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    Home»Jharkhand Top News»निशाने पर थे चमरा लिंडा, समीर मोहंती और निएल तिर्की
    Jharkhand Top News

    निशाने पर थे चमरा लिंडा, समीर मोहंती और निएल तिर्की

    azad sipahi deskBy azad sipahi deskJune 15, 2020No Comments3 Mins Read
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    अजय शर्मा
    रांची। पूर्व की सरकार के कार्यकाल में किये गये पुलिस अनुसंधान पर लगातार सवाल खड़े हो रहे हैं। अब नया खुलासा यह हुआ है कि उस समय के विपक्षी नेताओं के खिलाफ दर्ज मामलों में अचानक कई वर्ष बाद पुलिस को सबूत हाथ लगने लगे थे और नेताओं पर लगे आरोपों को सत्य बता कर गिरफ्तारी का वारंट भी निकाला जा रहा था। यह काम राज्यसभा और विधानसभा चुनाव से ठीक पहले होता था। सीआइडी ने इस संबंध में संबंधित जिलों के आरक्षी अधीक्षकों से जानकारी मांगी है कि आखिर अचानक केस सत्य कैसे हो रहा था। 2016 के राज्यसभा चुनाव में हॉर्स ट्रेडिंग मामले में रांची पुलिस को अनुसंधान के जो बिंदु दिये गये हैं, उसमें यह भी एक है। साथ ही कई जिलों के एसपी को अलग से पत्र भेजा गया है। कुछ दिन पहले पुलिस मुख्यालय में सभी जिलों के एसपी के साथ वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये विधि-व्यवस्था की समीक्षा की जा रही थी। उस समय भी सीआइडी के एडीजीपी अनिल पाल्टा ने इस मामले पर सवाल उठाया था।

    उस समय के विपक्षी नेता थे निशाने पर
    समीक्षा के दौरान पाया गया कि उस समय के विपक्षी नेता निशाने पर थे। झामुमो के विधायक चमरा लिंडा के खिलाफ 2013 में सरकारी काम में बाधा डालने का मामला दर्ज किया गया था। तीन साल तक पुलिस को उनके खिलाफ कोई सबूत हाथ नहीं लगा। राज्यसभा चुनाव के ठीक पहले पुलिस ने इस केस को सत्य करार दिया और चमरा लिंडा के खिलाफ वारंट तक निकाल दिया गया। उस समय के तोरपा से झामुमो विधायक पौलुस सुरीन के खिलाफ भी एक मामला खूंटी जिला में 2010 में दर्ज हुआ था। नौ साल तक उनके खिलाफ दर्ज मामले में कोई सबूत पुलिस को हाथ नहीं लगा। विधानसभा चुनाव के ठीक पहले पुलिस दावा करने लगी कि उस मामले में पौलुस सुरीन दोषी हैं। उनके खिलाफ भी वारंट निकाल लिया गया था। बहरागोड़ा से झामुमो के विधायक समीर मोहंती हैं। पहले वह भाजपा में थे। उनके खिलाफ 11 साल पहले मामला दर्ज किया गया था। इतने दिन तक पुलिस को कोई सबूत नहीं मिला, लेकिन 2019 के विधानसभा चुनाव से ठीक पहले केस भी सच हो गया और अदालत से वारंट निर्गत करने का अनुरोध भी पुलिस ने भेज दिया। सिमडेगा के कांग्रेस के विधायक थे निएल तिर्की। उनके खिलाफ भी मामूली आरोपों का एक मामला दर्ज है। आठ साल बाद उनके खिलाफ दर्ज मामले को सत्य बता कर वारंट निकाला गया था। कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष रहे सुखदेव भगत को भी लपेटने की कोशिश की गयी थी। जब वह प्रदेश अध्यक्ष थे, तब लोहरदगा में सरकारी काम में बाधा डालने का एक मामला दर्ज हुआ था। छह साल बाद पुलिस अचानक उस मामले को लेकर रेस हो गयी। लोहरदगा पुलिस पर दबाव था कि सुखदेव भगत को जेल भेज दिया जाये। कुछ दिन बाद वह भाजपा में शामिल हो गये, तो मामला शांत हो गया। ये कुछ उदाहरण हैं। पुलिस मुख्यालय इस तरह के मामलों की सूची तैयार कर रहा है।

    Chamara Linda Sameer Mohanty and Niall Tirkey were on target
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