Close Menu
Azad SipahiAzad Sipahi
    Facebook X (Twitter) YouTube WhatsApp
    Monday, May 26
    • Jharkhand Top News
    • Azad Sipahi Digital
    • रांची
    • हाई-टेक्नो
      • विज्ञान
      • गैजेट्स
      • मोबाइल
      • ऑटोमुविट
    • राज्य
      • झारखंड
      • बिहार
      • उत्तर प्रदेश
    • रोचक पोस्ट
    • स्पेशल रिपोर्ट
    • e-Paper
    • Top Story
    • DMCA
    Facebook X (Twitter) Instagram
    Azad SipahiAzad Sipahi
    • होम
    • झारखंड
      • कोडरमा
      • खलारी
      • खूंटी
      • गढ़वा
      • गिरिडीह
      • गुमला
      • गोड्डा
      • चतरा
      • चाईबासा
      • जमशेदपुर
      • जामताड़ा
      • दुमका
      • देवघर
      • धनबाद
      • पलामू
      • पाकुर
      • बोकारो
      • रांची
      • रामगढ़
      • लातेहार
      • लोहरदगा
      • सरायकेला-खरसावाँ
      • साहिबगंज
      • सिमडेगा
      • हजारीबाग
    • विशेष
    • बिहार
    • उत्तर प्रदेश
    • देश
    • दुनिया
    • राजनीति
    • राज्य
      • मध्य प्रदेश
    • स्पोर्ट्स
      • हॉकी
      • क्रिकेट
      • टेनिस
      • फुटबॉल
      • अन्य खेल
    • YouTube
    • ई-पेपर
    Azad SipahiAzad Sipahi
    Home»Jharkhand Top News»झारखंड की राजनीति में ‘चीन’ की इंट्री
    Jharkhand Top News

    झारखंड की राजनीति में ‘चीन’ की इंट्री

    azad sipahi deskBy azad sipahi deskJune 29, 2020No Comments11 Mins Read
    Facebook Twitter WhatsApp Telegram Pinterest LinkedIn Tumblr Email
    Share
    Facebook Twitter WhatsApp Telegram LinkedIn Pinterest Email

    15-16 जून की रात गलवान घाटी में 20 भारतीय जांवाजों की शहादत ने चीन के साथ भारत के संबंधों को बेहद तनावपूर्ण बना दिया है। देश भर में चीन के बहिष्कार का आह्वान भी जोर पकड़ रहा है। कोरोना संकट के बीच पैदा हुए इस तनाव ने झारखंड पर भी गहरा असर डाला है। लेह-लद्दाख में जहां झारखंड के श्रमिक सीमा पर सड़क बनाने के काम में जुटे हुए हैं, वहीं झारखंड की राजनीति में भी अब चीन की इंट्री हो गयी है। भाजपा जहां चीन के बहिष्कार की बात कह रही है, वहीं सत्तारूढ़ झामुमो और उसकी सहयोगी कांग्रेस ने इस मुद्दे पर भाजपा को घेरने की कोशिश शुरू की है। दोनों तरफ से बयानों के तीर भी चलने लगे हैं, लेकिन इसी बीच कांग्रेस पर राजीव गांधी फाउंडेशन के लिए चीन से दान लेने की बात सामने आने के बाद भाजपा कांग्रेस पर हमलावर हो गयी है। अब कांग्रेस की ओर से भी जवाबी प्रहार की तैयारी की जा रही है और पिछली सरकार में चीन की कंपनियों को तरजीह दिये जाने और लौह अयस्क निर्यात करने संबंधी पुराने मामले खंगाले जाने लगे हैं। इसके अलावा भाजपा के लिए गोड्डा में बन रहे अडाणी पावर प्लांट का ठेका चीन की कंपनी को दिये जाने का मामला गले की हड्डी साबित हो रहा है। झामुमो और कांग्रेस के पास तत्काल यह गरम मुद्दा है, जिसकी मदद से वे भाजपा को कठघरे में खड़ा करने की हरसंभव कोशिश कर रहे हैं। कुल मिला कर चीन का मसला झारखंड की राजनीति में अब ‘हॉट केक’ बनने की ओर तेजी से आगे बढ़ चला है। आखिर चीन का झारखंड से क्या कनेक्शन है और यह मुद्दा यहां की राजनीति के केंद्र में कितनी भूमिका निभायेगा, इस पर आजाद सिपाही ब्यूरो का खास विश्लेषण।

