इलाके में बढ़ गयी हैं चंदौली के बाहुबली विनीत सिंह की गतिविधियां

झारखंड का कोयलांचल, यानी धनबाद का इलाका हमेशा से बाहुबलियों का सबसे पसंदीदा रहा है। काले हीरे की काली और अकूत कमाई इन बाहुबलियों को यहां आने के लिए प्रोत्साहित करती है। समय बीतने के साथ ये बाहुबली यहां के सामाजिक-आर्थिक जीवन में इतने घुल-मिल जाते हैं कि संसद और विधानसभा तक पहुंच जाते हैं। कोयलांचल में दबदबा रखनेवाले बाहुबलियों की फेहरिस्त बहुत लंबी है। सूर्यदेव सिंह से लेकर संजीव सिंह तक कोयलांचल ने कई बाहुबलियों को पनाह दी, प्रतिष्ठा दी और यहां के लोगों ने वोट भी दिया। हाल के दिनों में इस फेहरिस्त में एक नया नाम जुड़ा है और वह है श्याम नारायण सिंह का। उत्तरप्रदेश के चंदौली के रहनेवाले श्याम नारायण सिंह को लोग विनीत सिंह के नाम से जानते हैं। बसपा से विधान परिषद के सदस्य रह चुके विनीत सिंह फिलहाल भाजपा में है। पिछले दिनों जैसे ही उसके कदम कोयलांचल में पड़े, इलाके में खलबली मच गयी। कोयले के धंधे को नियंत्रित करनेवाले झारखंड, बिहार और उत्तरप्रदेश के बाहुबली कारोबारी सकते में हैं। मंडियों में भी हलचल है, क्योंकि विनीत सिंह के बारे में कहा जाता है कि वह अपने धंधे में कोई समझौता नहीं करता। धनबाद के कोयला कारोबार को गहराई से जाननेवाले बताते हैं कि विनीत सिंह फिलहाल अपना सिंडीकेट खड़ा करने की रणनीति बना रहा है।
क्या है कोयले का काला धंधा
धनबाद कोयलांचल से सबसे अधिक कोयला पूर्वी उत्तरप्रदेश की मंडियों में जाता है। इस पूरे कारोबार को बाहुबली ही नियंत्रित करते हैं। धनबाद से मंडियों तक कोयले की बेरोक-टोक ढुलाई और फिर बिक्री के एवज में इन बाहुबलियों को प्रति टन के हिसाब से चढ़ावा मिलता है। यह चढ़ावा प्रति दिन अरबों रुपये में होता है। चूंकि इस काले कारोबार में बड़ी रकम की लेन-देन होती है, इसलिए स्वाभाविक तौर पर इसमें वर्चस्व की लड़ाई भी होती है और हत्याएं भी। अक्तूबर, 1971 में कोयला उद्योग के राष्टÑीयकरण के बाद से करीब दो दर्जन बाहुबलियों की हत्या इसी काले कारोबार की वजह से पैदा हुई दुश्मनी की वजह से हो चुकी है।
पूर्वांचल के बाहुबलियों का बोलबाला
धनबाद कोयलांचल में सक्रिय बाहुबलियों में अधिकांश पूर्वी उत्तरप्रदेश से आये। चाहे सूरजदेव सिंह हों या मुन्ना बजरंगी, मुख्तार अंसारी हों या बृजेश सिंह, नौरंगदेव सिंह हों या सुरेश सिंह या फिर राजू यादव। झारखंड बनने से पहले और बाद में भी धनबाद इलाके में इन बाहुबलियों का दबदबा कायम रहा। झारखंड बनने के बाद कुछ स्थानीय दबंग भी इस धंधे में उतरे। इनमें बाघमारा के भाजपा विधायक ढुल्लू महतो और डुमरी के विधायक जगरनाथ महतो के नाम प्रमुख हैं।
कौन है विनीत सिंह
विनीत सिंह यूपी के पूर्वांचल में बाहुबलियों की सूची में शुमार है। वह यूपी विधान परिषद का सदस्य रह चुका है। उसकी अदावत बाहुबली बृजेश सिंह के साथ है। लोकसभा चुनाव 2019 के अंतिम चरण के मतदान से तीन दिन पहले वह भाजपा में शामिल हुऔर और चंदौली लोकसभा क्षेत्र में भाजपा की जीत में भूमिका निभायी।
