Close Menu
Azad SipahiAzad Sipahi
    Facebook X (Twitter) YouTube WhatsApp
    Wednesday, August 6
    • Jharkhand Top News
    • Azad Sipahi Digital
    • रांची
    • हाई-टेक्नो
      • विज्ञान
      • गैजेट्स
      • मोबाइल
      • ऑटोमुविट
    • राज्य
      • झारखंड
      • बिहार
      • उत्तर प्रदेश
    • रोचक पोस्ट
    • स्पेशल रिपोर्ट
    • e-Paper
    • Top Story
    • DMCA
    Facebook X (Twitter) Instagram
    Azad SipahiAzad Sipahi
    • होम
    • झारखंड
      • कोडरमा
      • खलारी
      • खूंटी
      • गढ़वा
      • गिरिडीह
      • गुमला
      • गोड्डा
      • चतरा
      • चाईबासा
      • जमशेदपुर
      • जामताड़ा
      • दुमका
      • देवघर
      • धनबाद
      • पलामू
      • पाकुर
      • बोकारो
      • रांची
      • रामगढ़
      • लातेहार
      • लोहरदगा
      • सरायकेला-खरसावाँ
      • साहिबगंज
      • सिमडेगा
      • हजारीबाग
    • विशेष
    • बिहार
    • उत्तर प्रदेश
    • देश
    • दुनिया
    • राजनीति
    • राज्य
      • मध्य प्रदेश
    • स्पोर्ट्स
      • हॉकी
      • क्रिकेट
      • टेनिस
      • फुटबॉल
      • अन्य खेल
    • YouTube
    • ई-पेपर
    Azad SipahiAzad Sipahi
    Home»विशेष»देश की सर्वश्रेष्ठ जांच एजेंसी का मुखिया बना झारखंड का लाल
    विशेष

    देश की सर्वश्रेष्ठ जांच एजेंसी का मुखिया बना झारखंड का लाल

    azad sipahiBy azad sipahiMay 27, 2021No Comments6 Mins Read
    Facebook Twitter WhatsApp Telegram Pinterest LinkedIn Tumblr Email
    Share
    Facebook Twitter WhatsApp Telegram LinkedIn Pinterest Email

    झारखंड एक बार फिर देश भर में चर्चा का विषय बना है। देश की सर्वश्रेष्ठ जांच एजेंसी के रूप में प्रतिष्ठित केंद्रीय जांच ब्यूरो यानि सीबीआइ अब अगले दो साल तक एक झारखंडी के नेतृत्व में काम करेगा। देश को पहला खाद कारखाना देनेवाला सिंदरी का नाम अब सीबीआइ के साथ जुड़ गया है, क्योंकि यहां पले-बढ़े सुबोध कुमार जयसवाल इस एजेंसी के मुखिया बनाये गये हैं। उन्होंने सिंदरी जैसी छोटी जगह से निकल कर जो मुकाम हासिल किया, वह प्रेरणादायक तो है ही, साथ ही निष्ठा और मेहनत का जीता-जागता प्रमाण भी है। सुबोध कुमार जयसवाल के सामने चुनौतियों का अंबार है और वह इनको यकीनन पार करेंगे। सीबीआइ के नये चीफ के अतीत से लेकर उनकी उपलब्धियों, कार्यशैली और चुनौतियों पर आजाद सिपाही के धनबाद ब्यूरो चीफ मनोज मिश्र की विशेष रिपोर्ट।

    सीबीआइ के नये मुखिया बने आइपीएस अफसर सुबोध कुमार जयसवाल की जन्मस्थली देश को हरियाली का पैगाम देनेवाली रत्नगर्भा धरती सिंदरी है। पिता शिव शंकर जयसवाल और माता करुणा जयसवाल के पुत्र सुबोध कुमार जयसवाल के दादा एचएन चौधरी एक्साइज इंस्पेक्टर थे। इनके पिता यहां के प्रतिष्ठित व्यवसायी और जाने-माने समाजसेवी थे। सिंदरी एफसीआइ मुख्य द्वार से महज सौ गज की दूरी पर अवस्थित रोहड़ाबांध अंबेदकर चौक की शान कहा जानेवाला मॉर्केटिंग कांप्लेक्स जयसवाल बिल्डिंग आज भी दिवंगत शिव शंकर जयसवाल की निशानी के रूप में मौजूद है। जयसवाल बिल्डिंग का मालिकाना अधिकार आज भी सुबोध कुमार के पास ही है। पिता रोटरी क्लब सिंदरी के फाउंडर मेंबर भी थे। इनके द्वारा सिंदरी में 1955 में क्लब की स्थापना की गयी। सिंदरी के शहरपुरा मेंं इनके चाचा की जयसवाल मेडिकल की दुकान थी। इनके भाई मनोज जयसवाल मुरुगप्पा कंपनी में वाइस प्रेसीडेंट हंै। 2008 मेंं इनके पिता का देहांत हुआ।