    पांच दिन पहले झारखंड मुक्ति मोर्चा के महासचिव सह प्रवक्ता सुप्रियो भट्टाचार्य ने अपनी नियमित प्रेस ब्रीफिंग में भाजपा पर चीन को लेकर दोहरा मापदंड अपनाने का आरोप लगाया था। उन्होंने गोड्डा में बन रहे अडाणी पावर प्लांट का ठेका चीनी कंपनी को दिये जाने का मुद्दा उठाया और कहा कि भाजपा एक तरफ चीन के बहिष्कार की बात करती है और दूसरी तरफ झारखंड में चीनी कंपनी को पैर जमाने का मौका दे रही है।
    भाजपा के लिए यह बहुत करारा प्रहार था। इसके बाद से ही भाजपा की तरफ से चीन के मुद्दे पर कांग्रेस को घेरने की कोशिशें शुरू हुईं और अब देश की सबसे पुरानी राजनीतिक पार्टी अपने पूर्व अध्यक्ष राजीव गांधी के नाम पर बने फाउंडेशन के लिए चीन से चंदा लेने के मामले में बुरी तरह घिर चुकी है।
    दरअसल कोरोना संकट के बीच चीन के साथ गलवान घाटी में हुई झड़प के बाद देश में पैदा हुई चीन विरोधी भावना से झारखंड भी अछूता नहीं है। स्वाभाविक रूप से राजनीति में भी चीन की इंट्री हो गयी है। 15-16 जून की रात गलवान घाटी में 20 भारतीय सैनिकों की शहादत के फौरन बाद झारखंड के करीब डेढ़ हजार मजदूर वहां सड़क बनाने के लिए पहुंच गये। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और उनकी पार्टी झामुमो ने इसे देश सेवा से जोड़ा और कहा कि झारखंड का हरेक व्यक्ति देश के लिए बड़ी से बड़ी कुर्बानी देने को तैयार है। विपक्षी भाजपा के लिए यह बड़ी राजनीतिक दुविधा थी, क्योंकि उसे इसका क्रेडिट नहीं मिल सका। तब भाजपा ने चीन के सामानों के बहिष्कार का आह्वान किया, जो देश के दूसरे हिस्सों के साथ झारखंड में भी समान रूप से प्रभावी हुआ। जमशेदपुर के दो उद्यमियों ने इसी आह्वान के बाद चीन की कंपनी को दिया गया पांच करोड़ रुपये का आॅर्डर रद्द कर दिया, जिसमें उन्हें 70 लाख रुपये का नुकसान भी उठाना पड़ा।
    लेकिन भाजपा का यह आह्वान झामुमो महासचिव सह प्रवक्ता सुप्रियो भट्टाचार्य के आरोपों के बाद संदेह के घेरे में आ गया है। झामुमो ने भाजपा को चुनौती दी है कि यदि वह सचमुच चीन के बहिष्कार के बारे में गंभीर है, तो वह अडाणी पावर प्लांट के खिलाफ आंदोलन करे, ताकि चीन की कंपनी को दिया गया ठेका रद्द कर दिया जाये। यह भाजपा के लिए असहज स्थिति है। दूसरी तरफ झामुमो के सामने मुश्किल तब हो गयी, जब कांग्रेस द्वारा राजीव गांधी फाउंडेशन के लिए चीन से चंदा लेने की बात सामने आ गयी। चूंकि झारखंड की सत्ता में झामुमो की सहयोगी के रूप में कांग्रेस भी हिस्सेदार है, इसलिए झामुमो के पास कहने के लिए बहुत कुछ नहीं बच गया है।
    अब एक नजर झारखंड में चीन के व्यापारिक हितों की बात करते हैं। खनिज संपदा से परिपूर्ण होने के कारण झारखंड हमेशा से चीन की प्राथमिकता सूची में रहा है। सिंहभूम से लौह अयस्कों का निर्यात चीन की कंपनियों को किया जाता रहा है। इसके अलावा पिछली भाजपा की सरकार में भी चीन पर बहुत अधिक ध्यान दिया गया थ। 2016 में झारखंड सरकार का एक उच्चस्तरीय प्रतिनिधिमंडल चीन के दौरे पर गया था और वहां रोड शो का आयोजन कर चीनी कंपनियों को झारखंड में निवेश के लिए आमंत्रित किया गया था। 2018 मेें मोमेंटम झारखंड के बाद कई चीनी कंपनियों ने झारखंड में निवेश की इच्छा जतायी थी। चीन के महावाणिज्य दूत बाद में रांची आये थे और तत्कालीन मुख्यमंत्री रघुवर दास से मिले भी थे।
