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    Home»ताजा खबरें»पाकिस्तान ने घबराकर हमें फोन किया… भारत ने ट्रंप के कश्मीर मध्यस्थता के बयान को किया खारिज
    ताजा खबरें

    पाकिस्तान ने घबराकर हमें फोन किया… भारत ने ट्रंप के कश्मीर मध्यस्थता के बयान को किया खारिज

    shivam kumarBy shivam kumarMay 15, 2025No Comments8 Mins Read
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    नई दिल्ली। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के कश्मीर की मध्यस्थता से जुड़े बयान को भारत सरकार ने सिरे से खारिज कर कहा कि ये द्विपक्षीय मुद्दा है और इसमे तीसरे पक्ष की कोई भूमिका नहीं हो सकती। विदेश मंत्रालय रणधीर जायसवाल ने एक प्रेस कॉंन्फ्रेंस में कहा कि हमारी लंबे समय से यही राष्ट्रीय पोजिशन रही है कि भारतीय केंद्र शासित प्रदेश जम्मू कश्मीर से जुड़े किसी भी मुद्दे पर भारत और पाकिस्तान को द्विपक्षीय तरीके से ही हल करना है। इस नीति में कोई बदलाव नहीं हुआ है। लंबित मामला सिर्फ पाकिस्तान की ओर से अवैध रूप से कब्जा किए गए क्षेत्र को खाली करना है।

    भारी पड़ा भारत का एक्शन, पाकिस्तानी DGMO ने किया फोन
    सीजफायर को लेकर जायसवाल ने कहा कि दोनों देशों के बीच सहमति की तारीख़ , वक्त और शब्दावली को लेकर फैसला दोनों डीजीएमओ के बीच 10 मई को 15.35 पर हुई फैन कॉल के दौरान तय हुआ। इस टेलीफोन कॉल के लिए भारतीय विदेश मंत्रालय को पाकिस्तानी हाई कमीशन की ओर से दोपहर 12.37 बजे एक रिक्वेस्ट मिली थी। पाकिस्तानी पक्ष को तकनीकी कारणों की वजह से हॉटलाइन के जरिए संपर्क साधने में दिक्कत पेश आई थी। इसके बाद इस फोनकॉल की टाइमिंग को भारतीय डीजीएमओ की उपलब्धता के आधार पर तय किया गया था। जायसवाल ने आगे कहा कि उसी दिन यानि 10 मई की सुबह भारत ऑपरेशन सिंदूर के तहत पाकिस्तानी एयर फोर्स बेस पर एक्शन के बाद प्रभावकारी दबाव बनाने में कामयाब रहा। इसी के बाद पाकिस्तानी पक्ष फायरिंग और सैन्य एक्शन रोकने को इच्छुक दिखा । ये भारत की सैन्य ताकत का असर है कि जिसने पाकिस्तान को फायरिंग रोकने के लिए मजबूर किया।

    जायसवाल ने कहा कि जहां तक दूसरे देशों के साथ बातचीत का सवाल है, भारत की ओर से संदेश साफ था, पब्लिक प्लैटफॉर्म के साथ साथ यही मैसेज दूसरे देशों के साथ निजी वार्ताओं में दिया गया था कि भारत 22 अप्रैल के पहलगाम हमले के बाद प्रतिक्रिया में जवाब दे रहा था, जिसमें आतंकी इन्फ्रास्ट्रक्चर को निशाना बनाया गया था। ये भी बताया गया कि अगर पाकिस्तान सेना फायरिंग करेंगी तो भारतीय सेना भी जवाबी कार्रवाई करते हुए फायरिंग करेंगी। अगर पाकिस्तान रुकेगा तो हम भी रुकेंगे। जायसवाल ने कहा कि पाकिस्तान को ऑपरेशन सिंदूर के वक्त भी यही बताया गया था, ये स्वाभाविक है कि इस मामले पर विदेशी नेताओं ने हमारा यही संदेश पाकिस्तानी वार्ताकारों के सामने रखा होगा।

