विशेष
-सात समंदर पार तक में हो रहा है भारत का सम्मान
-दुनिया का सबसे ताकतवर शख्स आॅटोग्राफ मांगता है
-कोई पैर छूता है, तो कहीं ‘लिटिल भारत’ शहर बस रहा
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस समय तीन देशों की यात्रा के क्रम में आॅस्ट्रेलिया में हैं, जहां एक दिन पहले एक शहर का नाम बदल कर ‘लिटिल इंडिया’ कर दिया गया है। सिडनी के पास स्थित हैरिस पार्क नामक इस शहर को नया नाम पीएम मोदी की यात्रा के सम्मान स्वरूप दिया गया है। इससे पहले पीएम मोदी की पापुआ न्यू गिनी यात्रा के दौरान वहां के प्रधानमंत्री द्वारा उनके पैर छूने की दुनिया भर में चर्चा हो रही है। जिस तरह पापुआ न्यू गिनी के प्रधानमंत्री ने प्रोटोकॉल तोड़ कर और प्रधानमंत्री मोदी के पैर छूकर भारतीय प्रधानमंत्री का स्वागत किया, वह अकल्पनीय है। ऐसा भारतीय इतिहास में ही नहीं, बल्कि विश्व इतिहास में भी कभी नहीं हुआ। आज का सर्वविदित सत्य यह है कि प्रधानमंत्री मोदी लोकप्रियता के शिखर पर हैं और अब इस बात को उनके विरोधी भी मानने लगे हैं, भले ही विरोध की राजनीति प्रत्यक्ष रूप से उन्हें इस बात को स्वीकार करने से रोक रही हो। जिस तरह अमेरिकी राष्ट्रपति ने प्रधानमंत्री मोदी से आॅटोग्राफ मांगा और कहा कि ‘यकीन कीजिये, आप बेहद लोकप्रिय हैं। फिल्म एक्टर और मेरे रिश्तेदार भी उस रात्रि भोज का हिस्सा बनाना चाहते हैं, जो हम आपके सम्मान में देनेवाले हैं’, इससे साबित होता है कि आज दुनिया भारतीय प्रधानमंत्री की मुरीद बन चुकी है। पिछले नौ साल में प्रधानमंत्री मोदी ने विश्व मंच पर देश का गौरव बढ़ाने में अग्रणी भूमिका निभायी है, जो काबिले तारीफ है। वैश्विक मंच पर भारत ने पिछले नौ साल में जो स्थान हासिल किया है, वह मामूूली नहीं है। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की अध्यक्षता से लेकर जी 20 की अध्यक्षता तक और फिर दुनिया के सबसे ताकतवर समूह जी-7 के शिखर सम्मेलन में विशेष आमंत्रित की हैसियत से भाग लेकर पीएम मोदी ने भारत को दुनिया के कूटनीतिक नेता के रूप में स्थापित कर दिया है। पीएम मोदी की इस उपलब्धि के बारे में विस्तार से बता रहे हैं आजाद सिपाही के विशेष संवाददाता राकेश सिंह।
दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र और सबसे बड़ी आबादी वाला देश वैश्विक मंच पर इतना ताकतवर और प्रभावशाली इससे पहले कभी नहीं था। आज विश्व पटल पर भारत के दबदबे का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि दुनिया भर में भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की स्वीकार्यता लगातार बढ़ रही है। दुनिया का प्रत्येक राष्ट्र प्रमुख प्रधानमंत्री मोदी से मिलना चाहता है, उन्हें सुनना चाहता है। दुनिया का सबसे ताकतवर शख्स, यानी अमेरिका का राष्ट्रपति उनका आॅटोग्राफ मांगता है, तो इंग्लैंड का प्रधानमंत्री उनसे कहता है कि वह उनकी नीतियों पर चलना चाहता है। अमेरिका से लेकर यूरोप और अफ्रीका से लेकर आॅस्ट्रेलिया तक जिस तरह पीएम मोदी ने भारत का परचम लहराया है, वह असाधारण कूटनीतिक सफलता है। इसलिए ग्लोबल लीडर रेटिंग में इस बार भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी टॉप पर हैं। एक सर्वे में प्रधानमंत्री मोदी को दुनिया का सबसे लोकप्रिय नेता माना गया है। इस सर्वे में अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन छठे और ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक 10वें स्थान पर हैं। इस रेटिंग में प्रधानमंत्री मोदी 78 प्रतिशत लोगों की पहली पसंद बने हुए हैं।
