रांची। भाजपा ने झारखंड में 21 मई को होने जा रही ट्राइबल एडवाइजरी काउंसिल (टीएसी) की पहली बैठक से किनारा करने का निर्णय लिया है। पार्टी का आरोप है कि राज्य सरकार आदिवासी हितों की रक्षा नहीं कर रही है और टीएसी सदस्यों की नियुक्ति की प्रक्रिया को दरकिनार किया गया है।

बीजेपी का आक्रामक रुख
नेता प्रतिपक्ष बाबूलाल मरांडी ने कहा कि पांचवीं अनुसूची के तहत राज्यपाल को टीएसी सदस्यों की नियुक्ति का अधिकार है, लेकिन मौजूदा सरकार ने इस प्रक्रिया को दरकिनार कर दिया है। वहीं चंपाई सोरेन की अगुवाई में बीजेपी नेताओं ने यह फैसला लिया है कि वे टीएसी बैठक में हिस्सा नहीं लेंगे। बाबूलाल मरांडी ने सोशल मीडिया पोस्ट में कहा है कि पिछले साढ़े 5 सालों के दौरान झारखंड में आदिवासी समाज के उपर लगातार अत्याचार हो रहे हैं। बांग्लादेशी घुसपैठिए आदिवासियों के हक अधिकार का अतिक्रमण कर रहे हैं, खनन माफिया जल-जंगल-जमीन का दोहन कर रहे हैं, लेकिन मुख्यमंत्री ने कभी इसका संज्ञान नहीं लिया। हालात तो इतने बदतर हो चुके हैं कि आदिवासी महिला के साथ दुष्कर्म का प्रयास करने वाले को मुख्यमंत्री की ओर से मुआवजा दिया जा रहा है।

जब सरकार ही आदिवासियों के उत्पीड़न को प्रोत्साहित और पुरस्कृत कर रही है, तो ऐसी स्थिति में टीएसी की बैठक में शामिल होने का कोई औचित्य नहीं। भाजपा, आदिवासी समाज के अस्मिता और उनके अस्तित्व की रक्षा के लिए संकल्पित है। सड़क से लेकर सदन तक हमारा संघर्ष जारी रहेगा।

सीएम की अध्यक्षता में होनी है टीएसी की बैठक
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की अध्यक्षता में 21 मई को टीएसी की बैठक होनी है। इसमें 13 विधायक और 2 मनोनीत सदस्य शामिल हैं। जिनमें बीजेपी के बाबूलाल मरांडी और चंपाई सोरेन का नाम भी है।

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