    हालांकि निवेश के वादे धरातल पर उतरे या नहीं, इसका कोई आधिकारिक विवरण उपलब्ध नहीं है। अब जब चीन पर राजनीति गरम हो गयी है, झामुमो और कांग्रेस की तरफ से भाजपा को घेरने के हरसंभव प्रयास किये जा रहे हैं। झारखंड में कांग्रेस पहली बार पूर्ण बहुमत की सरकार में हिस्सेदार है, इसलिए वह झामुमो के कवच की मदद से भाजपा को घेरने की रणनीति बनाने में जुटी है। चीन के प्रति रघुवर सरकार का अतिरिक्त प्रेम उसके लिए एक जरिया बनता दिख रहा है और उसे उम्मीद है कि भाजपा इससे रक्षात्मक मुद्रा में आने पर मजबूर होगी। दूसरी तरफ भाजपा के पास कांग्रेस को घेरने के लिए पर्याप्त मुद्दे हैं। देश में लंबे समय तक शासन करनेवाली कांग्रेस की जो हालत केंद्र में हो रही है, लगभग वही हालत भाजपा की झारखंड में है, क्योंकि यहां लंबे समय तक उसने ही सरकार चलायी है। झारखंड की राजनीति में चीन की इस इंट्री का दूरगामी असर पड़ना स्वाभाविक है।
    झारखंड की आर्थिक गतिविधियों में चीन एक बड़ा फैक्टर है। इसलिए राजनीति भी इस पर खूब हो रही है और आगे भी होती रहेगी।15-16 जून की रात गलवान घाटी में 20 भारतीय जांवाजों की शहादत ने चीन के साथ भारत के संबंधों को बेहद तनावपूर्ण बना दिया है। देश भर में चीन के बहिष्कार का आह्वान भी जोर पकड़ रहा है। कोरोना संकट के बीच पैदा हुए इस तनाव ने झारखंड पर भी गहरा असर डाला है। लेह-लद्दाख में जहां झारखंड के श्रमिक सीमा पर सड़क बनाने के काम में जुटे हुए हैं, वहीं झारखंड की राजनीति में भी अब चीन की इंट्री हो गयी है। भाजपा जहां चीन के बहिष्कार की बात कह रही है, वहीं सत्तारूढ़ झामुमो और उसकी सहयोगी कांग्रेस ने इस मुद्दे पर भाजपा को घेरने की कोशिश शुरू की है। दोनों तरफ से बयानों के तीर भी चलने लगे हैं, लेकिन इसी बीच कांग्रेस पर राजीव गांधी फाउंडेशन के लिए चीन से दान लेने की बात सामने आने के बाद भाजपा कांग्रेस पर हमलावर हो गयी है। अब कांग्रेस की ओर से भी जवाबी प्रहार की तैयारी की जा रही है और पिछली सरकार में चीन की कंपनियों को तरजीह दिये जाने और लौह अयस्क निर्यात करने संबंधी पुराने मामले खंगाले जाने लगे हैं। इसके अलावा भाजपा के लिए गोड्डा में बन रहे अडाणी पावर प्लांट का ठेका चीन की कंपनी को दिये जाने का मामला गले की हड्डी साबित हो रहा है। झामुमो और कांग्रेस के पास तत्काल यह गरम मुद्दा है, जिसकी मदद से वे भाजपा को कठघरे में खड़ा करने की हरसंभव कोशिश कर रहे हैं। कुल मिला कर चीन का मसला झारखंड की राजनीति में अब ‘हॉट केक’ बनने की ओर तेजी से आगे बढ़ चला है। आखिर चीन का झारखंड से क्या कनेक्शन है और यह मुद्दा यहां की राजनीति के केंद्र में कितनी भूमिका निभायेगा, इस पर आजाद सिपाही ब्यूरो का खास विश्लेषण।
    पांच दिन पहले झारखंड मुक्ति मोर्चा के महासचिव सह प्रवक्ता सुप्रियो भट्टाचार्य ने अपनी नियमित प्रेस ब्रीफिंग में भाजपा पर चीन को लेकर दोहरा मापदंड अपनाने का आरोप लगाया था। उन्होंने गोड्डा में बन रहे अडाणी पावर प्लांट का ठेका चीनी कंपनी को दिये जाने का मुद्दा उठाया और कहा कि भाजपा एक तरफ चीन के बहिष्कार की बात करती है और दूसरी तरफ झारखंड में चीनी कंपनी को पैर जमाने का मौका दे रही है।
    भाजपा के लिए यह बहुत करारा प्रहार था। इसके बाद से ही भाजपा की तरफ से चीन के मुद्दे पर कांग्रेस को घेरने की कोशिशें शुरू हुईं और अब देश की सबसे पुरानी राजनीतिक पार्टी अपने पूर्व अध्यक्ष राजीव गांधी के नाम पर बने फाउंडेशन के लिए चीन से चंदा लेने के मामले में बुरी तरह घिर चुकी है।
