आजाद सिपाही संवाददाता
गिरिडीह। शनिवार को भाजपा नेत्री संगीता सेठ के पति परमानंद राम की मौत हजारीबाग में इलाज के दौरान कोरोना से हो गयी। जब भाजपा नेत्री के पति का शव शहर के बरमसिया स्थित श्मशान भूमि पहुंची, तो कुछ स्थानीय लोगों ने यह कर विरोध कर दिया कि करीब डेढ़ माह से यहां कोरोना संक्रमितों के शवों का दाह-संस्कार किया जा रहा है, जिससे मुहल्ले में भी बीमारी का प्रकोप बढ़ने का खतरा बढ़ गया है।
स्थानीय लोगों के विरोध के दौरान अपने पति के शव के साथ भाजपा नेत्री संगीता सेठ एंबुलेंस में ही थी, लेकिन विरोध के दौरान भाजपा नेत्री समेत उनके रिश्तेदारों ने स्थानीय लोगों को समझाने का प्रयास किया, तो स्थानीय लोगों ने भाजपा नेत्री को पति का शव सिहोडीह श्मशान भूमि में जलाने का सुझाव दिया। विरोध करनेवालों का यह भी कहना था कि जब प्रशासन ने सिहोडीह में शव जलाने का स्थान तय कर रखा है, तो फिर सिहोडीह में विरोध का औचित्य क्या है, जबकि कोरोना संक्रमित के शव को जलाने का विरोध सिहोडीह श्मसान में पहले ही हो चुका था।
इधर विरोध कर रहे लोगों के सुझाव पर भाजपा नेत्री पति का शव लेकर सिहोडीह श्मशान घाट भी पहुंची। वहां पहुंचने पर उन्हें स्थानीय लोगों ने जानकारी दी कि सिहोडीह श्मशान घाट में कोई व्यवस्था नहीं है। पति का शव एंबुलेंस में लेकर इलाके-इलाके भटक रही भाजपा नेत्री ने सहयोग के लिए नगर निगम के प्रभारी महापौर प्रकाश सेठ से बात की। इसके बाद महापौर प्रकाश सेठ ने बरमसिया के लोगों से शव के दाह-संस्कार करने देने का अपील की। महापौर की अपील के बाद स्थानीय लोग माने।
इधर बरमसिया के लोगों द्वारा विरोध की जानकारी मिलने पर संक्रमितों का शव दाह-संस्कार करनेवाले कोरोना यौद्धा रॉकी नवल और रामजी यादव ने शव का दाह-संस्कार किया, लेकिन इस दौरान रॉकी नवल ने कहा कि पिछले डेढ़ माह में करीब डेढ़ सौ से अधिक शवों का दाह-संस्कार किया जा चुका है।
लेकिन इस पूरे मुहल्ले के लोगों को अब तक कोई परेशानी नहीं हुई. ऐसे में अब विरोध कहां तक उचित है. जबकि वह खुद अपने दोस्त मिथुन के साथ शव जलाता आ रहा है. लेकिन कोई परेशानी नहीं हुई.