    पाकिस्तानी विदेश मंत्री के मीडिया में बयान पर जवाब देते हुए विदेश मंत्रालय प्रवक्ता ने कहा कि पिछले हफ्ते ऑपरेशन सिंदूर की वजह से पाकिस्तान ने बहावलपुर, मुरीदके, मुजफ्फराबाद में अपने आतंकी ठिकानों को नष्ट होते देखा है। इसकी वजह से पाकिस्तान की सैन्य क्षमताओं की पोल सबके सामने खुल गई । हमने उनके मुख्य एयरबेसेस को ही बेकार कर दिया था। अगर पाकिस्तानी विदेश मंत्री इसे अपनी उपलब्धियां बताना चाहते हैं तो वो ऐसा करने के लिए स्वतंत्र हैं। जायसवाल ने कहा कि हमारा पक्ष हमेशा से ही साफ था कि हम आतंकी ठिकानों को निशाना बनाएंगे, ऐसे में अगर पाकिस्तानी सेना इस मसले से बाहर रहती तो कोई दिक्कत ही नहीं थी। 9 मई की रात तक पाकिस्तान भारत को बड़े हमले की धमकी दे रहा था, जब उनकी कोशिशें नाकाम हो गई तो 10 की सुबह भारत का जबरदस्त काउंटर रिस्प़ॉंस देखते हुए उनका स्वर बदल गया और डीजीएमओ ने हमसे संपर्क किया।

    जायसवाल ने कहा कि भारत का रिस्पॉंस हमेशा से एक जैसा रहा, लेकिन 10 मई को पाकिस्तान की पोजिशन बदल गई क्योंकि हमने उनके एयरबेस को इतना नुकसान पहुंचाया था कि वो अप्रभावी हो गए थे। ऐसे में दुनिया को ये देखने की जरूरत है कि किसने फायरिंग रोकने के लिए किसको फोन किया । उन्होंने इशाक डार के बयानों को लेकर ये भी कहा कि हारने के बाद पाकिस्तान ढोल पीटता रहता है, उन्होंने अतीत में भी हमेशा ही ऐसा ही किया था

    पारंपरिक सैन्य ऑपरेशन – राष्ट्रपति ट्रंप ने कहा था कि उन्होंने दोनों देशों के बीच परमाणु युद्ध रुकवाया था। इसको लेकर जायसवाल ने कहा कि सैन्य एक्शन पूरी तरह से पारंपरिक डोमेन में ही था। पहले ऐसी खबरें थी कि पाकिस्तान की नेशनल कमांड अथॉरिटी 10 मई को बैठक करेगी लेकिन इसका बाद में उन्ही की ओर से खंडन किया गया। पाकिस्तान के विदेश मंत्री ने परमाणु एंगल को खुद ही खारिज किया है। भारत किसी तरह की न्यूक्लियर ब्लैकमेलिंग में नहीं आएगा और ना ही आतंकवाद को बर्दाश्त करेगा। दूसरे देशों के साथ हमारी बातचीत में हमने बता दिया है कि ऐसे कदम के घातक परिणाम हो सकते हैं ।

    अमेरिका के साथ नहीं हुई व्यापार पर कोई बात- राष्ट्रपति ट्रंप ने कहा था कि दोनों देशों के साथ तनाव कम करने को लेकर बातचीत के दौरान व्यापार का भी जिक्र हुआ था। जिसे लेकर भारत में काफी राजनीतिक विवाद भी हुआ। इस मसले पर विदेश मंत्रालय ने साफ कहा कि ऐसा कुछ नहीं हुआ है। जायसवाल ने कहा 7 मई को ऑपरेशन सिंदूर से लेकर दोनों देशों के फायरिंग रोकने की सहमति तक अमेरिका के नेताओं और भारतीय लीडर्स के बीच बात हो रही थी। लेकिन उसमें व्यापार का जिक्र कहीं नहीं आया।

    निलंबित ही रहेगा सिंधु जल समझौता
    सिंधू जल समझौते को लेकर जायसवाल ने कहा कि सिंधू जल समझौता अभी निलंबित ही रहेगा। जायसवाल ने कहा कि ये सही है कि ये समझौता गुडविल और दोस्ती के आधार पर संपन्न किया गया था लेकिन पाकिस्तान ने दशकों तक क्रॉस बॉर्डर टेररिज्म के जरिए इन सिद्धांतों को छिन्न भिन्न कर दिया और अब ये तब तक निलंबित रहेगा जब तक पाकिस्तान सीमा पार आतंकवाद को सपोर्ट करना बंद नहीं करता इसके साथ साथ ये ध्यान देने वाली बात है कि क्लाइमेट चेंज, डेमोग्राफिक बदलाव जैसे नई सच्चाईयों ने इसे लेकर जमीनी हालात बदल दिए हैं।