    दरअसल कोरोना संकट के बीच चीन के साथ गलवान घाटी में हुई झड़प के बाद देश में पैदा हुई चीन विरोधी भावना से झारखंड भी अछूता नहीं है। स्वाभाविक रूप से राजनीति में भी चीन की इंट्री हो गयी है। 15-16 जून की रात गलवान घाटी में 20 भारतीय सैनिकों की शहादत के फौरन बाद झारखंड के करीब डेढ़ हजार मजदूर वहां सड़क बनाने के लिए पहुंच गये। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और उनकी पार्टी झामुमो ने इसे देश सेवा से जोड़ा और कहा कि झारखंड का हरेक व्यक्ति देश के लिए बड़ी से बड़ी कुर्बानी देने को तैयार है। विपक्षी भाजपा के लिए यह बड़ी राजनीतिक दुविधा थी, क्योंकि उसे इसका क्रेडिट नहीं मिल सका। तब भाजपा ने चीन के सामानों के बहिष्कार का आह्वान किया, जो देश के दूसरे हिस्सों के साथ झारखंड में भी समान रूप से प्रभावी हुआ। जमशेदपुर के दो उद्यमियों ने इसी आह्वान के बाद चीन की कंपनी को दिया गया पांच करोड़ रुपये का आॅर्डर रद्द कर दिया, जिसमें उन्हें 70 लाख रुपये का नुकसान भी उठाना पड़ा।
    लेकिन भाजपा का यह आह्वान झामुमो महासचिव सह प्रवक्ता सुप्रियो भट्टाचार्य के आरोपों के बाद संदेह के घेरे में आ गया है। झामुमो ने भाजपा को चुनौती दी है कि यदि वह सचमुच चीन के बहिष्कार के बारे में गंभीर है, तो वह अडाणी पावर प्लांट के खिलाफ आंदोलन करे, ताकि चीन की कंपनी को दिया गया ठेका रद्द कर दिया जाये। यह भाजपा के लिए असहज स्थिति है। दूसरी तरफ झामुमो के सामने मुश्किल तब हो गयी, जब कांग्रेस द्वारा राजीव गांधी फाउंडेशन के लिए चीन से चंदा लेने की बात सामने आ गयी। चूंकि झारखंड की सत्ता में झामुमो की सहयोगी के रूप में कांग्रेस भी हिस्सेदार है, इसलिए झामुमो के पास कहने के लिए बहुत कुछ नहीं बच गया है।
    अब एक नजर झारखंड में चीन के व्यापारिक हितों की बात करते हैं। खनिज संपदा से परिपूर्ण होने के कारण झारखंड हमेशा से चीन की प्राथमिकता सूची में रहा है। सिंहभूम से लौह अयस्कों का निर्यात चीन की कंपनियों को किया जाता रहा है। इसके अलावा पिछली भाजपा की सरकार में भी चीन पर बहुत अधिक ध्यान दिया गया थ। 2016 में झारखंड सरकार का एक उच्चस्तरीय प्रतिनिधिमंडल चीन के दौरे पर गया था और वहां रोड शो का आयोजन कर चीनी कंपनियों को झारखंड में निवेश के लिए आमंत्रित किया गया था। 2018 मेें मोमेंटम झारखंड के बाद कई चीनी कंपनियों ने झारखंड में निवेश की इच्छा जतायी थी। चीन के महावाणिज्य दूत बाद में रांची आये थे और तत्कालीन मुख्यमंत्री रघुवर दास से मिले भी थे।
    हालांकि निवेश के वादे धरातल पर उतरे या नहीं, इसका कोई आधिकारिक विवरण उपलब्ध नहीं है। अब जब चीन पर राजनीति गरम हो गयी है, झामुमो और कांग्रेस की तरफ से भाजपा को घेरने के हरसंभव प्रयास किये जा रहे हैं। झारखंड में कांग्रेस पहली बार पूर्ण बहुमत की सरकार में हिस्सेदार है, इसलिए वह झामुमो के कवच की मदद से भाजपा को घेरने की रणनीति बनाने में जुटी है। चीन के प्रति रघुवर सरकार का अतिरिक्त प्रेम उसके लिए एक जरिया बनता दिख रहा है और उसे उम्मीद है कि भाजपा इससे रक्षात्मक मुद्रा में आने पर मजबूर होगी। दूसरी तरफ भाजपा के पास कांग्रेस को घेरने के लिए पर्याप्त मुद्दे हैं। देश में लंबे समय तक शासन करनेवाली कांग्रेस की जो हालत केंद्र में हो रही है, लगभग वही हालत भाजपा की झारखंड में है, क्योंकि यहां लंबे समय तक उसने ही सरकार चलायी है। झारखंड की राजनीति में चीन की इस इंट्री का दूरगामी असर पड़ना स्वाभाविक है।
    झारखंड की आर्थिक गतिविधियों में चीन एक बड़ा फैक्टर है। इसलिए राजनीति भी इस पर खूब हो रही है और आगे भी होती रहेगी।

