राज्य की राजनीतिक स्थिति का गहन विश्लेषण सबसे ऊपर : हर संभावना को ध्यान में रख कर ही हजारीबाग में जुटे हैं पार्टी नेता

लोगों के मन में अक्सर यह सवाल उठता है कि एक राजनीतिक दल के रूप में भाजपा की सफलता का प्रतिशत इतना अधिक कैसे हो रहा है। क्या यह केवल लोकप्रियता और विवादास्पद मुद्दों को उछाल कर ध्रुवीकरण की राजनीति का कमाल है या इसके पीछे कोई ठोस रणनीति। इस सवाल का एक ही जवाब है कि भाजपा भारतीय राजनीति की वह ताकत बन चुकी है, जिसकी असली शक्ति उसकी कार्यशैली में समाहित है। एक राजनीतिक दल के रूप में भाजपा की कार्य प्रणाली और उसके फैसले लेने का वक्त किसी प्रबंधकीय पाठ्यक्रम का विषय हो सकता है। इसका ताजा उदाहरण पार्टी के केंद्रीय नेताओं द्वारा बनायी गयी रणनीति का निचले स्तर तक अनुसरण करना और उसके अनुरूप स्थानीय रंग में नयी रणनीति बनाना है। हाल में संपन्न पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव में पार्टी की सफलता के बाद से एक तरफ जहां भाजपा 2024 की तैयारी में जुट गयी है, वहीं झारखंड प्रदेश इकाई को इस तैयारी का अनुकूलन स्थानीय जरूरतों के अनुरूप करने का टास्क सौंपा गया है। इसके मद्देनजर हजारीबाग में पार्टी कार्यसमिति की बैठक शुरू हो गयी है, जिसमें कई सियासी मुद्दों पर गंभीरता से विचार होगा और रणनीति तैयार की जायेगी। लंबे समय के बाद हो रही इस बैठक को झारखंड का बड़ा राजनीतिक आयोजन माना जा रहा है, तो स्वाभाविक है कि इसके फैसलों पर पूरे झारखंड की नजर है। ऐसे में झारखंड भाजपा की प्रदेश कार्यसमिति की इस बैठक में उठनेवाले मुद्दों की जानकारी दे रहे हैं आजाद सिपाही के विशेष संवाददाता राकेश सिंह।

वर्ष 2019 में विधानसभा का चुनाव हारने के करीब ढाई साल बाद झारखंड प्रदेश भाजपा का सबसे बड़ा सियासी आयोजन हजारीबाग में शुरू हो गया है। पार्टी की प्रदेश कार्यसमिति की दो दिवसीय यह बैठक ऐसे समय हो रही है, जब झारखंड का सियासी माहौल पूरी तरह गरमाया हुआ है। भ्रष्टाचार के खिलाफ केंद्रीय एजेंसियों का बड़ा अभियान और सत्ता शीर्ष तक के आरोपों से घिरने के कारण माहौल गरम तो है, लेकिन दूसरी तरफ बदले की कार्रवाई की आशंका भी है। ऐसे में भाजपा की इस सियासी कसरत के अपने मायने हो सकते हैं और पार्टी की रणनीति राज्य के लिए असरकारी होंगी, इसमें कोई संदेह नहीं है।

झारखंड भाजपा के इस आयोजन का फलाफल चाहे जो भी हो, एक बात तय है कि इस बैठक से पार्टी की आगे की लाइन बहुत कुछ साफ होगी। पार्टी के केंद्रीय नेताओं ने हाल ही में अपने मंथन में जिन राज्यों पर फोकस करने का फैसला किया है, उनमें झारखंड भी एक है। हालांकि राज्य की 14 में से 12 संसदीय सीटें पार्टी के पास हैं, लेकिन विधानसभा चुनाव की हार पार्टी भूल नहीं सकी है। इसलिए वह कोई रिस्क लेना नहीं चाहती। प्रदेश इकाई को यह बात अच्छी तरह समझा दी गयी है कि किसी भी चुनावी तैयारी में कोई कमी नहीं होनी चाहिए। सांसदों और विधायकों को टास्क समझा दिया गया है। केंद्रीय नेताओं के इसी निर्देश के आलोक में कार्यसमिति की बैठक आनेवाले दिनों में अपनायी जानेवाली रणनीति पर गंभीर मंथन करेगी।

दूसरों से अलग है भाजपा की कार्यशैली
लेकिन झारखंड भाजपा के इस आयोजन के विश्लेषण से पहले यह जानना भी दिलचस्प है कि दुनिया की सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी हर विषय को इतनी गंभीरता से कैसे लेती है। दरअसल भाजपा ने तकनीक और प्रबंधन की आधुनिक शैली अपना कर खुद को दुनिया का सबसे बड़ा राजनीतिक दल बना लिया है। कभी महज दो सीटों पर जीत हासिल करनेवाली पार्टी आज केंद्र के साथ देश के 18 प्रदेशों में शासन कर रही है, तो इसके पीछे जरूर ही कोई रणनीति है। जानकारों का कहना है कि भाजपा अपने लक्ष्य से कभी नहीं भटकती। इसलिए 2019 में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में लगातार दूसरी बार गैर-कांग्रेसी सरकार के शपथ ग्रहण के बाद कहा जाने लगा था कि भाजपा का असली लक्ष्य तो 2024 है। इसलिए बिहार में सबसे अधिक सीटें जीतने के बावजूद भाजपा ने सीएम की कुर्सी नीतीश को सौंप दी और अब वह अपने मिशन में जुट गयी है।

