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    Home»Top Story»बंगाल में रहना है तो बांग्ला बोलना पड़ेगा : ममता
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    बंगाल में रहना है तो बांग्ला बोलना पड़ेगा : ममता

    azad sipahi deskBy azad sipahi deskJune 15, 2019No Comments3 Mins Read
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    कोलकाता। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने अब महाराष्टÑ के राज ठाकरे की राह पर चलते हुए पूरी तरह पश्चिम बंगाल में बांग्ला कार्ड खेल दिया है। उन्होंने शुक्रवार को बाहरी लोगों के बहाने बीजेपी पर निशाना साधते हुए कहा कि अगर आप बंगाल में हैं, तो आपको बांग्ला बोलनी होगी। उन्होंने कहा कि मैं ऐसे अपराधियों को बर्दाश्त नहीं करूंगी, जो बंगाल में रहते हैं और बाइक पर घूमते हैं। ममता ने यह भी कहा कि वह पश्चिम बंगाल को गुजरात नहीं बनने देंगी।
    उत्तर 24 परगना जिले में तृणमूल कांग्रेस की रैली को संबोधित करते हुए ममता ने बीजेपी पर जम कर निशाना साधा। उन्होंने कहा, ‘हमें बांग्ला को आगे लाना होगा। जब मैं बिहार, यूपी, पंजाब जाती हूं, तो वहां की भाषा बोलती हूं। अगर आप पश्चिम बंगाल में रहते हैं, तो आपको बांग्ला बोलना ही होगा। जो ऐसा नहीं करेगा, उसकी जगह यहां नहीं होगी। ममता बनर्जी के इस बयान के बाद से यह स्पष्ट हो गया है कि वह पश्चिम बंगाल में बाहरी-भीतरी की लड़ाई छेड़ कर अपनी कुर्सी बचाना चाहती है और उन्हें यह मशविरा दिया है जदयू के उपाध्यक्ष प्रशांत किशोर ने। जब से प्रशांत किशोर और ममता बनर्जी के बीच बैठक हुई है, ममता बनर्जी ने बाहरी-भीतरी की बात छेड़ दी है।
    रैली में डॉक्टरों की हड़ताल को लेकर ममता बनर्जी ने विपक्षी बीजेपी और सीपीएम पर भी हमला बोला। उन्होंने कहा कि विपक्षी दल डॉक्टरों को भड़का रहे हैं और मामले को सांप्रदायिक रंग देने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने डॉक्टरों को यह चेतावनी भी दी है कि वे दूसरों के हाथ में न खेलें।
    इस बयान पर बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय ने ममता बनर्जी पर निशाना साधा है। कैलाश विजयवर्गीय ने ट्वीट कर कहा, ‘ममता बनर्जी, आप प्रदेश की स्वास्थ्य मंत्री भी हैं। आपके अहंकार के कारण पिछले चार दिनों में कितने लोगों ने मौत का दरवाजा खटखटाया है…। कुछ तो शर्म करो…।’
    वहीं बिहार में जदयू के प्रवक्ता अजय आलोक ने पार्टी पद से इस्तीफा देते हुए नीतीश कुमार पर यह आरोप लगाया है कि वह पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का खुलेआम समर्थन कर रहे हैं । इसीलिए नीतीश कुमार ने जदयू के उपाध्यक्ष प्रशांत किशोर को चुनाव में ममता की मदद करने के लिए वहां भेज दिया। आखिर जदयू का उपाध्यक्ष किसी दूसरी पार्टी को खुलेआम मदद कैसे कर सकता है।
    डॉक्टरों की हड़ताल पर उन्होंने ट्वीट किया, ‘पश्चिम बंगाल में एक डॉक्टर की 200 रोहिंग्या पिटाई करते हैं, तो ठीक, लेकिन पश्चिम बंगाल के डॉक्टर इसके विरोध में स्ट्राइक करें और समर्थन में पूरे देश के डॉक्टर आ जायें तो गलत? ये क्या है? सारे दलों को सांप सूंघ गया। एक डॉक्टर हर्षवर्द्धन के अलावा सब मौन हैं क्यों ? एक डॉक्टर और नागरिक के नाते मेरा उनको समर्थन हैं।’
    आलोक के प्रवक्ता पद से इस्तीफा देने के बाद ऐसी अटकलें तेज हो गयी हैं कि नीतीश कुमार और पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी के बीच नजदीकी बढ़ रही है। बात तो यहां तक हो रही है कि नीतीश कुमार के कहने पर ही प्रशांत किशोर चुनाव में ममता की मदद कर रहे हैं। अगर ऐसा नहीं होता, तो जदयू का उपाध्यक्ष किसी दूसरी पार्टी की मदद के लिए कैसे जाता।

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