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    Home»राज्य»उत्तर प्रदेश»योगी सरकार हर हाथ को काम दिलाने में जुटी, अबतक 24 लाख कामगारों का डेटाबेस तैयार
    उत्तर प्रदेश

    योगी सरकार हर हाथ को काम दिलाने में जुटी, अबतक 24 लाख कामगारों का डेटाबेस तैयार

    sonu kumarBy sonu kumarJune 2, 2020No Comments5 Mins Read
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    प्रदेश में लाखों कामगारों की वापसी के साथ इन्हें रोजगार उपलब्ध कराने के लिए स्किल मैपिंग कर डेटा बैंक बनाने का काम तेजी से किया जा रहा है।
     
    राज्य के अपर मुख्य सचिव गृह अवनीश कुमार अवस्थी के मुताबिक कामगारों का पूरा डेटाबेस राजस्व विभाग इकट्ठा कर रहा है। अब तक 23-24 लाख लोगों का डेटाबेस तैयार कर लिया गया है। अब तक प्रदेश में आए लगभग 30 लाख लोगों के स्वरोजगार, पुर्नवास एवं स्किलिंग आदि की व्यवस्था राजस्व विभाग द्वारा तैयार किए जा रहे डेटाबेस के आधार पर सुनिश्चित की जाएगी। शीघ्र ही कामगार-श्रमिक (सेवायोजन एवं रोजगार) कल्याण आयोग के गठन का कार्य पूर्ण कर लिया जाएगा।
     
    हर हाथ को काम, हर घर को रोजगार
    उत्तर प्रदेश पहला राज्य है जो अपने कामगारों, श्रमिकों की स्किल मैपिंग करा रहा है और जहां इनके बेहतर भविष्य लिए उत्तर प्रदेश में श्रमिकों के लिए आयोग का गठन किया जा रहा है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा है कि सरकार अपने हर कामगार व श्रमिक को सामाजिक सुरक्षा और बीमा की गारंटी देगी। कामगारों, श्रमिकों का शोषण एवं उत्पीड़न हर हाल में रुके।राज्य सरकार हर हाथ को काम व हर घर को रोजगार देने के लिए कृतसंकल्पित है।
     
    सरकार की मुहिम को उद्योग जगत का साथ मिला
    प्रवासी कामगारों को रोजगार दिलाने में उनकी मुहिम को शुरुआती दौर में उद्योग जगत का साथ मिला है। राज्य के 11 लाख श्रमिकों को रोजगार दिलाने के लिए इंडियन इंड्रस्टीज एसोसिएशन (आईआईए), नरडेको (नेशनल रीयल एस्टेट डवलपमेंट काउंसिल), कंफेडरेशन ऑफ इंडियन इंडस्ट्रीज (सीआईआई) और उत्तर प्रदेश सरकार के बीच एमओयू पर हस्ताक्षर किए गए हैं। आईआईए ने पांच लाख, नरडेको ने ढाई लाख व सीआईआई ने दो लाख कामगारों की मांग की है। आईआईए व सीआईआई एमएसएमई इकाइयों तथा नरडेको रीयल एस्टेट संस्थानों में श्रमिकों को रोजगार दिलाने का काम करेगा। इनके अलावा कुछ और औद्योगिक संगठनों की तरफ से लगभग 1.5 लाख श्रमिकों की मांग प्रदेश सरकार से की गई है।
     
    उद्योगों को प्रोत्साहित करने के लिए नीतियों में जरूरी संशोधन की कवायद
    मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ करने, पूंजी निवेश को बढ़ावा देने तथा रोजगार के नए अवसरों को सृजित करने के लिए निवेशकों की जरूरतों व सहूलियतों के दृष्टिगत विभिन्न नीतियों में आवश्यकतानुसार संशोधन किए जाने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने कहा कि वर्तमान समय की आवश्यकता को देखते हुए पूर्व में स्थापित नीतियों में जरूरी संशोधन किए जाएं।
    इसी कड़ी में मुख्यमंत्री के समक्ष उप्र फिल्म पाॅलिसी-2018, उप्र सोलर इनर्जी पाॅलिसी-2018, उप्र बायोफ्यूल पाॅलिसी-2018, उप्र सिविल एविएशन पाॅलिसी-2017 तथा उप्र इलेक्ट्रिक व्हीकल मैन्युफैक्चरिंग एंड मोबिलिटी पाॅलिसी-2019 में जरूरी संशोधनों के सम्बन्ध में प्रस्तुतीकरण हो चुका है।
    वहीं सरकार फार्मा, खाद्य प्रसंस्करण, दुग्ध उत्पादन, पर्यटन तथा वस्त्र नीति में संशोधन पर भी काम कर रही है। मुख्यमंत्री ने कहा कि खाद्य प्रसंस्करण नीति में आवश्यक संशोधन करते हुए खाद्य प्रसंस्करण की प्रस्तावित इकाइयों को शीघ्र क्लीयरेन्स प्रदान की जाए ताकि यह इकाइयां जल्द स्थापित हो सकें। इसी तरह दुग्ध उत्पादन को बढ़ावा देने के उद्देश्य से बड़ी संख्या में दुग्ध समितियां स्थापित करनी होंगी। इसी तरह औद्योगिक विकास को बढ़ावा देने के लिए यूपीसीडा की विभिन्न नीतियों में संशोधन की भी कवायद की जा रही है।
     
