ढाका। बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री खालिदा जिया के स्वदेश लौटते ही चुनाव कराने का दबाव बढ़ गया है। लंदन से इलाज कराकर जिया के ढाका लौटने से देश के अंतरिम नेताओं पर आम चुनाव कराने के लिए प्रेशर बढ़ गया है। गौर करें तो बीते साल अगस्त में छात्रों के नेतृत्व में हुए बड़े पैमाने पर विद्रोह में पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को सत्ता से हाथ धोना पड़ा था। उसके बाद से बांग्लादेश में नोबेल शांति पुरस्कार विजेता अर्थशास्त्री मुहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली सरकार चल रही है।
वहीं, शेख हसीना की कट्टर प्रतिद्वंद्वी खालिदा जिया और उनकी बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी दिसंबर में राष्ट्रीय चुनाव कराने के लिए यूनुस सरकार पर दबाव बना रही है। बीएनपी जल्द से जल्द देश में लोकतांत्रिक शासन की वापसी चाह रही है। गौर करें तो कई लोगों ने हसीना को सत्ता से बेदखल करने का स्वागत लोकतांत्रिक चुनावों की वापसी के एक अवसर के रूप में किया था। मगर हाल के महीनों में मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली नई सरकार की जल्द चुनाव कराने की प्रतिबद्धता को लेकर संदेह के बादल गहरा गए हैं। इस सरकार ने कहा है कि अगला चुनाव इसी साल दिसंबर में या अगले साल जून 2026 तक होगा। हालांकि ये सब देशभर में चल रहे विभिन्न क्षेत्रों में सुधारों की सीमा पर निर्भर करेगा।
उधर जिया के स्वागत के लिए ढाका के मुख्य हवाई अड्डे के बाहर भीड़ उमड़ पड़ी। अपनी दो बहुओं के साथ जिया कतर के अमीर शेख तमीम बिन हमद अल थानी द्वारा मुहैया कराए गए एक विशेष एयर एम्बुलेंस से पहुंचीं। कतर के अमीर शेख ने ही जनवरी में खालिदा के लंदन जाने की भी व्यवस्था कराई थी। बता दें कि जिया कई गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं से पीड़ित हैं और उन्होंने कई वर्षों से किसी भी सार्वजनिक समारोह में भाग नहीं लिया है। उनके बड़े बेटे तारिक रहमान लंदन में निर्वासन में रहते हुए पार्टी के कार्यवाहक प्रमुख के रूप में पार्टी का नेतृत्व कर रहे हैं।
इस तरह से देखा जाए तो बांग्लादेश में खालिदा जिया की उपस्थिति उनकी पार्टी के लिए बहुत बड़ा महत्व रखती है, जबकि पूर्व पीएम शेख हसीना भारत में निर्वासन में रह रही हैं। गौर करें तो साल 1991 में तानाशाह राष्ट्रपति एच।एम। इरशाद के सत्ता से बेदखल होने के बाद लोकतंत्र में वापस लौटा था। इसके बाद से खालिदा जिया और शेख हसीना ने बारी-बारी से प्रधानमंत्री के रूप में बांग्लादेश पर शासन कर रही हैं।
खालिदा जिया तीन बार बांग्लादेश की प्रधानमंत्री रहीं। उन्होंने दो बार पूरे 5 साल के कार्यकाल को पूरा किया। तीसरी बार सिर्फ कुछ महीनों के लिए ही सत्ता में रहीं। खालिजा जिया, पूर्व सैन्य प्रमुख से राष्ट्रपति बने जियाउर रहमान की विधवा हैं। जियाउर रहमान की 1981 में हत्या कर दी गई थी। वहीं शेख हसीना, शेख मुजीबुर रहमान की बेटी हैं। शेख मुजीबुर रहमान ने 1971 में पाकिस्तान के खिलाफ बांग्लादेश के स्वतंत्रता संग्राम का नेतृत्व किया था।