प्रतिष्ठा में
श्री मीनेश कुमार दुबे
अधिवक्ता
उच्चतम न्यायालय, नयी दिल्ली
विषय: कानूनी नोटिस का जवाब
संदर्भ: 16 मई, 2020 का आपका नोटिस।
महोदय,

आपने अपने किसी मुवक्किल श्री मनोज गुप्ता, पिता स्वर्गीय श्री राजेंद्र प्रसाद गुप्ता, निवासी काठपुल के निकट, पूर्वी लोहानीपुर, पटना-3 के संदर्भ में लीगल नोटिस भेजा है।
उपर्युक्त विषय के संदर्भ में आजाद सिपाही के संपादक हरिनारायण सिंह और संवाददाता अजय शर्मा के नाम नोटिस में आपके द्वारा उठाये गये बिंदुओं का क्रमवार जवाब इस प्रकार है:

1. आपने लिखा है कि 15 मई, 2020 को आजाद सिपाही में ‘कौन है नीरज तिवारी और रवि ठाकुर, किसके लिए करते हैं काम’ शीर्षक से एक समाचार प्रकाशित हुआ है। इस समाचार के अंत में एक और शीर्षक प्रकाशित किया गया, जिसमें लिखा गया है ‘कल पढ़िए: कौन है मनोज गुप्ता और किसके लिए वसूलता था पैसा’। आपने लिखा है कि इस शीर्षक के तहत बिना किसी आधार या साक्ष्य के गैर-कानूनी रूप से आपके मुवक्किल का नाम अनावश्यक रूप से इस विवाद में घसीटा गया है।
हमारा जवाब
आजाद सिपाही में 15 मई को- कौन है नीरज तिवारी और रवि ठाकुर, किसके लिए करते हैं काम- शीर्षक से समाचार प्रकाशित हुआ है और समाचार के अंत में हमारे संवाददाता अजय शर्मा ने अपने पाठकों को इस समाचार शृंखला की अगली कड़ी की जानकारी दी है। मनोज गुप्ता आपके मुवक्किल हो सकते हैं, लेकिन हमने जिस मनोज गुप्ता के बारे में लिखा है, वह आपके मुवक्किल ही हैं, यह निष्कर्ष आपने कैसे निकाला, यह समझ से परे है। हम आपके मुवक्किल मनोज गुप्ता, पिता-स्वर्गीय राजेंद्र प्रसाद गुप्ता, लोहानीपुर, पटना-3 के बारे में नहीं जानते। हमारे संवाददाता अजय शर्मा ने झारखंड के रांची में रहनेवाले मनोज गुप्ता के बारे में समाचार लिखा है।

2. आपने लिखा है कि फिरौती के रूप में गैर-कानूनी रूप से राशि वसूलने के लिए आपके मुवक्किल की प्रतिष्ठा धूमिल करने और यह धारणा स्थापित करने के लिए कि आपके मुवक्किल इस विवाद में शामिल हैं, संपादक हरिनारायण सिंह और संवाददाता अजय शर्मा ने यह सब किया है।
हमारा जवाब
हमें नहीं पता कि आपके मुवक्किल की उम्र और पेशा क्या है, उनकी तसवीर कैसी है, उनका विशेष परिचय क्या है, वह कहां रहते हैं, लेकिन हम आपको बताना चाहते हैं कि आजाद सिपाही के संपादक हरिनारायण सिंह पिछले 40 साल से पत्रकारिता में सक्रिय हैं और आनंद बाजार पत्रिका समूह की रविवार पत्रिका (कोलकाता), नयी दिल्ली से प्रकाशित चौथी दुनिया, प्रभात खबर (रांची) और हिंदुस्तान (झारखंड एडिशन), खबर मंत्र, सन्मार्ग समेत कई प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं में आजाद सिपाही से पहले काम कर चुके हैं। इस लंबे पत्रकारीय जीवन में आज तक कभी किसी ने अंगुली नहीं उठायी, लेकिन आपने इस आधारहीन, मिथ्या और अपमानजनक आरोप लगा कर हमारी प्रतिष्ठा धूमिल की है। आपने आजाद सिपाही के संवाददाता अजय शर्मा के बारे में भी ऐसे अनर्गल और आधारहीन आरोप लगा कर उनकी प्रतिष्ठा को भी आघात पहुंचाया है। हम चुनौती देते हैं कि हरिनारायण सिंह और अजय शर्मा पर लगाये गये गंभीर आरोप को अपने मुवक्किल से तथ्य सहित सात दिन के अंदर साबित कराइये, या फिर बिना शर्त माफी मंगवाइये, वरना हम सक्षम न्यायालय का दरवाजा खटखटायेंगे और इसकी सारी जवाबदेही आपके मुवक्किल मनोज गुप्ता की होगी। आपके मुवक्किल की ओर से लगाये गये आधारहीन आरोप के कारण मुझे (हरिनारायण सिंह, उम्र 62 वर्ष) को मानसिक आघात लगा है। प्रतिष्ठा धूमिल हुई है। इस कारण हम मानसिक तनाव और अवसाद में हैं। आपके नोटिस से मानसिक आघात पहुंचने का खतरा उत्पन्न हो गया है। अगर इस दरम्यान कुछ होता है, तो उसकी सारी जवाबदेही आपके मुवक्किल मनोज गुप्ता की होगी।

