नई दिल्ली। भारत की स्थिति कोविड-19 की लड़ाई में कई देशों से बेहतर है। रिकवरी दर भी बढ़ रही है, फिर भी दो गज की दूरी अभी जरूरी है। शनिवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए डा. जोसेफ मार थोमा मेट्रोपालिटन की 90वीं जयंती समारोह पर बोलते हुए यह बातें कहीं। इस कार्यक्रम में भारत और विदेश से मार थोमा चर्च के कई अनुयायियों ने भाग लिया।
प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में देश में कोरोना के हालात और सरकार की ओर से दी जा रही मदद का जिक्र भी किया। उन्होंने कहा कि भारत सरकार विश्वास, लिंग, जाति, पंथ या भाषा के बीच भेदभाव नहीं करती है। प्रधानमंत्री ने कहा कि गरीबों की मदद करने के लिए एक राष्ट्र-एक राशन कार्ड योजना लाई जा रही है। मध्यम वर्ग के लिए ईज़ ऑफ लिविंग को बढ़ावा देने के लिए कई पहल की हैं। किसानों के लिए एमएसपी में वृद्धि की है और सुनिश्चित किया है कि उन्हें सही मूल्य मिले। भारत के पास दुनिया की सबसे बड़ी स्वास्थ्य सेवा योजना आयुष्मान भारत है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि इस साल की शुरुआत में कुछ लोगों ने भविष्यवाणी की थी कि भारत में वायरस का प्रभाव बहुत गंभीर होगा। इसके बावजूद लॉकडाउन, सरकार द्वारा की गई कई पहल और लोगों द्वारा संचालित लड़ाई के कारण भारत कई अन्य देशों की तुलना में बेहतर है। भारत की रिकवरी दर बढ़ रही है।
प्रधानमंत्री ने कहा है कि एक लड़ाई के लिए प्रेरित लोगों ने अब तक अच्छे परिणाम दिए हैं, लेकिन क्या सावधानियों को कम कर सकते हैं? हर्गिज नहीं। अब और भी सावधान रहना होगा। मास्क पहनना, सामाजिक दूरी, दो गज की दूरी, भीड़ भरे स्थानों से बचना महत्वपूर्ण हैं। उन्होंने कहा कि 8 करोड़ से अधिक परिवारों के पास धुंआ रहित रसोई है। बेघरों को आश्रय देने के लिए डेढ़ करोड़ से अधिक घर बनाए गए हैं। उन्होंने कहा कि डॉ. जोसेफ मार थोमा ने हमारे समाज और देश की भलाई के लिए अपना जीवन समर्पित किया है। यह विनम्रता की भावना के साथ है कि मार थोमा चर्च ने हमारे साथी भारतीयों के जीवन में एक सकारात्मक अंतर लाने के लिए काम किया है। उन्होंने स्वास्थ्य सेवा और शिक्षा जैसे क्षेत्रों में महत्वपूर्ण योगदान दिया है।
उल्लेखनीय है कि जोसेफ मार थोमा का जन्म 27 जून, 1931 को हुआ था। वे 21वें मारथोमा मेट्रोपालिटन और मार थोमा सीरियन चर्च के वर्तमान रहनुमा हैं, जिन्हें द मलनकारा मार थोमा सुरमनी सभा भी कहा जाता है। इस चर्च का मुख्यालय केरल में है। जोसेफ मार थोमा पर्यावरण की रक्षा करने की वकालत करते रहे हैं।