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    Home»Top Story»परिजनों के विरोध के बाद भी तबस्सुम ने अपनाया योग
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    परिजनों के विरोध के बाद भी तबस्सुम ने अपनाया योग

    आजाद सिपाहीBy आजाद सिपाहीJune 19, 2017No Comments2 Mins Read
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    दिल जब कुछ कर गुजरने की ठान ले तो सारी कायनात मिलकर भी उसे रोक नही सकती। इसी का जीता जागता उदाहरण है कक्षा 12 की छात्रा व योग प्रशिक्षिका तबस्सुम आर्य। जिसने समाज व परिवार के तमाम विरोध के बावजूद योग को अपनाया और अब लोगों को रोग मुक्त बनाने के लिए शिविरों में पहुंचकर योग सिखा रहीं है। मूल रूप से मेरठ की निवासी तब्बसुम जब कक्षा 6 में थीं तब उन्होने एक योग शिविर में प्रतिभाग किया था। वह शिविर उनके लिए इतना प्रेरणादायक बना कि तबस्सुम ने योग प्रशिक्षक बनना ही अपने जीवन का लक्ष्य बना लिया और आर्यवीर वीरांगना दल से जुड़ गईं। वह आर्य समाज से इतना प्रभावित थीं कि उन्होने अपने नाम के आगे आर्य लगाना भी शुरू कर दिया।

    शुरुआत में तबस्सुम को अपने ही परिवार का विरोध झेलना पड़ा। योग सीखने व अपने नाम के आगे आर्य लगाने पर पिता ने खूब डांटा भी, पर तबस्सुम बिना किसी की परवाह किए अपनी योग साधना में जुटीं रही। मुरादाबाद में आर्यवीर-वीरांगना के  योग शिविर में यौगिक मुद्राओं के संचालन में सहयोग करने वाली तबस्सुम आर्य ने  बातचीत में कहा कि सेहत का मजहब से कोई वास्ता नहीं होता। रोग किसी का मजहब पूछकर नहीं आते। मुझे ओम के उच्चारण में ईश्वर और अल्लाह की इबादत का सुख मिलता है। सेहत की सांस भरने का मौका मिलता है। इसलिए सेहतमंद सांस भरने तक मेरा योग से वास्ता रहेगा। संकीर्ण मानसिकता से परे हटकर हमें देश को सेहतमंद बनाने के लिए योग क्रियाओं का प्रचार करना ही चाहिए।

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