3. आपने लिखा है कि आपके मुवक्किल ने संपादक हरिनारायण सिंह और संवाददाता अजय शर्मा द्वारा फिरौती मांगने की कोशिश के अनुरूप काम नहीं किया और इसलिए उन्हें सबक सिखाने और उनकी छवि को धूमिल करने के लिए 16 मई, 2020 को ‘गांजा प्लाट करने की कहानी का सच तलाशेगी सीआइडी, सरकार के आदेश के बाद खुली फाइल’ शीर्षक से समाचार प्रकाशित किया। इस समाचार में आपके मुवक्किल के बारे में आधारहीन, मिथ्या और अपमानजनक वक्तव्य ‘चर्चा में हैं मनोज गुप्ता’ उप शीर्षक से एक समाचार प्रकाशित किया गया, जिसमें यह कहा गया है कि आपके मुवक्किल ने कुछ पुलिस अधिकारियों के साथ मिलीभगत की और गांजा प्लॉट में शामिल हैं। इससे स्पष्ट है कि हरिनारायण सिंह और अजय शर्मा ने मुवक्किल की प्रतिष्ठा धूमिल करने और दबाव के आगे नहीं झुकने के कारण उन्हें सबक सिखाने के उद्देश्य से 15 और 16 मई, 2020 को उपर्युक्त समाचार प्रकाशित किये।
हमारा जवाब
आजाद सिपाही में ये समाचार प्रकाशित हुए हैं। लेकिन हमने जिस मनोज गुप्ता के बारे में समाचार प्रकाशित किया है, वह आपके मुवक्किल हैं, इस नतीजे पर आप कैसे पहुंचे, यह हमें भी बताने की कृपा करें। आजाद सिपाही में जिस मनोज गुप्ता के बारे में समाचार प्रकाशित हुआ है, उसके बारे में हमें ठोस जानकारी है कि वह रांची में रहता है। वैसे भी झारखंड में हजारों मनोज गुप्ता हैं। इनमें कुछ अधिकारी, तो कुछ व्यवसायी, तो कुछ दलाल तो कुछ शिक्षा विद भी होंगे। आजाद सिपाही में प्रकाशित समाचार में कहीं यह जिक्र नहीं है कि मनोज गुप्ता स्व राजेंद्र प्रसाद गुप्ता के पुत्र हैं और वह पूर्वी लोहानीपुर, पटना में रहते हैं। यहां तक कि उनकी कोई तसवीर भी प्रकाशित नहीं हुई है। फिर भी आपके मुवक्किल इस निष्कर्ष पर पहुंच गये कि हमने उन्हीं के बारे में लिखा है। हमने समाचार पत्र में जिस मनोज गुप्ता के बारे में लिखा है, वह रांची में रहता है। वह पुलिस के वरीय अफसर के लिए वसूली करता रहा है। हमने यह लिखा है कि इन दिनों मनोज गुप्ता नामक व्यक्ति काफी चर्चा में है। उनके कुछ पुलिस अधिकारियों से अच्छे संबंध बताये जाते हैं। चर्चा तो यहां तक है कि पूर्व की सरकार में जूनियर पुलिस अधिकारियों के तबादले में भी उनका सीधा हस्तक्षेप हुआ करता था। चर्चा है कि उन पर एक वरीय आइपीएस अधिकारी का वरदहस्त था। गांजा प्लाटेड कांड की जांच में जांच का एक कोण उनकी भूमिका पर भी होगा। जांच के बाद ही उनकी भूमिका में बारे में सच सामने आ सकता है। अब हम आपसे ही जानना चाहते हैं कि आपने अपने जिस मुवक्किल मनोज गुप्ता के कहने पर लीगल नोटिस भेजा है, वह मनोज गुप्ता क्या पुलिस के लिए वसूली करते हैं। क्या उनके किसी वरीय अधिकारी से मिलीभगत रही है। क्या उन्होंने पुलिस अधिकारियों के ट्रांसफर-पोस्टिंग में भूमिका निभायी है। क्या उसी मनोज गुप्ता के कृत्यों के बारे में झारखंड में चहुंओर चर्चा हो रही है। क्या उस मनोज गुप्ता ने झारखंड में रंगदारी वसूली है। झारखंड में कइयों को धौंस दिखायी है। अगर नहीं, तो फिर आपके मुवक्किल मनोज गुप्ता को इस रिपोर्ट से क्यों परेशानी हो रही है। कहीं आपके मुवक्किल किसी गलत काम में शामिल तो नहीं हैं, जिस कारण उन्हें रिपोर्ट छपने से कोई भय सता रहा है। इसलिए हम आपसे ही अनुरोध करते हैं कि यदि आपके मुवक्किल पुलिस अधिकारियों के साथ मिलीभगत में शामिल रहे हैं, दूसरी गैर-कानूनी गतिविधि में शामिल हैं या पैसा वसूली करते रहे हैं और गांजा के कारोबार में शामिल हैं या रहे हैं, तो कृपया हमें उनके बारे में पूरी जानकारी दें, ताकि एक जिम्मेदार नागरिक होने के कारण हम उनके बारे में केंद्र और राज्य की सक्षम जांच एजेंसियों और सरकार को बता सकें।
यहां हम यह भी बताना चाहेंगे कि हमने जिस मनोज गुप्ता के बारे में समाचार प्रकाशित किया है और उसे पुलिस के लिए वसूली करनेवाला बताया है, उस पर हम अब भी कायम है। इसका अकाट्य प्रमाण हमारे पास उपलब्ध है। आपकी जानकारी के लिए हम यह भी बताना चाहेंगे कि रांची निवासी मनोज गुप्ता पर धनबाद के कालूबथान थाना में एक प्राथमिकी भी दर्ज हुई है, जिसमें उस पर एक वरीय पुलिस अधिकारी के नाम पर 40 लाख रुपये की रंगदारी वसूलने का आरोप लगाया गया है। आपके रिफरेंस के लिए हम उस एफआइआर की कॉपी और झारखंड के प्रतिष्ठित अखबार में छपी खबर की फोटो कॉपी संलग्न कर रहे हैं।
आपने आजाद सिपाही में समाचार प्रकाशित करने के उद्देश्यों के बारे में जो कुछ स्पष्ट किया है, वह बेहद आपत्तिजनक है। आपने एक प्रतिष्ठित और भारत में समाचार पत्रों के महानिबंधक के पास निबंधित समाचार पत्र के खिलाफ अनर्गल, आधारहीन और झूठे आरोप लगाये हैं।

