रांची। झारखंड सरकार के ग्रामीण विकास विभाग में 3000 करोड़ के प्रोसिड ऑफ क्राइम का खुलासा करने वाली केंद्रीय एजेंसी इडी की जांच में झारखंड सरकार के दो मंत्री समेत दर्जनभर विधायकों के नाम सामने आने की बात कही जा रही है। इडी के अधिकारियों के मुताबिक, बारी-बारी से इन नेताओं का बयान दर्ज किया जाएगा। ग्रामीण विकास विभाग के टेंडर में हुई कमीशनखोरी में कुछ ऐसे विधायकों का भी नाम आया है. जो पूर्व में अलग-अलग मामलों में इडी के रडार पर रह चुके हैं। इडी ने जांच में पाया है कि मंत्री आलमगीर आलम के जरिए इन नेताओं ने ठेकों का आवंटन कराया। इन ठेकों में भी कमीशनखोरी होने का खुलासा एजेंसी की जांच में हुआ है।
इधर, इडी चार साल में ग्रामीण विकास विभाग के सभी ठेकों की स्कैनिंग कर रही है। कई ठेकों की पैरवी के लिए विधायकों के पत्र और उसके आवंटन की जानकारी व कमीशनखोरी के रिकार्ड मिलने के बाद इडी ने राज्य सरकार से ग्रामीण विकास व ग्रामीण कार्य विभाग के प्रत्येक ठेकों और इससे भुगतान की जानकारी के लिए पत्र लिखने की बात भी कही है। इडी ने गुरुवार को भी इस मामले में ग्रामीण विकास मंत्री आलमगीर आलम से पूछताछ की। वहीं अबतक इस मामले मैं एक दर्जन से अधिक इंजीनियरों और ठेकेदारों का बयान दर्ज किया जा चुका है।
इडी की जांच में इस बात के साक्ष्य मिले हैं कि राज्य में जल संसाधन विभाग के सचिव स्तर के एक अधिकारी ने एक इंजीनियर से तबादला रोकने के लिए दस लाख रुपये घूस लिए थे। इस भुगतान को लेकर हुई चैट को भी इडी ने हासिल किया है। सचिव स्तर के अधिकारी को इंजीनियर ने ग्रामीण विकास विभाग में एक्सटेंशन पर बने रहने के लिए पैसे दिए थे। ये पैसे जमशेदपुर में रहने वाले एक इंजीनियर से लिए गए थे।