विशेष
‘मोदी बनाम एंटी मोदी’ के आगे एक-एक कर ध्वस्त हो रहे हैं स्थानीय मुद्दे
प्रचार अभियान में सुदेश के उतरने से अर्जुन मुंडा को मिला बड़ा सहारा
इस बार भी ‘टाइट’ होनेवाला है खूंटी लोकसभा सीट का चुनावी मुकाबला
खूंटी लोकसभा सीट झारखंड की सभी 14 सीटों में से खासी चर्चित सीट है, क्योंकि यहां केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा भाजपा की तरफ से लगातार दूसरी बार उम्मीदवार हैं। इस सीट पर 2019 में बहुत ही टाइट फाइट हुई थी। अर्जुन मुंडा ने इस सीट को मात्र 1445 वोटों के अंतर से जीता था। जब से लोकसभा चुनाव का आगाज हुआ है, तभी से यह सीट चर्चा के केंद्र बनी हुई है। इस बार भी यहां टाइट फाइट की उम्मीद है। इस सीट पर दो प्रमुख प्रत्याशियों एनडीए से अर्जुन मुंडा और इंडी गठबंधन से कालीचरण मुंडा ताल ठोंक रहे हैं। दोनों प्रत्याशियों का जनाधार इस क्षेत्र में खासा मजबूत है। कोई भी किसी से कम नहीं है। शुरूआती दौर में खूंटी स्थानीय मुद्दों को लेकर मुखर था, लेकिन जैसे-जैसे मतदान की तारीख नजदीक आ रही है, यहां स्थानीय मुद्दा गौण होता दिख रहा है। यहां का चुनाव अब ‘मोदी बनाम एंटी मोदी’ हो गया है, यानी राष्टÑीय मुद्दा खूंटी में हावी है। वैसे भी लोकसभा का चुनाव राष्ट्रीय मुद्दों पर ही आधारित रहता है। इस लोकसभा सीट पर शुरूआती दौर में अर्जुन मुंडा को लेकर कुछ नाराजगी थी, जिसे खुद अर्जुन मुंडा ने महसूस भी किया। वह सभाओं में मान भी रहे हैं कि भले उनका क्षेत्र में दौरा कम रहा, लेकिन उन्होंने कभी भी खूंटी को अपमानित करनेवाला काम नहीं किया। वह केंद्र में रहे, लेकिन उनके दिल में सदा खूंटी रही। उन्होंने खूंटी के लिए बहुत से विकास कार्य किये। सबसे बड़ी बात तो यह रही कि केंद्र की सभी योजनाओ का लाभ ग्रामीणों को मिल रहा है, जिसे ग्रामीण भी स्वीकार रहे हैं। अर्जुन मुंडा ने खूंटी लोकसभा में सौर ऊर्जा के क्षेत्र में बेहतरीन काम किया है, भारत पेट्रोलियम का भी संयंत्र यहां बना है। नल-जल योजना का लाभ ग्रामीणों को मिल रहा है। उन्होंने तमाड़ में एग्रो रिचर्स भी शुरू करवाया है। उनकी कोशिश है कि खूंटी के हर ब्लॉक में कस्तूरबा गांधी विद्यालय की स्थापना हो। आजाद सिपाही की टीम ने बुंडू-तमाड़ के गावों का कई बार दौरा किया। चूंकि तमाड़ विधानसभा खूंटी लोकसभा का डिसाइडिंग फैक्टर रहा है, तो यहां का मिजाज बहुत मायने रखता है। शुरूआती दौरे और हाल के दौरों में इस क्षेत्र में प्रत्याशियों को लेकर बहुत फर्क दिखाई पड़ रहा है, जिसे साझा करना जरूरी भी है। वैसे अब आजसू भी पूरे तरीके से तैयार दिख रही है। सुदेश महतो ने खुद इस इलाके की कमान संभाल ली है। उनका मानना भी है कि हम एक ही परिवार हैं और कोई तीसरा परिवार के