आजाद सिपाही संवाददाता
रांची। एयरपोर्ट पर सोमवार की सुबह करीब दस बजे जब लेह-लद्दाख से आने वाले विमान के यात्री जब बाहर निकले, तो नजारा बदला हुआ था। किसी भी यात्री के हाथ में न तो ब्रांडेड सूटकेस थे और न ही एयरबैग। इसकी जगह कोई यात्री बोरी सिर पर लादे निकल रहा था, तो कोई हवाई चप्पल पहने प्लास्टिक का झोला बगल में दबाये निकला। खुद माथे पर बोरा लादे और हाथ में मजदूर कपड़े का बैग उठाये हुए थे। सबके चेहरे पर घर लौटने की खुशी के साथ हवाई जहाज में सवार होने के गर्व का भाव झलक रहा था। बातचीत में कुछ ने छोटानागपुरी तो कुछ ने संथाली और हिंदी में अपनी बात रखी। कहा कि बाबू…अब नून-रोटी खाब, मगिर झारखंड से नई जाब…। उनका था कि अब झारखंड से नहीं जायेंगे। यही पर भले ही नून-रोटी खायेंगे और कमायेंगे। हालांकि सभी मजदूर संथाल के थे, लेकिन छोटानागपुरी में भी बात की। हालांकि दूसरी ओर लॉकडाउन में भले ही मुश्किल में इनके दिन कटे हो, लेकिन हवाई जहाज के इस सफर ने उनकी तकलीफों को कुछ कम जरूर किया। एयरपोर्ट पर पेयजल एवं स्वच्छता मंत्री मिथिलेश ठाकुर एवं कृषि मंत्री बादल ने उनका स्वागत किया। हालचाल जाना। इसके बाद स्वास्थ्य जांच की प्रक्रिया पूरी कर उन्हें बसों से गृह जिले के लिए रवाना किया गया। कोरोना वायरस के कारण लागू देशव्यापी लॉकडाउन में झारखंड के मजदूर लेह में फंस गये थे। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने इस मामले को गंभीरता से लिया और उन्हें झारखंड ससम्मान वापस लाने को लेकर संजीदगी दिखाई। प्रथम चरण में 115 प्रवासी श्रमिकों को आना है। सोमवार को 55 प्रवासी श्रमिक झारखंड लौट चुके हैं। शेष प्रवासी श्रमिक मंगलवार की शाम 7.40 बजे आयेंगे, जबकि दूसरे चरण में शुक्रवार और शनिवार को 93 श्रमिकों को एयरलिफ्ट किया जायेगा।
अंतिम प्रवासी की वापसी तक सिलसिला नहीं थमेगा: मिथिलेश
इस मौके पर मंत्री मिथिलेश ठाकुर ने कहा कि हवाई जहाज से प्रवासी मजदूरों को लाने का सिलसिला हेमंत सरकार में शुरू हो चुका है। वैसे सभी दुर्गम इलाकों जहां परिवहन के साधन मौजूद नहीं हैं, वहां से प्रवासी मजदूरों को हवाई जहाज से निरंतर वापस झारखंड लाया जा रहा है और जब तक हमारे सभी झारखंडी प्रवासी मजदूर नहीं आ जाते, तब तक यह क्रम चलता रहेगा। इस निमित राज्य के अधिकारी अन्य राज्यों से लगातार समन्वय बनाकर कार्य कर रहे हैं। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के प्रयासों से ही यह सब संभव हो पा रहा है तथा पूरे देश में यह संदेश गया है कि गरीब, मजदूरों, लाचारों की सुध लेने वाली कोई सरकार अगर है, तो वह हेमंत सोरेन की सरकार है। हेमंत सोरेन की सरकार ने विषम परिस्थितियों में भी ट्रेन एवं हवाई जहाज से प्रवासी मजदूरों को सकुशल उनके घरों तक पहुंचाने का कार्य किया है। हवाई मार्ग से भी मजदूरों को वापस लाने के लिए सबसे पहले इसकी शुरूआत झारखंड ने ही की थी।