विशेष
-इस बार धनपशुओं पर हुई है कायदे की सर्जिकल स्ट्राइक
-आम जनता के साथ अर्थव्यवस्था पर नहीं होगा कोई असर
-इस फैसले से काला धन रखनेवालों की आ गयी है शामत

मोदी सरकार ने देश में काला धन रखनेवालों पर एक और सर्जिकल स्ट्राइक की है। शुक्रवार को जिस समय प्रधानमंत्री मोदी द्वितीय विश्वयुद्ध में परमाणु बम से तबाह हुए जापान के हिरोशिमा शहर में कदम रख रहे थे, भारतीय रिजर्व बैंक दो हजार रुपये के नोट जमा रखनेवालों पर अपने फैसले का बम बरसा रहा था। वास्तव में दो हजार रुपये के नोट को वापस लेने का फैसला मोदी सरकार के काले धन के खिलाफ शुरू की गयी सर्जिकल स्ट्राइक का दूसरा अध्याय है। इसका पहला अध्याय साढ़े छह साल पहले 8 नवंबर, 2016 को लिखा जा चुका है। दो हजार के नोट को वापस लेने के सरकार के फैसले से अब बाकी काला धन भी वापस आयेगा। जब साल 2016 में केंद्र सरकार ने एक हजार और पांच सौ के नोटों को बंद कर दो हजार रुपये के नोट जारी किये थे, तभी यह तय था कि इसे ज्यादा समय तक नहीं चलन में रखा जायेगा। मोदी सरकार के नोटबंदी के पहले फैसले की भी खूब आलोचना हुई थी, लेकिन आम लोगों को यह फैसला इतना पसंद आया था कि उन्होंने मोदी सरकार को 2019 में ऐतिहासिक समर्थन दिया। इस बार आर्थिक विशेषज्ञ कह रहे हैं कि दो हजार के नोट वापस लेने के फैसले का आम लोगों पर कोई असर नहीं होगा, बल्कि इससे सबसे अधिक प्रभावित वे लोग होंगे, जिन्होंने ये नोट छिपा कर रखे हैं। इसलिए मोदी सरकार के इस फैसले को मास्टर स्ट्रोक कहा जा रहा है। दो हजार के नोट को वापस लेने के फैसले से जुड़े विभिन्न पहलुओं को सामने ला रहे हैं आजाद सिपाही के विशेष संवाददाता राकेश सिंह।

19 मई, 2023 को भारत में गर्मियों के शुरूआती दिनों की एक आम शाम पूर्व की तरह बीत रही थी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दूसरे विश्वयुद्ध के दौरान परमाणु बम के हमले से तबाह हुए जापान के नागासाकी शहर में थे और इधर देश की आर्थिक राजधानी में भारतीय रिजर्व बैंक उनकी सरकार के दूसरे सबसे बड़े आर्थिक फैसले का एलान कर रहा था, जिसका एकमात्र उद्देश्य धनपशुओं को तबाह करना था। रिजर्व बैंक ने दो हजार रुपये के नोट को वापस लेने की घोषणा कर उन लोगों की नींद उड़ा दी, जिन्होंने काले धन के रूप में इन गुलाबी नोटों को जमा कर रखा है। मोदी सरकार की यह सर्जिकल स्ट्राइक भारत के धनपशुओं को उसी तरह तबाह करनेवाली है, जिस तरह अमेरिकी परमाणु बम ने हिरोशिमा को तबाह किया था।
साढ़े छह साल में ही दूसरी बार नोटबंदी के इस फैसले की अधिकतर देशवासियों ने सराहना की है। लोगों का कहना है कि अब दो हजार रुपये के नोट को चलन से बाहर करने के आदेश के बाद सही मायने में नोटबंदी का उद्देश्य पूरा हुआ है। हाल के दिनों में कई घटनाओं में कालाधन रखने के लिए दो हजार रुपये के नोटों के इस्तेमाल का खुलासा हुआ है। 2019 से ही रिजर्व बैंक ने भी इसको छापना बंद कर दिया था। आम लोगों के पास अब बहुत कम ही दो हजार के नोट बचे थे, लेकिन बड़ी संख्या में लोगों के पास अब भी दो हजार के नोटों के रूप में काला धन जमा है। सरकार के इस फैसले से अब बाकी काला धन भी वापस आयेगा। जब साल 2016 में रिजर्व बैंक ने एक हजार और पांच सौ के नोटों को बंद कर दो हजार रुपये के नोट जारी किये थे, तभी यह तय था कि दो हजार रुपये के नोटों को ज्यादा समय तक चलन में नहीं रखा जायेगा। मोदी सरकार ने इसी रणनीति के तहत काम किया और इस तरह नोटबंदी का एक चक्र पूरा हो गया है।

