अजय शर्मा
रांची। झारखंड सरकार जल्द ही बड़ा फैसला लेनेवाली है। घर लौटे प्रवासियों और अन्य मजदूरों के लिए मुख्यमंत्री रोजगार गारंटी योजना शुरू की जायेगी। इस पर सरकार के आलाधिकारी तेजी से काम कर रहे हैं। जिस समय मजदूरों को रोजगार नहीं मिलेगा, उस समय एक अलग भत्ता देने का प्रावधान योजना में किया जायेगा। इसका नाम बेरोजगारी भत्ता भी हो सकता है। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने यह जानकारी रविवार को दी। उन्होंने कहा कि वह खुद इस संबंध में अधिकारियों के साथ चर्चा भी कर चुके हैं। बाहर से आये मजदूरों को रोजगार उपलब्ध कराने की गारंटी देने का प्रावधान योजना में होगा। हर जिला में मजदूरों को रजिस्ट्रेशन कराना होगा। जिला के उपायुक्तों को यह जवाबदेही दी जायेगी कि वे मजदूरों को हर हाल में रोजगार उपलब्ध करायें। झारखंड में दूसरे राज्यों से करीब सात लाख मजदूर लौटे हैं। इनमें से कई कुशल, तो कई अकुशल हैं। दो श्रेणी के मजदूरों को अलग-अलग रोजगार दिये जाने के प्रावधान पर भी विचार किया जा रहा है। शहरी विकास और आवास विभाग इस योजना को अंतिम रूप देने में जुटा है।
सीएम ने बताया कि मुख्यमंत्री श्रमिक शहरी रोजगार योजना के तहत लोगों को महात्मा गांधी ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) की तरह कम से कम एक सौ दिन के रोजगार की गारंटी दी जायेगी। इस रोजगार गारंटी योजना के शुरू होने के बाद झारखंड के शहरी श्रमिकों को भी परिवार के भरण-पोषण और जीविकोपार्जन के लिए दूसरे प्रदेशों का रुख नहीं करना पड़ेगा। उन्हें अपने वार्ड या अपने शहर में ही काम मिल जायेगा। योजना के तहत झारखंड के शहरों में रहने वाले 18 वर्ष से ज्यादा उम्र के अकुशल श्रमिकों को एक वित्त वर्ष में एक सौ दिनों के रोजगार की गारंटी मिलेगी। अगर किसी आवेदक कामगार को आवेदन के 15 दिन के अंदर काम नहीं मिल पाया, तो वह बेरोजगारी भत्ता का हकदार होगा। यह भत्ता पहले माह न्यूनतम मजदूरी का एक चौथाई, दूसरे माह न्यूनतम मजदूरी का आधा और तीसरे माह से न्यूनतम मजदूरी के बराबर होगा।
मुख्यमंत्री रोजगार गारंटी योजना लाने पर विचार : हेमंत सोरेन
Related Posts
Add A Comment