यह सुनने में जरा अटपटा लगता है कि ढाई साल पहले से ही कोई दल चुनाव की तैयारी में जुट जाये, लेकिन भाजपा इसे सामान्य प्रक्रिया मानती है। भाजपा अगले पांच साल का अपना एजेंडा तय कर कार्ययोजना बनाती है। राजनीतिक हलकों में कहा जाता है कि भाजपा हमेशा आगे का सोचती है, इसलिए वह दूसरों से आगे रहती है। दूसरी पार्टियां जहां मानती हैं कि 2024 के आम चुनाव में अभी ढाई साल का लंबा वक्त है, वहीं भाजपा इसे ‘सिर्फ’ ढाई साल मानती है और यही सोच उसकी सफलता का मूल मंत्र है।

राज्यसभा चुनाव
भाजपा प्रदेश कार्यसमिति की बैठक में इसी रणनीति की पृष्ठभूमि में राज्य की वर्तमान राजनीतिक स्थिति पर विचार किया जाना है। भ्रष्टाचार और दूसरे मुद्दों पर लगातार सत्ता पक्ष को घेरने की रणनीति बनायी जायेगी। लेकिन सबसे पहले शायद राज्यसभा की दो सीटों पर 10 जून को होनेवाले चुनाव पर मंथन होगा। मुख्तार अब्बास नकवी और महेश पोद्दार के रिटायर होने के कारण खाली हुई इन सीटों पर भाजपा एक बार फिर बाजी मारना चाहेगी, लेकिन 2020 में हुए चुनाव से उसने बहुत कुछ सीखा है।
पार्टी जानती है कि इस बार भी वह विपक्ष में है। इसलिए वह अपना हर कदम फूंक-फूंक कर तो उठायेगी ही, अपने आक्रामक रवैये से सत्ता पक्ष को भी रक्षात्मक मुद्रा में ही रखेगी। वैसे भाजपा की यह बैठक मुख्य रूप से राजनीतिक एजेंडे को लेकर ही है और उसका फोकस है 2024 का आम चुनाव। वैसे झारखंड के जो राजनीतिक हालात हैं, उसे देखते हुए भाजपा किसी भी परिस्थिति से निबटने के लिए अपने को तैयार कर रही है।

संभावित राजनीतिक अस्थिरता
भाजपा की नजर झारखंड के राजनीतिक हालात पर ज्यादा हैं। वह राज्य में संभावित राजनीतिक अस्थिरता के मद्देनजर अपनी रणनीति तैयार करेगी। हालांकि यह महज एक अनुमान है, लेकिन सत्ता पक्ष की इस समय भ्रष्टाचार के मुद्दे पर जिस तरह चौतरफा घेरेबंदी भाजपा ने की है, उसने एक आशंका को तो जन्म दे ही दिया है। ऐसे में पार्टी का मानना है कि मध्यावधि चुनाव समेत दूसरे तमाम सियासी विकल्पों पर अभी से ही तैयारी कर ली जाये। पार्टी की प्रदेश कार्यसमिति इस मुद्दे को भी ध्यान में रखेगी।

इसी को ध्यान में रखते हुए भाजपा बूथ स्तर पर अपने कार्यकर्ताओं को तैयार कर रही है और उन्हें काम भी सौंप दिया गया है। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष दीपक प्रकाश, भाजपा विधायक दल के नेता बाबूलाल मरांडी और संगठन महामंत्री लगातार अलग-अलग जिलों में पार्टी कार्यकर्ताओं के साथ बैठकें कर रहे हैं और उनमें जोश और जज्बा भर रहे हैं। पिछले विधानसभा चुनाव में झारखंड में भाजपा को मिली करारी हार से हताश कार्यकर्ताओं के मन से निराशा का भाव हटाना भी पार्टी संगठन की रणनीति का एक हिस्सा है।

संगठनात्मक मुद्दे
पार्टी की प्रदेश इकाई को इस बात का इल्म है कि वह विपक्ष में है और इसलिए उसे अतिरिक्त सतर्क होकर काम करना होगा। विधानसभा चुनाव के बाद जिस तरह उसके बिखरने की आशंका जतायी जा रही थी, वैसा कुछ नहीं हुआ। पिछले ढाई साल में पार्टी को कोई ऐसा नुकसान भी नहीं हुआ है। लेकिन पार्टी नेताओं को ताकीद कर दी गयी है कि इस मुद्दे पर कोई ढील नहीं होनी चाहिए। संगठन की मजबूती के लिए हर वह उपाय करना होगा, ताकि विपक्ष को इस मोर्चे पर मात दी जा सके। प्रदेश कार्यसमिति संगठन के मुद्दे पर शायद यही रणनीति बनायेगी।
इस तरह झारखंड प्रदेश कार्यसमिति की यह बैठक कई मायनों में बेहद महत्वपूर्ण होगी। इसमें लिये गये फैसलों से राज्य की आनेवाली राजनीति प्रभावित होगी, इसलिए इन फैसलों पर पूरे राज्य की नजर है। इस बैठक में पार्टी की तरफ से मांडर में होनेवाले उपचुनाव के बारे में भी रणनीति बनेगी। भाजपा चाहेगी कि मांडर में वह सत्ता पक्ष को मात दे।

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