4. आपने लिखा है कि हाल ही में न्यूज 11 नामक एक समाचार चैनल ने आपके मुवक्किल के बारे में ऐसे ही अपमानजनक समाचार प्रकाशित किया है और ऐसा लगता है कि संपादक हरिनारायण सिंह और संवाददाता अजय शर्मा न्यूज 11 के निदेशकों/ संपादकों के साथ मिले हुए हैं और मेरे मुवक्किल की प्रतिष्ठा को धूमिल करने के लिए समान उद्देश्य के साथ काम कर रहे हैं, क्योंकि मेरे मुवक्किल ने आपकी गैर-कानूनी मांग को मानने से इनकार कर दिया।
हमारा जवाब
आपका यह कथन सरासर झूठ, अपमानजनक और पेशेवर ईमानदारी की अवधारणा के विपरीत है। आजाद सिपाही पत्रकारिता के जिस उच्चतम मापदंडों का अनुपालन करता है, उसे इस तरह अपमानित करना सर्वथा अनुचित है। हम स्पष्ट करना चाहते हैं कि दुनिया के किसी भी मीडिया संस्थान से हमारा कोई निजी अथवा पेशेवर गंठजोड़ नहीं है और हम पूरी तरह स्वतंत्र और निष्पक्ष समाचार पत्र का प्रकाशन करते हैं।