भाजपा सरकार में पहली बार नोटबंदी
पीएम नरेंद्र मोदी ने 8 नवंबर 2016 को पांच सौ और एक हजार रुपये के नोटों को बंद करने का एलान किया था। इसके बाद भारतीय रिजर्व बैंक ने दो हजार रुपये के नोट को सितंबर, 2023 के बाद चलन से बाहर करने की घोषणा की है। रिजर्व बैंक ने आम लोगों को 30 सितंबर तक दो हजार रुपये के नोट को बदल लेने या बैंक में जमा कर देने को कहा है। रिजर्व बैंक के निर्देश से साफ है कि दो हजार रुपये के नोट अभी वैध बने रहेंगे, लेकिन हो सकता है कि बाजार में इसके माध्यम से लेन-देन में दिक्कतें आयें। ऐसे में आसान तरीका यही है कि लोग बैंक जाकर ही नोट बदलवा लें। अभी नोट बदलवाने के लिए चार महीने का वक्त दिया गया है, जो पर्याप्त है। रिजर्व बैंक का कहना है कि यह एक रूटीन कवायद है और इससे लोगों को घबराने की जरूरत नहीं है।

काला धन पर सरकार का फिर से प्रहार
हाल की घटनाओं पर नजर डालें, तो साफ हो जाता है कि लोग अब काला धन रखने के लिए दो हजार रुपये के नोटों का प्रयोग करने लगे थे। इसे सरकार भी मानती है। 2019 से ही रिजर्व बैंक ने दो हजार के नोटों को छापना बंद कर दिया था। आम लोगों के पास अब बहुत कम ही दो हजार के नोट बचे थे, लेकिन बड़ी संख्या में ऐसे लोग थे, जिहोंने इन दो हजार के नोटों का इस्तेमाल काली कमाई रखने और काला धन रखने में करना शुरू कर दिया था। अब जब रिजर्व बैंक ने इन नोटों को बंद करने का एलान कर दिया है, तो साफ है कि एक बार फिर से बड़े पैमाने पर काला धन बाहर आयेगा।

आतंकी फंडिंग रोकने के लिए कारगर कदम
2016 में जब पांच सौ और एक हजार के नोट बंद हुए थे, तो आतंकवादियों की फंडिंग में भी बड़ा ब्रेक लगा था। इसी तरह मनी लांड्रिंग भी रुक गयी थी। धीरे-धीरे इस काम में दो हजार के नोटों का इस्तेमाल होने लगा था। अब इस नये आदेश के माध्यम से आतंकवादियों को फंडिंग और मनी लांड्रिंग पर एक बार फिर से सरकार ने कड़ा प्रहार किया है। इतना ही नहीं, दो हजार के नकली नोटों की छपाई भी तेजी से होने लगी थी। ऐसा इसलिए, क्योंकि ये आसानी से बाजार में चलाया जा सकता था। इसकी सप्लाई में ज्यादा दिक्कत नहीं होती थी। अब चूंकि इसे चलन से बाहर किया जा रहा है, तो साफ है कि दो हजार के जितने भी नकली नोट बाजार में होंगे, वे भी साफ हो जायेंगे। इसके अलावा नकली नोटों की छपाई पर भी काफी हद तक ब्रेक लगेगा।

2018 से छपाई थी बंद, अब रोक से उद्देश्य भी पूरा
नोटबंदी के बाद दो हजार रुपये के नोट लाये गये थे। जब दूसरे मूल्य के बैंक नोट पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध हो गये, तब दो हजार रुपये को चलन में लाने का उद्देश्य भी पूरा हो गया। इसलिए 2018 में दो हजार रुपये के नोटों की छपाई भी बंद कर दी गयी। दो हजार रुपये के नोट आमतौर पर लेन-देन में बहुत ज्यादा इस्तेमाल में भी नहीं आ रहे। इसके अलावा अन्य मूल्य के नोट भी आम जनता के लिए चलन में पर्याप्त रूप से मौजूद हैं। इसलिए रिजर्व बैंक की क्लीन नोट पॉलिसी के तहत यह फैसला लिया गया है कि दो हजार रुपये के नोटों को चलन से हटा लिया जाये।
कुल मिला कर दो हजार रुपये के नोट को वापस लेने का फैसला मोदी सरकार की बेहतर पहल है। नोट बदलने जो लोग भी बैंकों में जायेंगे, उन पर सरकार की नजर होगी। अगर अधिक मात्रा में किसी के पास दो हजार के नोट होंगे, तो वह सीधे इडी और आयकर के निशाने पर आ जायेगा। इस तरह सरकार ने एक बार फिर बड़े स्तर पर काला कारोबार खत्म करने के लिए अभियान शुरू किया है, जिसका असर कुछ दिन बाद दिखेगा। इसके अलावा यह भी ध्यान देने की बात है कि दो हजार रुपये के नोट वर्तमान में जनता के हाथों में केवल 10.8 प्रतिशत नगदी का प्रतिनिधित्व करते हैं और संभवत: इसका अधिकांश हिस्सा अवैध लेन-देन के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है। इसलिए इसे वापस लेने के फैसले का दूरगामी सकारात्मक असर होगा।

Share.

Comments are closed.

Exit mobile version