पटना। बिहार की राजधानी पटना में कोरोना ने दस्तक दे दी है। मंगलवार को अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) पटना के एक जूनियर डॉक्टर की रिपोर्ट पॉजिटिव आई है। इसके अलावा दूसरे मरीज भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के 30 वर्षीय वैज्ञानिक हैं। एक अन्य मरीज की जानकारी भी स्वास्थ्य विभाग के रिकॉर्ड में दर्ज की गई है। इसके बाद शहर में कोरोना संक्रमितों की संख्या अब बढ़कर तीन हो गई है।
सिविल सर्जन डॉ. अविनाश कुमार के अनुसार संक्रमितों में किसी की भी हालिया यात्रा की जानकारी नहीं है। मरीजों में कोरोना के गंभीर लक्षण नहीं हैं, लेकिन गले की खराश, खांसी और बुखार के बजाय अब मरीज सिरदर्द, बदन दर्द, कमजोरी और ऑक्सीजन लेवल में गिरावट की शिकायत लेकर आ रहे हैं। विशेषज्ञ इसे वायरस के नए स्वरूप से जोड़कर देख रहे हैं।
देश के अन्य राज्यों में भी कोरोना मामलों में तेजी को देखते हुए बिहार सरकार सतर्क हो गई है। इंदिरा गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान (आईजीआईएमएस) के अधीक्षक डॉ. मनीष मंडल ने बताया कि स्वास्थ्य विभाग के निर्देश पर अस्पताल में 12 ऑक्सीजन सपोर्टेड बेड और तीन आईसीयू बेड कोरोना मरीजों के लिए आरक्षित कर दिए गए हैं। राज्य के अन्य मेडिकल कॉलेजों और अस्पतालों को भी सतर्कता बरतने और तैयारी रखने के निर्देश दिए गए हैं।
बदलते लक्षणों और नए संक्रमणों को देखते हुए स्वास्थ्य विभाग अलर्ट मोड में है। विशेषज्ञों का मानना है कि आमजन को भी सतर्क रहना चाहिए और किसी भी लक्षण को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। फिलहाल आरटी-पीसीआर पॉजिटिव मरीजों के सैंपल की जीनोमिक सीक्वेंसिंग नहीं हो रही है, लेकिन जल्द ही नए वैरिएंट की पहचान के लिए यह प्रक्रिया शुरू की जाएगी।