5. आपने लिखा है कि न्यूज 11 के निदेशकों के नाम अपमानजक समाचार प्रकाशित करने के कारण 14 मई, 2020 को नोटिस भेजा जा चुका है।
हमारा जवाब
आप किसे नोटिस भेज चुके हैं या भेजनेवाले हैं, इससे हमें कोई मतलब नहीं है। ऐसा लगता है कि आपने अपनी पेशेवर क्षमता की धौंस दिखा कर हमें डराने, हमारी स्वतंत्र लेखनी को कुंद करने और अभिव्यक्ति की आजादी पर रोक लगाने की गरज से यह जानकारी दी है कि आपने किसी को नोटिस भेजा है।

6. आपने लिखा है कि उपर्युक्त तथ्यों के आलोक में यह स्पष्ट है कि आजाद सिपाही के संपादक हरिनारायण सिंह और संवाददाता अजय शर्मा ने आपके मुवक्किल की प्रतिष्ठा को धूमिल करने के उद्देश्य से बिना पुष्टि या साक्ष्य के यह समाचार प्रकाशित किया, क्योंकि आपके मुवक्किल ने उनकी अनुचित मांगों को मानने से इनकार कर दिया और हमारा यह कृत्य गैर-कानूनी, विद्वेषपूर्ण, विधिविरुद्ध और अपमानजक है और इसके कारण आपके मुवक्किल का मानसिक और सामाजिक उत्पीड़न हुआ है।
हमारा जवाब
हम पहले भी कह चुके हैं कि हमने जिस मनोज गुप्ता के बारे में समाचार प्रकाशित किया है, वह कतिपय पुलिस अधिकारियों के लिए वसूली करता है। हमने मनोज गुप्ता का सिर्फ नाम लिखा है। कोई परिचय नहीं दिया है। यह मनोज गुप्ता ही आपके मुवक्किल हैं, इसके समर्थन में यदि आपके पास कोई साक्ष्य है, तो उसे प्रस्तुत करें।
आप जिस ढंग से हमारे उद्देश्यों के बारे में निष्कर्ष पर पहुंचे हैं, वह सर्वथा अनुचित है, क्योंकि विद्वान अधिवक्ता होने के नाते आपको शायद मालूम ही होगा कि प्राकृतिक न्याय के तहत दूसरे पक्ष को सुने बिना किसी निष्कर्ष पर पहुंचना अमान्य कहा गया है। आपने जो नोटिस भेजा है, उसके बारे में हम यही कह सकते हैं आप अपने मुवक्किल से इतने प्रभावित हैं कि न्याय को भी आपने ताक पर रख दिया। न्याय तो यही कहता है कि अगर कोई किसी के बारे में शिकायत करता है, तो उसे सुन कर दूसरे को भी पक्ष रखने का मौका देना चाहिए। आपने यह नहीं किया। उलटे अपने मुवक्किल मनोज गुप्ता की शिकायत को आप एफआइआर मान बैठे। उस पर आपने केस दर्ज कर लिया। फिर खुद आपने उसका संज्ञान ले लिया। फिर खुद न्यायविद बन बैठे और एकपक्षीय सुनवाई कर इस निष्कर्ष पर पहुंच गये कि हरिनारायण सिंह और अजय शर्मा ने आपके मुवक्किल से फिरौती मांगने की कोशिश की और नहीं देने पर उन्होंने समाचार प्रकाशित किया। इस निष्कर्ष पर पहुंचने से पहले आप यह तो जान लेते कि आपके मुवक्किल जो आरोप लगा रहे हैं, उसमें सच्चाई भी है या नहीं। क्या आपके मुवक्किल ने आपके समक्ष ऐसा कोई साक्ष्य प्रस्तुत किया, जिससे यह पता चले कि हरिनारायण सिंह और अजय शर्मा ने कभी उनसे बात की हो। आमने-सामने तो छोड़िये, कभी टेलीफोन पर भी बात हुई हो। हम तो यह भी नहीं जानते कि आपके मुवक्किल मनोज गुप्ता का चेहरा कैसा है और वह कहां रहते हैं। उनके पिता का नाम क्या है। उनका व्यवसाय क्या है। अगर उनकी कोई तसवीर आपके पास हो, तो कृपया हमें भी भेजने की कृपा करें, ताकि हम भी उन्हें पहचान सकें। हम तो अपने समाचार पत्र में उस मनोज गुप्ता के कुकृत्य को उजागर कर रहे हैं, जो रांची में रहता है, पुलिस के लिए वसूली करता है। उसके संदर्भ में हम अभी सिर्फ एक साक्ष्य आपको भेज रहे हैं। दूसरे अखबार में छपी खबर भी भेज रहे हैं। अगर इससे भी आप संतुष्ट नहीं होंगे, तो कानून का सहारा ले सकते हैं। जरूरत पड़ने पर हम सारे साक्ष्य वहीं प्रस्तुत करेंगे।