बीच में आये, वह होने नहीं दिया जायेगा। मंगलवार को बुंडू में हुई आजसू कार्यकर्ताओं की बैठक में सुदेश महतो ने कहा कि कार्यकर्ताओं की यह शिकायत थी कि अर्जुन मुंडा ने क्षेत्र में कम समय दिया है। लेकिन इसके पीछे ठोस कारण भी है। दो साल तक कोरोना काल, कुछ दिनों तक अर्जुन मुंडा का स्वास्थ्य खराब होना और तीसरा केंद्र में महत्वपूर्ण मंत्रालय का भार एक बड़ा कारण रहा, उनकी कम उपस्थिति का। उन्होंने कहा कि आप लोगों की कुछ शिकायतें जायज हैं, लेकिन उन शिकायतों का सम्मानपूर्ण हल अर्जुन मुंडा ही करेंगे, हम यह आपको पक्का आश्वासन देते हैं। इस सभा में कुछ ऐसे प्रभावशाली लोग भी शामिल हुए, जो पिछली बार पूरी तरह से खिलाफ थे। सुदेश महतो के खुद मैदान में आने से यहां की स्थिति अर्जुन मुंडा के पक्ष में और सुधरेगी। सुदेश महतो ने तगड़ी टीम तैयार की है और पूरी शिद्दत के साथ एनडीए गठबंधन के प्रचार अभियान को धार देने में लगे हैं। फिलहाल क्या है खूंटी लोकसभा के बुंडू-तमाड़ में प्रत्याशियों को लेकर माहौल, बता रहे हैं आजाद सिपाही के विशेष संवाददाता राकेश सिंह।
मंगलवार को आजाद सिपाही की टीम ने खूंटी लोकसभा क्षेत्र के तमाड़ विधानसभा क्षेत्र के कुछ गावों का दौरा किया। ये गांव चुनावी परिदृश्य को लेकर बहुत महत्ववूर्ण भी हैं। ये गांव नक्सल प्रभावित भी रहे हैं। रमेश सिंह मुंडा हत्याकांड के भी गवाह ये गांव रहे हैं। सबसे पहले हम बात करेंगे तिरुलडीह गांव की।
जागरूक हैं तिरुलडीह गांव के लोग
जब हम इस गांव के लिए निकले, तो देखा कि अर्जुन मुंडा का भी काफिला इसी गांव की ओर बढ़ रहा था। सो हमने भी अपनी गाड़ी उनके काफिले के पीछे लगा दी। तिरुलडीह में अर्जुन मुंडा की सभा होनी थी। इस गांव में अर्जुन मुंडा का पारंपरिक तरीके से स्वागत हुआ। ढोल-नगाड़ों और नारों के साथ अर्जुन मुंडा के समर्थकों ने उनका स्वागत किया। अर्जुन मुंडा को सुनने काफी ग्रामीण आये हुए थे। यहां एक बात जो मैंने नोटिस किया, वह यह कि यहां सड़क बहुत अच्छी थी, बिजली भी गांव में थी, करीब-करीब गांव के सभी घरों के बाहर 100 वाट का बल्ब टंगा हुआ था, जो जल भी रहा था। उन्हें बंद नहीं किया गया था, यानी बिजली थी। वक्त था करीब दिन के ढाई बजे का। पानी की भी व्यवस्था बहुत अच्छी दिखाई पड़ी। गांव में जो पानी की टंकियां लगी थीं, उनमें पानी भरपूर मात्रा में आ रहा था। अर्जुन मुंडा को देखने गांव के ग्रामीण डंडे के सहारे पहुंच रहे थे। गांव के बच्चे बड़ी-बड़ी गाड़ियों को देख कर उत्साहित थे। महिलाएं भी दुधमुंहे बच्चों को बगल में टांग कर सभा में अर्जुन मुंडा को देखने पहुंच रही थीं। इस गांव में एक बात और दिखी। बहुतों के हाथों में स्मार्ट फोन था। उस फोन से ग्रामीण अर्जुन मुंडा