पूर्वी सिंहभूम। एमजीएम अस्पताल में जर्जर भवन गिरने से हुई तीन मौतों के बाद राजनीतिक गलियारों में सियासत तेज हो गई है। सवाल उठ रहा है कि आखिर इतने खतरनाक हालत में उस भवन को खाली क्यों नहीं कराया गया और वहां आम लोगों को ठहराने की अनुमति किसने दी। इस हादसे ने सरकार की निगरानी व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।

कोल्हान के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल एमजीएम में जर्जर बिल्डिंग गिरने से तीन लोगों की मौत और 12 घायल होने की घटना ने राजनीतिक तूल पकड़ लिया है। कांग्रेस नेता और राज्य के स्वास्थ्य मंत्री डॉ. इरफान अंसारी देर रात घटनास्थल पर पहुंचे और मुआवजे के साथ दोषियों पर कड़ी कार्रवाई की घोषणा की।

वहीं, भाजपा विधायक पूर्णिमा साहू और जदयू विधायक सरयू राय ने भी मौके पर पहुंचकर घायलों से मुलाकात की और सरकार पर लापरवाही का आरोप लगाया। भाजपा विधायक पूर्णिमा साहू ने कहा कि “यह हादसा प्रशासनिक उदासीनता का परिणाम है। जर्जर भवन में लोगों को रहने की अनुमति किसने दी। इसकी जवाब देही तय होनी चाहिए। सरकार ने आम जनता की जान से खिलवाड़ किया है। वहीं सरयू राय ने कहा कि एमजीएम जैसे महत्वपूर्ण संस्थान में आधारभूत संरचना की उपेक्षा चिंताजनक है, दोषियों की जवाबदेही तय होनी चाहिए।

वहीं शिक्षा मंत्री रामदास सोरेन भी घटना स्थल का निरीक्षण किए और भरोसा दिलाया कि दोषी के विरुद्ध कार्रवाई होगी। स्वास्थ्य मंत्री अंसारी ने भले ही सख्त कार्रवाई का आश्वासन दिया हो, लेकिन विपक्षी नेताओं ने इस बयान को घटना के बाद का दिखावा” करार दिया है। कांग्रेस के भीतर भी सवाल उठ रहे हैं कि आखिर संबंधित विभागों और इंजीनियरिंग विंग ने समय रहते बिल्डिंग को खतरनाक घोषित कर खाली क्यों नहीं कराया। जांच रिपोर्ट के लिए उपायुक्त को एक सप्ताह की समय दी गई है।

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