    लैण्ड बैंक बनाने और भूमि उपलब्ध कराने पर जोर
    मुख्यमंत्री ने निवेशकों की आवश्यकताओं के मद्देनजर लैण्ड बैंक बनाने और भूमि उपलब्ध कराने पर जोर दिया है। उन्होंने कहा कि ऐसा करते समय निवेशकों और उद्यमियों के हितों का ध्यान रखा जाए। नियमों का सरलीकरण हो। उन्होंने कहा कि भूमि के आवंटन के पांच वर्ष की समय-सीमा के अंदर कोई भी औद्योगिक इकाई स्थापित न होने पर, उस आवंटन के सम्बन्ध में विचार करते हुए कार्यवाही की जाए। उन्होंने कहा कि निर्णय लेने में देरी, पूंजी निवेश और औद्योगिक विकास में बाधक है। इसलिए त्वरित निर्णय लेते हुए कार्यवाही की जाए।
     
    कामगारों को सस्ते घर और दुकानें देने की योजना
    सरकार ने प्रवासियों कामगारों के लिए सस्ती दरों पर दुकानें और घर मुहैया कराने की योजना तैयार की है। मुख्यमंत्री के मुताबिक अर्थव्यवस्था में श्रमिकों व शहरी निर्धन लोगों की अहम भूमिका है। अफोर्डेबल रेंटल हाउसिंग कॉम्प्लेक्स स्कीम से झुग्गी बस्तियों व अनियोजित अवैध कालोनियों की समस्या का भी समाधान होगा। हाउसिंग कॉम्प्लेक्स के लिए जमीन चिह्नित की जाए और निर्माण के समय जरूरी व्यवस्थाएं व बुनियादी सुविधाएं सुनिश्चित कर लें। भवनों को भी चिह्नित किया जा सकता है, जिनका ग्राउंड फ्लोर छोड़कर पहले, दूसरे या अन्य तलों पर रेंटल कॉम्प्लेक्स बनाए जा सकते हैं। स्थानीय जरूरतों के हिसाब से फैसले लें।
    स्थानीय निकायों और प्राइवेट बिल्डर्स के पास से आए प्रस्ताव पर फैसला लिया गया है कि मल्टीस्टोरीज बिल्डिंगों में श्रमिकों को कुछ जगह दी जाए। श्रमिकों को जगह देने पर सरकार इस फ्लोर एरिया के रेशियो, जीएसटी और अन्य चीजों में बिल्डर को राहत देगी। सरकारी बिल्डिंगों में भी श्रमिकों के लिए डोरमेट्री और दुकानें उपलब्ध कराई जाएंगी। इन दुकानों में पानी, बिजली और सीवर की सुविधा होगी।
     
    तीन वर्षों तक नई एमएसएमई यूनिट संचालित करने को अनुमति की जरूरत नहीं : महाना
    औद्योगिक विकास मंत्री सतीश महाना के मुताबिक प्रदेश में अगले तीन वर्षों तक सूक्ष्म लघु एवं मध्यम (एमएसएमई) यूनिट को संचालित करने के लिए किसी भी प्रकार की विशेष अनुमति की आवश्यकता नहीं पड़ेगी। सिर्फ उस एमएसएमई यूनिट को औद्योगिक विभाग को लिखित सूचना देनी होगी। वहीं ओडीओपी के तहत ऋण सुविधा के लिए ऑनलाइन प्लेटफार्म का शुभारम्भ किया गया है। इस प्लेटफार्म के माध्यम से ओडीओपी कारीगर एवं इकाइयां घर बैठे 59 मिनट में लोन स्वीकृत करा सकेंगे। उद्योगपतियों ने सरकार के इस तरह के कदमों की सराहना करते हुए कहा कि यह उत्तर प्रदेश में व्यापार करने की सुगमता को और सुदृढ़ करेगा।
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