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    Home»देश»तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन का ‘प्रेसिडेंशियल रेफरेंस’ पर कड़ा विरोध
    देश

    तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन का ‘प्रेसिडेंशियल रेफरेंस’ पर कड़ा विरोध

    shivam kumarBy shivam kumarMay 15, 2025Updated:May 15, 2025No Comments2 Mins Read
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    नई दिल्ली। तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने प्रेसिडेंशियल रेफरेंस को केंद्र सरकार के साथ जोड़ते हुए इसकी तीखी आलोचना की है। उन्होंने इसे संविधान के तहत पहले से तय किए गए प्रावधानों को कमजोर करने का प्रयास बताया। स्टालिन ने कहा कि यह कदम स्पष्ट रूप से दर्शाता है कि तमिलनाडु के राज्यपाल भाजपा के इशारे पर काम कर रहे हैं।

    मुख्यमंत्री ने सभी गैर-भाजपा शासित राज्यों और पार्टी नेताओं से अपील की कि वे इस कानूनी संघर्ष में एकजुट हों। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि तमिलनाडु इस लड़ाई को मजबूती से लड़ेगा और विजयी होगा। उन्होंने एक जारी बयान में आरोप लगाया कि यह प्रयास लोकतांत्रिक रूप से निर्वाचित राज्य सरकारों को नियंत्रित करने का है। स्टालिन ने सवाल उठाया कि राज्यपालों के लिए समयसीमा निर्धारित करने में क्या आपत्ति है। क्या केंद्र की भाजपा-नीत एनडीए सरकार अपने राज्यपालों की ओर से विधायी कार्यों में पैदा की जा रही बाधाओं को वैधता देने का प्रयास कर रही है?

    स्टालिन ने चेतावनी दी कि यह कदम राज्य विधानसभाओं को निष्क्रिय करने का एक प्रयास है। उन्होंने कहा कि देश एक गंभीर मोड़ पर खड़ा है और भाजपा का यह संदर्भ संविधान के मूल अधिकारों का हनन करता है। उल्लेखनीय है कि राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने राज्य सरकार के विधेयकों को मंजूरी देने के लिए समयसीमा लागू करने के संबंध में सुप्रीम कोर्ट से स्पष्टीकरण मांगा है। राष्ट्रपति ने संविधान के अनुच्छेद 143 के तहत सुप्रीम कोर्ट को 14 सूत्री प्रेसिडेंशियल रेफरेंस भेजा हैं।

    इसमें कहा गया है कि क्या सुप्रीम कोर्ट राष्ट्रपति को अनुच्छेद 201 के तहत राज्यपाल द्वारा उनके लिए आरक्षित विधेयक पर निर्णय लेने के लिए तीन महीने की समयसीमा निर्धारित कर सकता है, जबकि ऐसी कोई संवैधानिक रूप से निर्धारित समयसीमा नहीं है। संविधान के अनुच्छेद 143 के तहत सुप्रीम कोर्ट को भेजे गए संदर्भ में अनुच्छेद 200 के तहत राज्यपाल के समक्ष विधेयक प्रस्तुत किए जाने पर उनके समक्ष संवैधानिक विकल्पों पर स्पष्टता मांगी गई है।

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