पीएम मोदी इस समय अपने तीन देशों की यात्रा के क्रम में आॅस्ट्रेलिया में हैं, जहां उनके सम्मान में हैरिस पार्क शहर का नाम ही ‘लिटिल इंडिया’ कर दिया गया है। दुनिया में यह पहला मौका है, जब किसी देश की सरकार ने किसी दूसरे देश के नाम पर अपने यहां किसी शहर का नाम रखा है। जापान के हिरोशिमा में जी-7 और क्वाड बैठकों में भारत का डंका बजाने के बाद भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को दो देशों ने सर्वोच्च सम्मान से नवाजा है। पीएम मोदी को पापुआ न्यू गिनी और फिजी के शीर्ष नेताओं ने वैश्विक नेतृत्व के लिए यह सम्मान दिया है। इन देशों ने स्वीकारा कि पीएम मोदी ने संकट के वक्त दुनिया का नेतृत्व किया और कोरोना के वक्त कई देशों को संभाला। इससे पहले जी-7 सम्मेलन के दौरान अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने पीएम मोदी के पास जाकर उन्हें गले लगाया और आॅटोग्राफ मांगा था। बाइडेन ने पीएम मोदी से कहा था कि हमारे देश में आपके कई चाहने वाले हैं, इसलिए मेरे साथ डिनर का निमंत्रण स्वीकार कीजिए।
यदि कूटनीतिक मोर्चे पर पीएम मोदी के नौ साल के कार्यकाल की उपलब्धियों की सूची बनायी जाये, तो यह बहुत लंबी हो जायेगी। इस अवधि में भारत की उपलब्धियां वर्षों तक याद की जायेंगी। इस अवधि में देश ने कई क्षेत्रों में बड़े-बड़े मुकाम हासिल किये, जिससे दुनिया भर में भारत की साख और बढ़ी है। लेकिन दुर्भाग्य यह है कि भारत की इन उपलब्धियों पर भारत के विपक्षी दलों को गर्व का एहसास तक नहीं होता। उन्हें भारतीय जमीन पर विदेशी घुसपैठ की खबर पहले जरूर मिलती है, लेकिन विदेश के किसी शहर का नाम ‘लिटिल इंडिया’ रखे जाने पर उन्हें गर्व का अनुभव नहीं होता। ये दल सत्ता के लोभ में इतने विघ्नसंतोषी हो चुके हैं कि इन्हें विदेशों में अपने प्रधानमंत्री का सम्मान दिखाई ही नहीं पड़ता। वे यह नहीं देखते कि अमेरिका का राष्ट्रपति दुनिया भर के नेताओं को छोड़ कर भारत के प्रधानमंत्री से गले मिलने पहुंचता है, एक संप्रभु देश का प्रधानमंत्री हवाई अड्डे पर भारतीय प्रधानमंत्री का पैर छूकर अभिवादन करता है, तो एक देश का प्रधानमंत्री भारतीय प्रधानमंत्री से मिलने की खातिर तीसरे देश तक पहुंच जाता है।
पिछले नौ साल के दौरान हर क्षेत्र में भारत का दमखम देखने को मिला। ये साल वाकई में कई मायनों में बहुत ही प्रेरक और अद््भुत रहे। अर्थव्यवस्था से लेकर अंतरिक्ष तक, रक्षा से लेकर अंतरराष्ट्रीय कूटनीति तक भारत ने जो कामयाबी हासिल की है, आज उन कामयाबियों का जिक्र यहां करना जरूरी है। भारत अभी दुनिया के 20 ताकतवर देशों के संगठन जी-20 का अध्यक्ष है और इस साल इस संगठन के शिखर सम्मेलन की मेजबानी करेगा। इस साल सितंबर में जी-20 के सदस्य देशों के राष्ट्राध्यक्ष नयी दिल्ली में जुटेंगे। जी-20 की अध्यक्षता भारत के लिए न सिर्फ गौरव की बात है, बल्कि इससे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत का कद बढ़ेगा, राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इसके कई फायदे भी होंगे। इसके अलावा भारत इस समय शंघाई सहयोग संगठन का भी अध्यक्ष है। चीन, रूस, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, ताजिकिस्तान, उज्बेकिस्तान और पाकिस्तान जैसे सात देशों के साथ भारत एससीओ का पूर्णकालिक सदस्य देश है। इस समूह के सदस्य देश हर साल शिखर सम्मेलन में जुटते हैं, जिसका मकसद क्षेत्रीय सुरक्षा के साथ ही सीमा से जुड़े मुद्दों का हल, आतंकवाद के खिलाफ रणनीति और क्षेत्रीय विकास को बढ़ावा देना है। इतना ही नहीं, भारत को पहली बार संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की आतंकवादी निरोधी कमेटी की बैठक की मेजबानी का मौका हासिल हुआ। 2015 के बाद यह पहला मौका था, जब यह बैठक न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र के मुख्यालय से बाहर किसी दूसरी जगह पर बुलायी गयी थी। बैठक में भारत ने आतंकवाद से जुड़े मुद्दों पर ना सिर्फ दुनिया का ध्यान खींचा, बल्कि बैठक के बाद भविष्य की रणनीति को लेकर घोषणा पत्र भी जारी किया गया। आतंकवाद के खिलाफ रणनीति के लिए भारत का चुना जाना अंतरराष्ट्रीय कूटनीति के लिहाज से बेहद बड़ी कामयाबी है।
कुल मिला कर कूटनीतिक मोर्चे पर, जहां पोशाक के रंग से लेकर अभिवादन के तरीके तक का अपना महत्व और मतलब है, पीएम मोदी की लोकप्रियता का लगातार बढ़ना भारत की विदेश नीति की सफलता का सूचक है। यह प्रत्येक भारतवासी के लिए गर्व की बात तो होनी ही चाहिए, राजनीति के मैदान का जरूरी मुद्दा भी होना चाहिए।