7. आपने नोटिस में आपके मुवक्किल के बारे में गलत और अपमानजनक समाचार प्रकाशित करने से बाज आने, तमाम सोशल मीडिया, वेबसाइट और इंटरनेट पर डाली गयी सामग्री हटाने, विशेष रूप से आपके मुवक्किल के बारे में कोई भी समाचार प्रकाशित करने से बचने और सात दिन के भीतर बिना शर्त लिखित क्षमा याचना करने के लिए कहा है, अन्यथा आपके मुवक्किल को हमारे खिलाफ कानूनी कार्रवाई शुरू करने समेत दूसरे विकल्पों पर विचार करना पड़ेगा।
हमारा जवाब
अव्वल तो हमने मनोज गुप्ता, पिता स्वर्गीय राजेंद्र प्रसाद गुप्ता, लोहानीपुर, पटना के बारे में कुछ नहीं लिखा है। हमने पुलिस के लिए उगाही करनेवाले मनोज गुप्ता के बारे में लिखा है। फिर भी यह लिखने के पहले इस बात पर आप खुद और आपके मुवक्किल भी अमल करते, तो अच्छा होता। आपने शाम को हमें कानूनी नोटिस भेजा और उधर आपके मुवक्किल मनोज गुप्ता और आपने सोशल मीडिया www.newswall.in  पर यह समाचार चलवा दिया कि झूठी खबर छापने के लिए आपने मुवक्किल की तरफ से आजाद सिपाही मीडिया को कानूनी नोटिस भेजा है। उसमें और भी कई तरह के आरोप हैं। अगर रिफरेंस के लिए आपको जरूरत हो, तो हम उसे भेज देंगे। इस पर अमल तो आप और आपके मुवक्किल को भी करना चाहिए था। वैसे हम हमेशा तथ्यपरक समाचार ही प्रकाशित करते हैं और हमने पुलिस के लिए वसूली करनेवाले मनोज गुप्ता के बारे में जो कुछ भी प्रकाशित किया है या सोशल मीडिया और वेबसाइट पर कहा है, उस पर हम कायम हैं। आपने अपने जिस मुवक्किल के बारे में कहा है, उसको हम जानते तक नहीं है, फिर उनकी प्रतिष्ठा को धूमिल करने का सवाल ही नहीं उठता है। इसलिए हम पुलिस के लिए उगाही करनेवाले मनोज गुप्ता के बारे में प्रकाशित या प्रसारित किसी सामग्री को हटाने के लिए तैयार नहीं हैं।
जहां तक कानूनी कार्रवाई की बात है, तो भारत का हर नागरिक कानून का दरवाजा खटखटाने के लिए स्वतंत्र है और यह विकल्प हमारे पास भी अधिकार के रूप में मौजूद है, क्योंकि आपने एक प्रतिष्ठित समाचार पत्र, इसके संपादक और संवाददाता के बारे में जो अमर्यादित, अपमानजक, गलत और आधारहीन आरोप लगाये हैं, उनका हम सिरे से खंडन करते हैं।
अंत में
जिस तरह आपने समाचार प्रकाशन के हमारे उद्देश्यों के बारे में निष्कर्ष निकाला है, उसी तरह हम भी यह निष्कर्ष निकालने के लिए स्वतंत्र हैं कि आपने यह कानूनी नोटिस केवल एक समाचार पत्र, उसके संपादक और संवाददाता को डराने-धमकाने और भयादोहन करने के गैर-कानूनी उद्देश्य के लिए अपने मुवक्किल की तरफ से भेजा है।
उपर्युक्त तथ्यों के आलोक में हम आपके मुवक्किल को तत्काल इस नोटिस को बिना शर्त वापस लेने और लिखित क्षमा याचना की मांग करते हैं, अन्यथा हम अग्रेतर कार्रवाई, जिसमें भारतीय प्रेस परिषद के समक्ष अपील करना भी शामिल है, के लिए स्वतंत्र होंगे। लॉकडाउन होने के कारण हम भी आपके नोटिस का जवाब आपके उस मेल आइडी पर भेज रहे हैं, जिससे आपने हमें नोटिस भेजा था। जैसे आपके मुवक्किल ने नोटिस भिजवा कर सोशल मीडिया पर उसे प्रसारित करवाया था, उसी तरह हम भी सोशल मीडिया और अखबार में इसे प्रकाशित कर रहे हैं।
सादर
हरिनारायण सिंह
संपादक आजाद सिपाही

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