रांची। झारखंड विधानसभा में नियुक्ति गड़बड़ी मामले में शिव शंकर शर्मा जनहित याचिका की सुनवाई झारखंड हाइकोर्ट में गुरुवार को हुई। मामले में राज्य सरकार और विधानसभा की ओर से सीलबंद रिपोर्ट कोर्ट में प्रस्तुत की गयी। इस पर सुनवाई के लिए कोर्ट ने 11 जून की तिथि निर्धारित की है।
पिछली सुनवाई में कोर्ट ने राज्य सरकार और झारखंड विधानसभा से पूछा था कि जस्टिस विक्रमादित्य प्रसाद की रिपोर्ट में क्या त्रुटियां थीं, जिसके कारण दूसरा आयोग बनाने की नौबत आयी। सुनवाई के दौरान गवर्नर की ओर से कोर्ट को बताया गया था कि चूंकि इस मामले में विधानसभा कार्यालय की संलिप्तता थी। इसलिए हाइकोर्ट को पत्र लिखा गया था।
इसके बाद लोकनाथ प्रसाद की अध्यक्षता वाली वन मैन कमेटी बनी थी, उनके इस्तीफा के बाद जस्टिस विक्रमादित्य प्रसाद की अध्यक्षता वाली वन मैन कमेटी बनी थी। इस कमेटी के बाद एसजे मुखोपाध्याय आयोग बनाने के संबंध में गवर्नर को कोई जानकारी नहीं दी गयी थी और न ही इस आयोग को बनाने में गवर्नर की अप्रूवल था।
क्या है मामला
प्रार्थी के अधिवक्ता की ओर से पूर्व की सुनवाई में कोर्ट को बताया गया था कि मामले की जांच को लेकर पहले जस्टिस विक्रमादित्य प्रसाद की अध्यक्षता वाली वन मैन कमिशन बनी थी। इसने मामले की जांच कर राज्यपाल को वर्ष 2018 में रिपोर्ट सौंपी थी। इसके आधार पर राज्यपाल ने विधानसभा अध्यक्ष को एक्शन लेने का निर्देश दिया था, लेकिन वर्ष 2021 के बाद से अब तक कोई एक्शन नहीं लिया गया है। राज्यपाल के दिशा-निर्देश के बावजूद भी विधानसभा अध्यक्ष द्वारा इस मामले को लंबा खींचा जा रहा है। मामले में देरी होने से गलत तरीके से चयनित होने वाले कर्मी रिटायर हो जायेंगे।