रांची: पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा ने कहा है कि सीएनटी-एसपीटी एक्ट संशोधन के कुछ बिंदुओं पर चर्चा की जरूरत है। राज्यपाल द्वारा संशोधन विधेयक लौटाये जाने के बाद विपक्ष के नेताओं द्वारा दी जा रही प्रतिक्रिया पर मुंडा ने नाराजगी जताते हुए कहा कि विपक्ष के नेता गंभीर मुद्दे पर बचकानी बातें कर मुद्दे को गौण कर रहे हैं। उन्होंने स्पष्ट कहा कि पूरा विधेयक गलत नहीं है, जैसा कि विपक्ष आरोप लगा रहा है। हां कुछ बिंदुओं पर चर्चा होनी चाहिए। मुंडा मंगलवार को अपने आवास पर पत्रकारों से बातचीत कर रहे थे।
राजनीतिक मर्यादा न लांघे विपक्ष
उन्होंने विरोधी दलों को लताड़ते हुए कहा कि विपक्ष राजनीतिक मर्यादा न लांघे। कुछ लोग पूरे विधेयक पर ही सवाल उठा रहे हैं, जबकि सीएनटी-एसपीटी एक्ट संशोधन के कई बिंदु आदिवासियों के हित में हैं। उन्होंने कहा कि सीएनटी एक्ट की धारा 21 और एसपीटी की धारा 13 में जो संशोधन किये गये, उस पर विचार करने की जरूरत है। इसमें यह ध्यान देना होगा कि जिनके लिए कानून में संशोधन किया जा रहा है, वे एक इकोनॉमी से दूसरे इकोनॉमी में जाने के लिए कितने तैयार हैं। ऐसा न हो कि उसकी डिमांड ही न हो और हम सप्लाई कर दें। इसलिए इस पर चर्चा होनी चाहिए। मुंडा ने कहा कि उन्होंने सरकार को जो पत्र लिखा था, उनमें इन बिंदुओं की चर्चा की थी। संशोधन के दूरगामी परिणामों को देखते हुए उन्होंने संशोधन पर विचार करने का आग्रह किया था, क्योंकि सरकार कोई योजना नहीं, बल्कि कानून बनाने जा रही है।
एक्ट में संशोधन का पुन: प्रयास होगा
उन्होंने कहा कि संवैधानिक मुखिया होने के नाते राज्यपाल ने इस संवेदनशील विषय पर सवाल पूछे हैं। मुंडा ने भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष लक्ष्मण गिलुआ के बयान पर सहमति जताते हुए कहा कि एक्ट में भाजपा आदिवासियों के हितों को देखते हुए एक्ट में संशोधन का प्रयास करेगी। इस पर सबकी राय लेने की कोशिश की जायेगी।