की वीडियो और तस्वीरें ले रहे थे। देख कर अच्छा लगा कि सभी सोशल मीडिया से भी जुड़े होंगे और उन तक राज्य और देश की जानकारियां भी पहुंच रही होंगी, यानी इन गांवों के लोगों को कोई भी प्रत्याशी भ्रमित नहीं कर सकता। खैर, अर्जुन मुंडा की सभा शुरू हुई। उसी बीच मैंने वहां के कुछ स्थानीय ग्रामीणों से बातचीत भी शुरू कर दी। ग्रामीणों को केवल भाजपा का समर्थक इसलिए भी नहीं कहा जा सकता था, क्योंकि गांव के अधिकतर लोग वहां पहुंचे थे। उनकी अलग-अलग राय भी पता चली। कुछ ग्रामीणों ने माना कि अर्जुन मुंडा बढ़िया नेता हैं। हमारे बीच उन्हें लेकर कोई नाराजगी नहीं है। गांववालों ने स्वीकारा कि केंद्र की योजनाओं का लाभ उन्हें मिल रहा है। मुफ्त राशन, इलाज, गैस, घर, शौचालय उन्हें मिला है। मोदी सरकार द्वारा चलायी जा रही आयुष्मान भारत योजना के तहत कइयों की जान भी बची है। बहुत से लोगों ने अपना मुंह नहीं खोला। शायद वे अपना पत्ता नहीं खोलना चाहते थे। कुछ ग्रामीणों को प्रत्याशियों से कुछ और भी उम्मीदें थीं। कुछ बुजुर्ग कह रहे थे, पेंशन नहीं मिलती। कुछ का कहना था कि खाने-पीने को देगा, तभी न वोट करेंगे। कुल मिला कर तिरुलडीह गांव में अर्जुन मुंडा को लेकर पॉजिटिव फीडबैक रहा। वहीं कालीचरण मुंडा को लेकर भी लोगों के बीच कोई नकारात्मकता नहीं दिखी। यहां के ग्रामीण बहुत जागरूक हैं। उन्हें पता है कि कौन सा प्रत्याशी उनके काम का है। तिरुलडीह गांव नक्सल प्रभावित गांव रहा है। पिछले सात-आठ साल से यहां की स्थिति सुधरी है। लोगों का आना-जाना बढ़ा है, नहीं तो पहले इस क्षेत्र में आने से भी लोग डरते थे। उस दौर में यहां के लोग वोट देने भी नहीं निकलते थे। लेकिन रघुवर दास सरकार के दौरान जिस प्रकार से नक्सलियों पर दबिश दी गयी, उससे नक्सलियों की कमर टूट गयी। यह वही गांव है, जो रमेश सिंह मुंडा हत्याकांड का गवाह भी है। एक स्कूल के कार्यक्रम के दौरान नक्सलियों ने उनकी हत्या कर दी थी।
बारिहातु गांव का खूब हुआ है विकास
उसके बाद आजाद सिपाही की टीम बारिहातु गांव की ओर बढ़ी। उस गांव में भी अर्जुन मुंडा की सभा होनी थी। यहां पर भी अर्जुन मुंडा का स्वागत पारंपरिक तरीके से हुआ। ढोल-नगाड़ों और नृत्य से स्वागत हुआ। बारिहातु वही गांव है, जहां के एक नक्सली पर लाखों का इनाम है। यह गांव भी सड़क, बिजली और पानी के मामले में विकसित दिखा। यहां एक और बात करनी जरूरी है कि इन सभी गांवों में अब पक्के मकान भी बन रहे हैं। यहां की दुकानों में ठंडा पानी भी मिला। कोल्ड ड्रिंक्स भी मिला। चूंकि बिजली थी, तो सब ठंडा था। यहां भी अर्जुन मुंडा को देखने लगभग गांव के लोग पहुंच गये थे। घंटों अर्जुन मुंडा का इंतजार भी उन्होंने किया। अर्जुन मुंडा को लेकर तरह-तरह कि