    'China' entry in Jharkhand politics
    Share. Facebook Twitter WhatsApp Telegram Pinterest LinkedIn Tumblr Email
    Previous Articleवेदांता के शेयरों की डीलिस्टिंग की कीमत मोतीलाल सिक्यूरिटीज ने 114 रुपये आंकी
    Next Article चीन के मुद्दे पर पीएम ने देश को गुमराह किया: डॉ रामेश्वर उरांव
    azad sipahi desk

      Related Posts

      भारत बनेगा औद्योगिक महाशक्ति : ओम बिरला

      May 25, 2025

      समाज को आगे बढ़ाने में महिलाओं का योगदान महत्वपूर्ण: सुदीप गुड़िया

      May 25, 2025

      रांची में अड्डेबाजी के खिलाफ पुलिस ने चलाया अभियान, 50 से ज्यादा पकड़े गए

      May 25, 2025
      Add A Comment

      Comments are closed.

      Recent Posts
      • नेपाल में डी कंपनी का गुर्गा युनूस अंसारी जेल से रिहा होते ही दूसरे मामले में दोबारा गिरफ्तार
      • भारत बनेगा औद्योगिक महाशक्ति : ओम बिरला
      • समाज को आगे बढ़ाने में महिलाओं का योगदान महत्वपूर्ण: सुदीप गुड़िया
      • रांची में अड्डेबाजी के खिलाफ पुलिस ने चलाया अभियान, 50 से ज्यादा पकड़े गए
      • फर्नीचर दुकान में लगी आग, लाखों का हुआ नुकसान
      Read ePaper

      City Edition

      Follow up on twitter
      Tweets by azad_sipahi
      Facebook X (Twitter) Instagram Pinterest
      © 2025 AzadSipahi. Designed by Microvalley Infotech Pvt Ltd.

      Type above and press Enter to search. Press Esc to cancel.

      Go to mobile version