नई दिल्ली। दिल्ली हाई कोर्ट ने दिल्ली सरकार समेत शहर की सभी सिविक अथॉरिटीज से पूछा है कि उन्होंने भूकंप जैसी स्थिति से निपटने के लिए क्या योजना बनाई है और उसे कैसे लागू करेंगे। जस्टिस विपिन सांघी और जस्टिस रजनीश भटनागर की बेंच ने वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये हुई सुनवाई के बाद एक हफ्ते के अंदर जवाब देने का निर्देश दिया।
कोर्ट ने दिल्ली सरकार के सचिव, सभी निगमों के आयुक्त, दिल्ली कैंटोंमेंट बोर्ड और डीडीए के वाईस चेयरमैन को नोटिस जारी करते हुए उन्हें निर्देश दिया कि वे अपने एक्शन प्लान और सावधानियों के बारे में लोगों को जागरुक करें। यह अर्जी 2015 में दायर एक लंबित जनहित याचिका को लेकर दायर की गई थी। याचिका में मांग की गई है कि दिल्ली में भविष्य में अगर कोई बड़ा भूकंप होता है तो वे क्या कदम उठाएंगे।
याचिका में कहा गया है कि पिछले 12 अप्रैल से दिल्ली में कई बार भूकंप आ चुके हैं। विशेषज्ञों का अनुमान है कि दिल्ली में कोई बड़ा भूकंप कभी भी आ सकता है। आईआईटी और दिल्ली की अथॉरिटीज के कई विशेषज्ञों ने मीडिया में कहा है कि बिल्डर और आर्किटेक्ट ने सांठगांठ कर भूकंप के खतरों को अनदेखा किया है। वे बिल्डिंग कोड और दूसरे सुरक्षा प्रावधानों को भी बदल देते हैं । याचिका में कोर्ट से इस मामले में दखल देने की मांग की गई है। याचिका में कहा गया है कि कोरोना से उतनी मौत नहीं होगी जितनी बड़े भूकंप आने में होगी। दिल्ली में सत्रह हजार अनाधिकृत कालोनियां हैं जिसमें करीब 50 लाख लोग रहते हैं।
याचिका में 26 अगस्त, 2015 को कोर्ट के उस आदेश का उल्लेख किया गया है जिसमें कहा गया है कि भूकंप के संभावित क्षेत्र में स्थिति दिल्ली के दस से 15 फीसदी भवन ही बिल्डिंग कोड का पालन करते हैं।