    22 सितंबर 1962 को जन्मे सुबोध कुमार जयसवाल महाराष्ट्र कैडर के 1985 बैच के आइपीएस अधिकारी हैं। वह महाराष्ट्र पुलिस के डीजीपी, मुंबई के पुलिस कमिश्नर और रॉ में तीन साल तक अपर सचिव रह चुके हैं। इनकी प्रारंभिक शिक्षा-दीक्षा धनबाद के डिगवाडीह डिनोबली स्कूल में ही हुई। 1978 में उन्होंने बोर्ड और 1980 में उन्होंने यहां से प्लस टू की परीक्षा पास की। उन दिनों वह अपने परिवार वालों के साथ सिंदरी-धनबाद रोड के किनारे डीवीसी सब स्टेशन के नजदीक एक प्राइवेट मकान में रहते थे। वर्तमान में भी यह मकान सुवोध जयसवाल का ही है। हालांकि उनका पैतृक गांव बिहार के भागलपुर जिला में है।

    सुबोध जयसवाल महज 23 वर्ष की आयु में आइपीएस बने थे। उनके बचपन के सहपाठी कोलकाता स्थित एक कंपनी के महाप्रबंधक निलकेश डे ने बताया कि वह बचपन से ही सेना में अफसर बनना चाहते थे। उन्होंने 12वीं के बाद तीन बार एनडीए की परीक्षा भी दी, लेकिन सफल नहीं हुए। कला संकाय से स्नातक करने के बाद उन्होंने पंजाब यूनिवर्सिटी से 1984 में एमबीए किया और पहले ही प्रयास में सिविल सेवा की परीक्षा में सफल होकर आइपीएस बन गये। तेजतर्रार और बेदाग छविवाले सुबोध रॉ और एसपीजी जैसी सुरक्षा एजेंसियों में महत्वपूर्ण पदों पर आसीन रहे हैं। सुबोध को सीबीआइ प्रमुख की जिम्मेवारी मिलने से धनबाद ही नहीं पूरा झारखंड गौरवान्वित हुआ है।
    सुबोध जयसवाल के बचपन के सहपाठी बताते हैं कि 26 जनवरी 2019 को पंजाब यूनिवर्सिटी के पूर्ववर्ती छात्रों के कार्यक्रम में उन्होंने कहा था कि एक बेहतर अधिकारी बनने के लिए जरूरी है कि आपके अंदर ईमानदारी, प्रोफेशनलिज्म और इच्छा शक्ति हो। जिसके पास ये तीनों गुण होंगे, वह निश्चित तौर पर सफल इंसान या अधिकारी बन सकता है। उन्होंने कहा कि आज युवा सफल तो होना चाहते हैं, लेकिन उन्हें क्या करना है, यह नहीं जानते। वे सामनेवालों की चमक-दमक देख कर नौकरी ज्वाइन करते हैं, लेकिन मेहनत करने और प्रोफेशनलिज्म को अपनाने से डरते हैं।

    हर पद पर खुद को किया साबित
    सुबोध कुमार के बारे में कहा जाता है कि उनका खुफिया नेटवर्क काफी मजबूत है और इसकी वजह से वह रॉ में भी रह चुके हैं। उनको जासूसों का मास्टर भी कहा जाता है। महाराष्ट्र एटीएस में रहते हुए उन्होंने आतंकवादियों से जुड़े मामलों पर भी काम किया है। उन्होंने वीवीआइपी सुरक्षा के लिए बने स्पेशल प्रोटेक्शन ग्रुप यानी एसपीजी में सहायक महानिरीक्षक और उप- महानिरीक्षक पद पर बहुत ही सतर्कता और साहसपूर्ण कार्यों से अपने अधिकारियों का ध्यान आकर्षित किया था। इसके साथ ही उन्होंने कैबिनेट सचिवालय में अतिरिक्त सचिव और संयुक्त सचिव के पद पर भी काम किया। साल 2001 में उन्हें राष्ट्रपति पुलिस पदक दिया गया। बाद में उन्हें असाधारण सुरक्षा प्रमाण पत्र से सम्मानित किया गया। वह महाराष्ट्र के डीजीपी भी रह चुके हैं। बाद में वह केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर बुलाये गये थे। महाराष्ट्र के बहुचर्चित तेलगी प्रकरण और भीमा कोरेगांव एल्गार परिषद से जुड़े मामलों की जांच को उन्होंने अंजाम तक पहुंचाया।

