बलिया। बलिया संसदीय सीट पर मोदी फैक्टर कितना कारगर होगा, यह तो चार जून को ही पता चलेगा। एक जून को 19 लाख मतदाताओं द्वारा किए जाने वाले मतदान में एक ओर जहां भाजपा मोदी के करिश्माई नेतृत्व के भरोसे समर्थन की उम्मीद पाले हैं। वहीं, विपक्षी इंडी गठबंधन को बाजी पलटने की उम्मीद है।
बलिया वह सीट है जो हर लोकसभा चुनाव में सुर्खियां बटोरती रही है। आजादी के बाद हुए पहले चुनाव में यहां कांग्रेस से मदन मोहन मालवीय के बेटे गोविंद मालवीय की जगह निर्दलीय मुरली मनोहर को जीत मिली थी। तब पूरे देश में कांग्रेस की तूती बोलती थी। इसके बाद लगातार चार चुनाव कांग्रेस जीतती रही। 1977 में कांग्रेस की जीत पर चन्द्रशेखर ने ब्रेक लगाया। 1984 को छोड़कर वे 2004 तक आठ बार सांसद चुने गए। उनके निधन के बाद बेटे नीरज शेखर को बलिया की जनता ने संसद भेजा। 2009 के आम चुनाव में भी उन्हें जीत मिली। लेकिन मोदी लहर में 2014 में नीरज शेखर हार गए और भाजपा के भरत सिंह जीत कर संसद पहुंचे। 2019 में भाजपा ने चेहरा बदलकर लगातार दूसरी बार जीत हासिल की। तब भाजपा के वीरेन्द्र सिंह मस्त ने सपा के सनातन पाण्डेय को पंद्रह हजार वोटों से पराजित किया था। 2024 में भाजपा ने एक बार फिर चेहरा बदल दिया है। इस बार राज्यसभा सांसद नीरज शेखर भाजपा से उम्मीदवार हैं, जबकि उनके मुकाबले सपा ने सनातन पाण्डेय पर ही दोबारा भरोसा जताया है। सपा ने इस बार यादव-मुस्लिम के साथ ब्राह्मण वोटरों में सेंधमारी की कोशिश की है। उधर, भाजपा राजपूत और भूमिहार वोटरों के साथ ही मोदी फैक्टर के भरोसे है। वहीं, मोदी सरकार में बलिया तक ग्रीनफील्ड एक्सप्रेस वे के जरिये पूर्वांचल एक्सप्रेस वे की पहुंच के अलावा लाभार्थीपरक योजनाओं का असर इस चुनाव में हुआ तो भाजपा के लिए जीत आसान हो सकती है। यहां बसपा ने गाजीपुर निवासी लल्लन सिंह यादव को उम्मीदवार बनाकर यादव, दलित और मुस्लिम वोटरों को पाले में कर जीत हासिल करने का दांव चला है। बसपा इस गणित के भरोसे भाजपा और सपा को कितनी टक्कर दे पाती है यह एक जून को मतपेटिका में बंद हो जाएगा। वैसे बलिया संसदीय सीट के मतदाताओं में मोदी फैक्टर कारगर दिख रहा है।
दौलतपुर निवासी किसान संतोष सिंह की मानें तो मोदी सरकार में किसानों को जो सम्मान मिला है, इस चुनाव में भाजपा को इसका लाभ जरुर मिलेगा। बघौना के मोहन राय बताते हैं कि मुद्रा लोन और पीएम आवास जैसी योजनाओं का भी असर है। योजनाओं का लाभ ले चुके वोटरों के दिल में मोदी बसते हैं। विपक्ष के पास इसका कोई काट अभी तक नहीं दिख रहा है।
चुनाव से एक दिन पहले सुबह करीब सात बजे शहर के मिड्ढी चौराहे पर चाय की दुकान पर दर्जन भर लोग चाय पी रहे थे। चर्चा का केंद्र कल होने वाला मतदान ही था। चाय की चुस्की के साथ शिवजी चंदेल ने कहा कि हमें तो बस यही देखना है कि देश की शान दुनिया में कौन बढ़ाया है। वहीं, आदित्य तिवारी ने भी कहा कि मोदी से देश की धाक बढ़ी है। इसके बाद कमलेश राय ने भी उनके सुर में सुर मिलाते हुए कहा कि मोदी हैं तो सनातन धर्म बचा हुआ है। इंडी वाले आएंगे तो देश में हर चीज पर मुसलमानों को तरजीह देंगे। हालांकि वहीं, मौजूद कुछ लोग इंडी गठबंधन की भी जीत का दावा करते दिखे।
बलिया के अब तक के सांसद
1952 – मुरली मनोहर (निर्दलीय)
1957 – राधामोहन सिंह (कांग्रेस)
1962 – मुरली मनोहर (कांग्रेस)
1967 – चंद्रिका प्रसाद (कांग्रेस)
1971 – चंद्रिका प्रसाद (कांग्रेस)
1977 – चन्द्रशेखर (जनता पार्टी)
1980 – चन्द्रशेखर (जनता पार्टी)
1984 – जगन्नाथ चौधरी (कांग्रेस)
1989 – चन्द्रशेखर (जनता दल)
1991 – चन्द्रशेखर (सजपा रा)
1996 – चन्द्रशेखर (सजपा रा)
1998 – चन्द्रशेखर (सजपा रा)
1999 – चन्द्रशेखर (सजपा रा)
2004 – चन्द्रशेखर (सजपा रा)
2007 – नीरज शेखर (सपा)
2009 – नीरज शेखर (सपा)
2014 – भरत सिंह (भाजपा)
2019 – वीरेन्द्र सिंह मस्त (भाजपा)