कोलकाता। पश्चिम बंगाल विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष शुभेंदु अधिकारी ने सोमवार देर शाम को राज्य सरकार पर गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने कहा कि मुर्शिदाबाद जिले में वक्फ (संशोधन) अधिनियम के खिलाफ विरोध प्रदर्शनों के दौरान भड़की सांप्रदायिक हिंसा के मामले में सरकार निर्दोष हिंदू युवकों को परेशान कर रही है और उन्हें गिरफ़्तार कर रही है, जबकि असली दोषी – जिनको उन्होंने ‘जिहादी तत्व’ बताया – खुलेआम घूम रहे हैं।
अधिकारी ने दावा किया कि हाल ही में धूलियान, सुत्ती और शमशेरगंज इलाकों में दो निर्दोष युवकों को केवल इसलिए गिरफ़्तार किया गया क्योंकि उन्होंने 11–12 अप्रैल को हुई हिंसा के दौरान हिंदुओं पर हुए अत्याचारों के खिलाफ आवाज़ उठाई थी। उन्होंने कहा, “जो लोग सच बोल रहे हैं, उन्हें ही हिरासत में लिया जा रहा है। धूलियान-शमशेरगंज बेल्ट से अधिकतर हिंदू युवक अपने घर छोड़कर भाग चुके हैं। क्या यह विश्वास किया जा सकता है कि इन इलाकों में मात्र 18 से 20 प्रतिशत की आबादी वाले हिंदू युवकों ने आगजनी, लूटपाट और हिंसा को अंजाम दिया?”
अधिकारी ने आरोप लगाया कि हिंसा, लूटपाट और हत्या जैसे गंभीर अपराधों के पीछे जो असली लोग हैं, वे अब तक कानून की पकड़ से बाहर हैं। उन्होंने चेतावनी दी कि अगर ममता बनर्जी सरकार ने निर्दोषों को फंसाना बंद नहीं किया तो भाजपा जिलेभर में आंदोलन छेड़ेगी। साथ ही उन्होंने कहा कि पार्टी इन गिरफ़्तार युवकों को कानूनी सहायता उपलब्ध कराएगी।
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की मुर्शिदाबाद यात्रा को लेकर भी अधिकारी ने सवाल उठाए। उन्होंने कहा, “मुख्यमंत्री ने सबसे अधिक प्रभावित नौ जगहों का दौरा तक नहीं किया और शमशेरगंज के अंतर्गत आने वाले बेटबोना गांव में नहीं गईं, जहां हिंदू विस्थापितों ने उनसे मदद की अपील की थी। उन्होंने खुद को केवल प्रशासनिक भवन और पुलिस कैंप तक सीमित रखा।”
इसके अलावा अधिकारी ने बेलडांगा स्थित भारत सेवाश्रम संघ के आश्रम से पुलिस सुरक्षा हटाए जाने की आलोचना की। उन्होंने आरोप लगाया कि यह कदम इसलिए उठाया गया क्योंकि आश्रम के साधु कार्तिक महाराज ने मुर्शिदाबाद दंगों में राज्य सरकार की भूमिका की आलोचना की थी और हिंदुओं पर हुए हमलों को उजागर किया था।
सीमा पार घुसपैठ के मुद्दे पर भी अधिकारी ने राज्य सरकार को घेरा। उन्होंने कहा, “राज्य सरकार ने शुरुआत से ही भारत-बांग्लादेश सीमा पर बीएसएफ कैंप बनाने के लिए ज़मीन देने से इनकार किया है। यह उसकी संवैधानिक जिम्मेदारी से भागने जैसा है।”