    आतंकी जांच और खुफिया तंत्र से है पुराना नाता
    सुबोध जयसवाल को आतंकी जांच और खुफिया जानकारियों को हैंडल करने का अच्छा-खासा अनुभव है। महाराष्ट्र में डीजीपी बनने से पहले उन्होंने कई हाइ-प्रोफाइल भ्रष्टाचार के मामलों की जांच की। उन्होंने राज्य रिजर्व पुलिस बल और राज्य खुफिया ब्यूरो का भी नेतृत्व किया। 2006 के सिलसिलेवार बम धमाकों से लेकर 26 नवंबर, 2008 को हुए घातक आतंकी हमले तक जयसवाल मुंबई में कुछ सबसे बड़ी आपराधिक और आतंकी जांच का हिस्सा भी रहे। नक्सल के मोर्चे पर, कई अभियानों का नेतृत्व करने के अलावा उन्होंने कई दूसरे मामलों की जांच की निगरानी की। उन्होंने पुणे में अतिरिक्त पुलिस आयुक्त के रूप में भी काम किया और महाराष्ट्र एटीएस का भी हिस्सा रहे हैं। महाराष्ट्र में भ्रष्टाचार को उजागर करने में उनकी भूमिका हाल ही में तब सामने आयी, जब भाजपा नेता देवेंद्र फडणवीस ने जयसवाल द्वारा मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को कथित रूप से लिखे गये एक पत्र को सार्वजनिक किया, जिसमें मुंबई पुलिस में ट्रांसफर-पोस्टिंग में भ्रष्टाचार के आरोपों को उजागर किया गया था। वह फिलहाल सीआइएसएफ के डीजी थे और मुंबई पुलिस के पूर्व कमिश्नर परमबीर सिंह द्वारा महाराष्ट्र के पूर्व गृह मंत्री अनिल देशमुख पर लगाये गये एक सौ करोड़ की वसूली के आरोपों में अहम कड़ी भी हैं। सीबीआइ चीफ के रूप में जयसवाल का चयन वरिष्ठता के नाते ही हुआ है।

    असफलता से निराश नहीं हुआ
    सुबोध ने बताया कि वह झारखंड के छोटे से गांव सिंदरी के रहनेवाले हैं। वहां के युवाओं में पुलिस, डॉक्टर और इंजीनियर बनने का ही सपना होता था। जब मैंने एमबीए करने की शुरूआत की, तो हर कोई पूछता था कि इस कोर्स को करने से क्या मिलता है। जब उनका सिविल सेवा में चयन हुआ, तो उन्हें पता नहीं था कि इसके बाद उन्हें नौकरी कौन सी मिलेगी। उन्होंने कहा कि किसी एक चीज में सफलता नहीं मिलने का मतलब यह नहीं होता है कि आप उससे बड़ा कुछ नहीं कर सकते। उन्होंने बताया कि 35 वर्ष के कैरियर में देश के चार प्रधानमंत्री के साथ भी काम किया है। इसके साथ पुलिस और सुरक्षा से जुड़ी विभिन्न जिम्मेदारियों का हिस्सा भी रहा हूं। इस सबसे मैंने जो सीखा है, वह है कानूनी रास्ता। यदि आप कानून का पालन करते हैं, तो आपको कभी परेशानी नहीं होगी। कानून सभी की भलाई के लिए है और सभी के लिए एक जैसा है।

    Share. Facebook Twitter WhatsApp Telegram Pinterest LinkedIn Tumblr Email
    Previous Articleझारखंड में कोरोना के 2403 मरीज हुए स्वस्थ, 977 नए केस मिले
    Next Article बीते 24 घंटे में 2,11,298 नए केस, 3,847 की मौत
    azad sipahi

      Related Posts

      ‘भगवा आतंकवाद’ की राजनीति को खत्म कर गया फैसला

      August 2, 2025

      भारत पर टैरिफ का बोझ डाल कर अमेरिका का नुकसान कर गये ट्रंप

      August 1, 2025

      ऑपरेशन सिंदूर : पीएम मोदी ने विपक्ष के हर वार को किया नाकाम

      July 31, 2025
      Add A Comment

      Comments are closed.

      Recent Posts
      • शिबू सोरेन का पार्थिव शरीर पंचतत्व में विलीन, पुत्र हेमंत सोरेन ने दी मुखाग्नि
      • गुरुजी को अंतिम जोहार करने बाइक से नेमरा पहुंचे अर्जुन मुंडा और सुदेश महतो
      • जम्मू-कश्मीर के पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक का निधन, दिल्ली के RML अस्पताल में चल रहा था इलाज
      • गुरु जी का पार्थिव शरीर पहुंचा विधानसभा, राजकीय सम्मान के साथ दी गई विदाई
      • बेंगलुरु एफसी ने खिलाड़ियों और स्टाफ की सैलरी अनिश्चितकाल के लिए रोकी
      Read ePaper

      City Edition

      Follow up on twitter
      Tweets by azad_sipahi
      Facebook X (Twitter) Instagram Pinterest
      © 2025 AzadSipahi. Designed by Microvalley Infotech Pvt Ltd.

      Type above and press Enter to search. Press Esc to cancel.

      Go to mobile version