती आजाद सिपाही ब्यूरो की खास रिपोर्ट।
अब संयम और धैर्य की जरूरत, ताकि यह युद्ध हम जीतें
रविवार तीन मई को सुबह से ही पूरे भारत के आकाश में हेलीकॉप्टरों और लड़ाकू विमानों की आवाजाही से इस बार 130 करोड़ लोगों का यह देश घबड़ाया नहीं, बल्कि खुले आकाश को निहारने लगा। मौका था, कोरोना का इलाज करनेवाले अस्पतालों पर हेलीकॉप्टरों द्वारा फूल बरसाने का और लड़ाकू विमानों के फ्लाईपास्ट का। पिछले 40 दिन से लॉकडाउन के कारण घरों में बंद भारत के लोगों के लिए रविवार की सुबह इससे अधिक रोमांचक और शानदार नहीं हो सकती थी। वायुसेना के हेलीकॉप्टरों ने अस्पतालों पर फूल बरसाये, सेना के बैंड ने संगीत की धुन से कोरोना के खिलाफ जंग लड़ रहे योद्धाओं को सलाम किया और नौसेना ने शानदार ढंग से आतिशबाजी कर इन योद्धाओं के काम की सराहना की। लड़ाकू विमानों ने श्रीनगर की डल झील से लेकर चंडीगढ़ की सुखमा लेक और कच्छ के रन से लेकर असम में ब्रह्मपुत्र के ऊपर शानदार करतब दिखाते हुए फ्लाईपास्ट किया। इस नजारे को देख देश के आम लोग तो रोमांचित हुए ही, कोरोना से जंग लड़ रहे योद्धाओं का जोश और जज्बा बढ़ा, उनके उत्साह में कई गुना वृद्धि हुई।
यह सब केवल एक व्यक्ति की सोच का नतीजा था। वह व्यक्ति है देश का प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, जिन्होंने पिछले 40 दिन से जारी इस महायुद्ध में दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी आबादी वाले देश का ऐसा नेतृत्व किया है, जिससे वह विश्व के सर्वाधिक लोकप्रिय राष्ट्रप्रमुख बन गये हैं। प्रधानमंत्री ने 22 मार्च को कोरोना योद्धाओं के सम्मान में ताली-थाली बजाने का आह्वान किया और पूरे देश ने उनका साथ दिया। उसके बाद पांच अप्रैल को रात नौ बजे उन्होंने घरों के बाहर दीया जलाने की अपील की, तो पूरे देश में अप्रैल में ही दीवाली मनायी गयी। अब उन्होंने हमारी सशस्त्र सेनाओं के माध्यम से कोरोना योद्धाओं के सम्मान में फूल बरसा कर साबित कर दिया है कि इस महायुद्ध में पूरा देश एकजुट है।
युद्ध की स्थापित नीति कहती है कि इसे जीतने के लिए जितनी जरूरी ताकत होती है, उससे कहीं अधिक जरूरी योद्धाओं का साहस और लोगों का उत्साह होता है। सभी संसाधनों से लैस सेना को साहसी और उत्साही सेना पराजित कर सकती है। द्वापर युग में भगवान राम और रावण के बीच हुआ युद्ध इसका उदाहरण है। रावण की संगठित सेना के पास एक से एक योद्धा और हथियार थे, लेकिन भगवान राम की वानर सेना ने उसे न केवल पराजित कर दिया, बल्कि उसके सभी योद्धाओं को धराशायी कर दिया। ऐसा केवल इसलिए हुआ, क्योंकि वानर सेना उत्साह से लबरेज थी और उसका उत्साह बढ़ाने के लिए भगवान राम के अलावा लक्ष्मण, हनुमान, सुग्रीव, विभीषण और जांबवंत जैसे महारथी थे।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इसी युद्धनीति का अनुशरण कर रहे हैं। वह इस बात से अच्छी तरह वाकिफ हैं कि कोरोना के खिलाफ यह लड़ाई लंबी और कठिन है, लेकिन अपने योद्धाओं की हिम्मत और ताकत बढ़ा कर वह इस लड़ाई को जीतने की तैयारी कर चुके हैं। कोरोना महामारी का आतंक देशवासियों पर हावी न हो, इसलिए उनका उत्साह भी बनाये रखना बेहद जरूरी है। इसलिए उन्होंने लॉकडाउन के तनाव को कम करने के लिए ऐसे आयोजनों की रूपरेखा तैयार की है।
इन 40 दिनों के लॉकडाउन के दौरान पूरे देश ने जिस चट्टानी एकता और एकजुटता का परिचय दिया है, वह भारत की असली ताकत दिखाता है। इस एकजुटता ने साबित कर दिया है कि भारत हर विपरीत परिस्थिति में भी मुस्कुराता है और बड़ी से बड़ी चुनौतियां भी इसके सामने पराजित हो जाती हैं। अब जबकि लॉकडाउन आंशिक रूप से खत्म हो रहा है, प्रधानमंत्री के इन आयोजनों का मर्म समझना जरूरी है। इन आयोजनों के माध्यम से प्रधानमंत्री ने जहां कोरोना योद्धाओं का उत्साह कई गुना बढ़ा दिया है, वहीं दुनिया को दिखा दिया है कि चीन से शुरू हुई और मानव सभ्यता पर खतरे के रूप में सामने आयी कोरोना महामारी को भारत में तबाही का सबब नहीं बनने दिया जायेगा। भारत भले ही पश्चिम जितना विकसित नहीं हो, लेकिन यहां के 130 करोड़ लोगों की सामूहिक ताकत और एकजुट संकल्प-संयम के आगे महामारी का संक्रमण भी जरूर पराजित हो जायेगा।
आज सशस्त्र सेनाओं के शानदार प्रदर्शन ने भारत के इसी संकल्प को दोहराया है। अब यह हमारी जिम्मेवारी है कि हम संयम और धैर्य बनाये रखें, ताकि कोरोना का संक्रमण अपने डंक नहीं फैला सके। देश के प्रख्यात उद्योगपति रतन टाटा ने भी कहा है कि 2020 का साल हमारे लिए नफा-नुकसान का हिसाब करने का साल नहीं, बल्कि अपनी एकता बनाये रखने के साथ जीवन बचाने का साल है। भारत के प्रत्येक व्यक्ति को आज यही संकल्प लेने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यह कदम उठाया है।