विनीत सिंह तीन दिन पहले एक बर्थडे पार्टी में शामिल होने के लिए धनबाद आया। उसके साथ उसका पूरा अमला था। धनबाद के एक होटल में रात गुजारने के बाद वह बुधवार को मैथन गया। बताया जाता है कि धनबाद प्रवास के दौरान कोयलांचल के कई कारोबारी उससे मिलने पहुंचे थे। यह सिलसिला अहले सुबह तक जारी रहा। सूत्रों के अनुसार विनीत सिंह पहले से ही लोहा और कोयले के धंधे में शामिल है और उसका कारोबार पश्चिम बंगाल के रानीगंज, आसनसाल और दूसरे इलाकों में चलता है।
रांची जेल में रहते लड़ा यूपी विधानसभा का चुनाव
विनीत सिंह दो साल पहले रांची के बिरसा मुंडा जेल में बंद था। इसी जेल में झरिया के विधायक और सिंह मेंशन के युवराज संजीव सिंह भी अपने चचेरे भाई नीरज सिंह की हत्या के आरोप में बंद हैं। ये दोनों ही बृजेश सिंह के दुश्मन हैं। संजीव सिंह के बड़े भाई राजीव रंजन की हत्या के लिए उनका परिवार बृजेश सिंह को जिम्मेदार ठहराता है, जबकि विनीत सिंह ने सैयदराजा विधानसभा सीट से बृजेश सिंह के भतीजे सुशील सिंह के खिलाफ चुनाव लड़ा और दूसरे नंबर पर रहा था बृजेश सिंह से अदावत ने संजीव सिंह और विनीत को दोस्त बना दिया है।
ब्लैक बेल्ट है विनीत, साथ रहते हैं दर्जन भर गनर
विनीत सिंह कराटे का ब्लैक बेल्ट है, फिर भी हर वक्त 12 बंदूकधारियों के साये में चलता है। जेल में रहते हुए उसने यूपी विधानसभा का चुनाव लड़ा। इससे पहले 2010 में वह मिर्जापुर जिले से बसपा के टिकट पर एमएलसी चुना गया। विनीत पर कई संगीन केस दर्ज हैं और कई में वह बरी भी हो चुका है। विनीत के काफिले में 10 एसयूवी कारें शामिल होती हैं, जिनमें फोर्ड इंडीवर, स्कॉर्पियो और लैंड रोवर शामिल हैं। इसके पास तीन मकान हैं, जिनमें से एक इसके पिताजी का पुश्तैनी घर है, जहां इसका बचपन बीता। एक आलीशान कोठी में इसका आवास है और एक कोठी अभी बन रही है। इसकी पत्नी का मिजार्पुर में भी एक मकान है। विनीत सिंह वाराणसी के चोलापुर विकासखंड के गोला गांव का रहने वाला है। इसके पिता स्व. शिवमूरत सिंह राजस्व विभाग में कर्मचारी थे। विनीत पांच भाइयों और चार बहनों में चौथे नंबर पर है। इसके बड़े भाई त्रिभुवन सिंह चोलापुर से ब्लॉक प्रमुख रहे चुके हैं और भतीजा संजय सिंह ग्राम प्रधान है। विनीत के पास स्नातक की डिग्री है। वह बचपन से ही वॉलीबॉल और क्रिकेट का अच्छे खिलाड़ी रहा। विनीत सिंह ने 2011 में अपनी पत्नी प्रमिला सिंह को जिला पंचायत अध्यक्ष का चुनाव लड़ाया, जिसमें वह भारी मतों से विजयी रहीं।
स्थानीय दबंगों से मुकाबले की तैयारी
विनीत सिंह के कोयलांचल में पदार्पण को स्थानीय दबंगों के बढ़ते प्रभाव से जोड़ कर देखा जा रहा है। हाल के दिनों में विधायक ढुल्लू महतो ने कोयले के धंधे में अपना प्रभाव बढ़ाया है। इसे लेकर सिंह मेंशन में बेचैनी है। इसके साथ ही संजीव सिंह को उनके ही छोटे भाई मनीष सिंह उर्फ सिद्धार्थ गौतम ने भी चुनौती दी है। चर्चा है कि इसकी काट के लिए ही संजीव सिंह के बुलावे पर विनीत सिंह धनबाद में अपनी गतिविधियां बढ़ा रहा है। जानकार कहते हैं कि आनेवाले दिनों में कोयलांचल में एक नया गुट दिखाई देगा और तब स्थिति और भी भयावह होगी।

Share.

Comments are closed.

Exit mobile version