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    Home»Jharkhand Top News»हेमंत ने केंद्रीय कोयला मंत्री को लिखी चिट्ठी
    Jharkhand Top News

    हेमंत ने केंद्रीय कोयला मंत्री को लिखी चिट्ठी

    sonu kumarBy sonu kumarJune 14, 2020Updated:June 14, 2020No Comments3 Mins Read
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    झारखंड सरकार ने कोयला क्षेत्र में कमर्शियल माइनिंग शुरू करने के केंद्र सरकार के फैसले का समर्थन किया है और राज्य हित में इसकी नीलामी पर छह से नौ माह तक रोक लगाने का आग्रह किया है। इसके लिए कई तर्क भी दिये गये हैं। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने केंद्रीय कोयला मंत्री प्रह्लाद जोशी को इस संबंध में एक पत्र भेजा है।

    पत्र में कहा गया है कि भारत सरकार द्वारा देश के कोयला क्षेत्र को कमर्शियल माइनिंग के लिए खोलने का फैसला सही मायनों में ऐतिहासिक और साहसिक कदम है। झारखंड जैसे प्रचुर खनिज संपदा वाले राज्य के लिए यह फैसला बेहद महत्वपूर्ण है। बेहद आकर्षक नीतियों के बावजूद हम अपनी खनिज संपदा के लिए पर्याप्त निवेश को आकर्षित नहीं कर पा रहे हैं। वर्ष 2000 में अलग राज्य बनने के बाद से ही हमारे राज्य के लोग ऐसे औद्योगिक विकास की आकांक्षा रखते आये हैं, जिससे समावेशी विकास और सभी के लिए समृद्धि सुनिश्चित हो। तत्कालीन एनडीए सरकार ने झारखंड अलग राज्य का निर्माण हमारे जनजातीय समुदाय के वंचित वर्ग के कल्याण और उनकी प्रगति के एकमात्र उद्देश्य के लिए किया था।
    पत्र में कहा गया है कि केंद्र सरकार के फैसले के अनुसार कोयला और लौह अयस्क ऐसे दो महत्वपूर्ण खनिज हैं, जो प्रतिस्पर्द्धी नीलामी के लिए सामने आयेंगे। ये दोनों खनिज उन जिलों में पाये जाते हैं, जहां पर्याप्त मात्रा में जंगल हैं और यहां अनुसूचित जनजाति और पिछड़ा वर्ग समुदायों की आबादी आनुपातिक रूप से अधिक है।
    पत्र में सीएम ने लिखा है कि यदि नयी नीति वैज्ञानिक तरीके से नवीनतम तकनीकी उपकरणों का इस्तेमाल कर खनन करने के लिए चर्चित सर्वश्रेष्ठ विदेशी और घरेलू निवेशकों को आकर्षित करे, तो यह राज्य के लोगों के व्यापक हित में होगा। इसके अलावा खनन गतिविधियों का हमारी वन संपदा पर न्यूनतम विपरीत असर पड़े, यह भी बेहद महत्वपूर्ण है। यह सुनिश्चित करना भी हमारी जिम्मेदारी है कि ऐसी वाणिज्यिक गतिविधियों से उत्पन्न धन का हिस्सा हमारे समाज के सर्वाधिक वंचित वर्ग तक पहुंचे।

    पत्र में कहा गया है कि झारखंड सरकार नीलामी प्रक्रिया में प्रस्तावित प्रतिस्पर्द्धा और समान अवसर दिये जाने के खिलाफ नहीं है। हालांकि कोविड-19 महामारी और राष्ट्रीय/ अंतरराष्ट्रीय यात्रा प्रतिबंधों के कारण बहुत से देशी/ विदेशी निवेशक प्रस्तावित नीलामी प्रक्रिया में शामिल होने से वंचित हो सकते हैं। यह भी उल्लेखनीय है कि वर्तमान आर्थिक मंदी के परिदृश्य में बहुत से घरेलू उद्यम वित्तीय संकट का सामना कर रहे हैं।

    सीएम ने लिखा है, इसके अलावा हम वर्तमान सामाजिक और पर्यावरणीय परंपरा के अनुकूल समावेशी खनिज विकास सुनिश्चित करना चाहते हैं। इस मोर्चे पर एक सर्वमान्य नीति तैयार करने के लिए हमें विभिन्न हितधारकों के साथ और अधिक विचार मंथन की आवश्यक है, ताकि सामाजिक आकांक्षाओं, पर्यावरण संरक्षण और आर्थिक विकास के बीच संतुलन पैदा हो सके।

    पत्र में कहा गया है कि झारखंड सरकार अपनी खनिज संपदा की नीलामी प्रक्रिया को सफलतापूर्वक संचालित करने के लिए भारत सरकार के साथ कंधे से कंधा मिला कर चलने की इच्छा रखती है, लेकिन वह यह भी चाहती है कि पूरी नीलामी प्रक्रिया राज्य और आर्थिक वातावरण के सुधरने के बाद संचालित हो, ताकि इसमें निवेशकों की अच्छी भागीदारी हो सके।

    हेमंत ने लिखा है कि उपरोक्त बिंदुओं के आलोक में हम आपसे अनुरोध करते हैं कि प्रस्तावित नीलामी प्रक्रिया पर छह से नौ महीने तक की रोक लगायी जाये, ताकि प्रतिस्पर्द्धी नीलामी प्रक्रिया सुनिश्चित हो, जिससे झारखंड राज्य में समावेशी खनिज विकास सुनिश्चित हो सके।

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    sonu kumar

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