प्रतिक्रियाएं भी यहां दिखीं। इस गांव में मुंडा जाति को लेकर ज्यादा प्राथमिकता दिखी। मुंडा-पातर करते दिखे लोग, लेकिन उनका यह भी कहना था कि मुंडा-पातर सब एक ही हैं। कइयों ने खुल कर अर्जुन मुंडा के पक्ष में बात की। कुछ लोग जरूर नाराज दिखे, क्योंकि उन्होंने सीधे मुंह बात भी नहीं की। बोले, हमको कुछ नहीं बोलना है। एक व्यक्ति तो सही में गुस्से में था। पता नहीं शायद उसका मिजाज ही वैसा हो। कुछ गांववाले मोदी के कार्यों की प्रशंसा कर रहे थे। केंद्रीय योजनाओं को लेकर बहुत मुखर और बहुत खुश दिखाई दिये। भले दूर से लगता हो कि गांववाले मुफ्त राशन को कोई मोल नहीं देते होंगे, लेकिन जब आप उनसे बात कीजियेगा, तो समझियेगा कि मुफ्त राशन का उनकी जिंदगी में कितना सकारात्मक प्रभाव है। कइयों ने कहा कि मोदी सरकार अगर मुफ्त राशन नहीं देते, तो हम कोरोना काल में तो ऊपरे चले जाते। वैसे अर्जुन मुंडा को लेकर मैंने कई ग्रामीणों से सवाल किया, तो गांव वालों में उन्हें लेकर वैसी नाराजगी नहीं दिखी, जो शुरूआती दौरों में दिखाई पड़ी थी। अर्जुन मुंडा में भी बहुत परिवर्तन दिख रहा है। वह खूब पसीना बहा रहे हैं। कार्यकर्ताओं और गांववालों से उनका संवाद बढ़ा है। कार्यकर्ताओं को वह बड़े ही प्यार से गले लगा रहे हैं। कार्यकर्ता इससे अपने को सम्मानित महसूस कर रहे हैं।
सुदेश महतो ने खुद संभाल ली है कमान
वहीं आजसू सुप्रीमो सुदेश महतो ने खुद खूंटी लोकसभा क्षेत्र के तमाड़ विधानसभा क्षेत्र की कमान संभाल ली है। तमाड़ एनडीए के नजरिये से बहुत फर्क ला सकता है। यही वह क्षेत्र है, जहां से अर्जुन मुंडा जीत का अंतर बड़ा बना सकते हैं। 2019 में तमाड़ से अर्जुन मुंडा को 86352 वोट मिले थे, वहीं कालीचरण मुंडा को 44871 वोट मिला था। यहां अर्जुन मुंडा को 41,481 वोट की बढ़त मिली थी। इस क्षेत्र में आजसू बहुत बड़ा फैक्टर है। खुद सुदेश महतो के मैदान में उतरने से अर्जुन मुंडा को बहुत राहत मिली है। वहीं राजा पीटर का भी इस क्षेत्र में अपना वोट बैंक है। वह भी अर्जुन मुंडा के समर्थन में आ चुके हैं। राजा पीटर के वोटर साइलेंट हैं, लेकिन चुनाव में बड़ा फर्क ला सकते हैं। यह भी अर्जुन मुंडा के लिए प्लस होगा। कुल मिला कर खूंटी लोकसभा का रण दोनों प्रत्याशियों के लिए सज चुका है। सब अपने-अपने कमजोर और मजबूत क्षेत्रों में अपना-अपना समीकरण बिठा रहे हैं। खूंटी लोकसभा की फाइट अंत तक जायेगी और खूंटी लोकसभा चुनाव और उसका परिणाम बड़ा रोमांचक होनेवाला है। दौरे से यह स्पष्ट हो गया कि जैसे-जैसे चुनाव की तारीख नजदीक आ रही है, भाजपा कार्यकर्ताओं की गतिविधियां बढ़ रही हैं। कार्यकर्ता एक-एक गांव में जा रहे हैं और मोदी के नाम पर अर्जुन मुंडा के लिए वोट मांग रहे हैं।