मुंबई। राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा एसपी) के अध्यक्ष शरद पवार ने रविवार को कहा कि मैंने यूपीए सरकार के कार्यकाल में तत्कालीन केंद्रीय मंत्री पी चिदंबरम द्वारा प्रस्तावित धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) में किए गए संशोधनों की खिलाफत की थी। चिदंबरम ने यह कानून उनकी मर्जी वगैर लाया और सरकार बदलने के बाद इस संशोधन के पहले शिकार बने थे।

शरद पवार रविवार को शिवसेना (यूबीटी) सांसद संजय राउत की नरकाचा स्वर्ग नामक मराठी पुस्तक विमोचन कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। शरद पवार ने मनी लॉन्ड्रिंग कानून में संशोधनों के खिलाफ़ आवाज़ उठाई थी और धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) में किए गए संशोधनों के सख्त खिलाफ़ हैं। पवार ने कहा कि अधिनियम में बदलाव से ऐसा हुआ कि यह जांच एजेंसी या सरकार की जिम्मेदारी होने के बजाय आरोपितों पर अपनी बेगुनाही साबित करने का भार डाल देता है। पवार ने कहा, “संशोधन के तुरंत बाद, यूपीए सत्ता से बाहर हो गई और भाजपा ने अपनी सरकार बनाई। बदलावों के परिणाम आज दिखाई दे रहे हैं।”

उल्लेखनीय है कि 2022 में राउत को गोरेगांव पश्चिम में पात्रा चॉल के विकास से जुड़े एक मामले में उनके कथित संबंधों के लिए ईडी ने गिरफ्तार किया था। बाद में एक विशेष पीएमएलए अदालत ने उनकी गिरफ्तारी को अवैध करार दिया, जिसके बाद शिवसेना यूबीटी नेता को जमानत पर रिहा कर दिया गया। तब तक राउत तीन महीने से अधिक जेल में बिता चुके थे।

संजय राउत ने इस पुस्तक में धन शोधन के आरोपों में प्रवर्तन निदेशालय द्वारा उनकी गिरफ्तारी के बाद जेल में बिताए गए समय के बारे में बताया है।

इस कार्यक्रम में शिवसेना (यूबीटी) प्रमुख उद्धव ठाकरे ने परोक्ष रूप से कहा, “मैं उन यात्राओं के बारे में कुछ नहीं कहना चाहता, क्योंकि दूसरों को की गई किसी भी तरह की मदद के बारे में सार्वजनिक रूप से बताना हमारी संस्कृति और परवरिश में नहीं है।”

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