    आतंक के खिलाफ लड़ाई में सबने हमारी बात समझी
    इस सवाल के जवाब में कि क्या अमेरिकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप ने भारत और पाकिस्तान को अपने रवैये एक स्तर पर खड़ा कर दिया है, इस सवाल के जवाब में जायसवाल ने कहा कि दुनिया भर के देशों में इस बात को लेकर समझ बनी कि पहलगाम आतंकी हमले में मासूम भारतीय टूरिस्ट पाकिस्तानी हमले का शिकार हुए. भारतीय नेतृत्व के साथ हुई अपनी बातचीत में दुनिया भर के नेताओं ने भारत के आत्मरक्षा के सिद्धांत को ना सिर्फ माना बल्कि इसके साथ ही जायसवाल ने इस मसले पर 25 अप्रैल को यूएन सेक्योरिटी काउंसिल के बयान का भी जिक्र किया, जिसमें आतंक को अंजाम देने वालों को न्याय के कठघरे में लाने का जिक्र किया गया था।

    TRF को लेकर UN को और सूचनाएं देंगे
    जायसवाल ने बताया कि भारत टीआरएफ को संयुक्त राष्ट्र की UNSC 1267 सैंक्शन कमेटी में लिस्ट करवाने के लिए प्रयासरत है। जायसवाल ने एक सवाल के जवाब में कहा कि सबने देखा होगा कि किस तरह पहलगाम अटैक के बाद टीआरएफ ने दो बार जिम्मेदारी ली थी, लेकिन बाद में अपने हैंडलर्स के कहने पर वो पलट गए। जायसवाल ने कहा कि टीआरएफ लश्कर ए तैयबा का ही फ्रंट है। भारत इसे यूएन में प्रतिबंधित संगठन में शामिल करवाने की कोशिशें कर रहा है। इसी से जुड़े एक दूसरे सवाल के जवाब में जायसवाल ने कहा कि बीते दो सालों से हम यूएन के साथ इसके बारे में सूचना साझा रहे हैं। इसके साथ आने वाले कुछ दिनों में उनके साथ और सूचनाएं साझा की जाएंगी। उन्होंने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि सेक्योरिटी काउंसिल की 1267 मॉनिटरिंग टीम हमारी सूचना पर कड़ा एक्शन लेगी।

    सैटेलाइट इमेज से देंखे किसे कितना नुकसान हुआ है- पाकिस्तान की ओर से किए जा रहे दावों को खारिज करते हुए जायसवाल ने कहा कि आज के जमाने में सैटेलाइट पिक्चर्स मौजूद हैं। मैं हर किसी से अपील करता हूं कि उन साइट्स की तस्वीरें देँखे जिनके बारे में पाकिस्तान के दावे हैं कि उन्होंने वहां हमले किए हैं। इसके साथ साथ साथ उन जगहों को भी देखें जिन्हें हमने सफलतापूर्वक टारगेट करके खत्म किया है। इससे सबको सही जवाब मिल जाएगा। जायसवाल ने कहा कि जीत के दावे करना पाकिस्तान की पुरानी आदत है। 1965, 1971, 1999 कारगिल में भी उन्होंने यही राग अलापा था। पाकिस्तान का तो पुराना ढोल बजाने का रवैया है। परास्त हो जाओ लेकिन ढोल बजाओ। अमेरिकी इजीप्शन एयरकाफ्ट के इस्तेमाल से जुड़े एक सवाल पर जायसवाल ने कहा कि हमने भी ऐसी सोशल मीडिया पोस्ट देखी हैं। इन सवालों का जवाब उन्हें देना है।

    तुर्की और चीन की गतिविधि को लेकर नोट किया है – चीन और तुर्की से पाकिस्तान को मिली मदद के बाद भारत सरकार की प्रतिक्रिया के बारे में जवाब देते हुए जायसवाल ने कहा कि भारत ने इन गतिविधियों को नोट किया।

    भारत और पाकिस्तान एक स्तर पर नहीं हैं- इस सवाल के जवाब में कि क्या ट्रंप ने भारत और पाकिस्तान को एक तराजू में तोलने की कोशिश की, इस पर जायसवाल ने कहा ऐसा नहीं है लोगों ने माना कि पाकिस्तान वो देश है जो आतंकवाद को बढ़ावा देता है। इंडस्ट्रियल स्केल पर आतंकवाद पैदा करता है । आतंकवाद के सवाल पर दुनिया भर भर्त्सना देखने को मिली ,लोगों ने माना कि हमें आत्मरक्षा का अधिकार है।

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