प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इंडियन चैंबर ऑफ कॉमर्स (आईसीसी) के सत्र को संबोधित कर रहे हैं. पीएम ने कहा कि 95 वर्ष से निरंतर देश की सेवा करना, किसी भी संस्था या संगठन के लिए अपने आप में बहुत बड़ी बात होती है. आईसीसी ने पूर्वी भारत और उत्तर पूर्व के विकास में जो योगदान दिया है, विशेषकर वहां की मैन्यूफैक्चरिंग यूनिट्स को, वो भी ऐतिहासक है.

पीएम मोदी ने कहा कि आईसीसी ने 1925 में अपने गठन के बाद से आज़ादी की लड़ाई को देखा है, भीषण अकाल और अन्न संकटों को देखा है और भारत की विकास पथ का भी आप हिस्सा रहे हैं. अब इस बार की ये एजीएम एक ऐसे समय में हो रही है, जब हमारा देश मल्टीपल चैलेंजेस को चैलेंज कर रहा है.

कोरोना वायरस का जिक्र करते हुए पीएम ने कहा कि कोरोना वायरस से पूरी दुनिया लड़ रही है, भारत भी लड़ रहा है लेकिन अन्य तरह के संकट भी निरंतर खड़े हो रहे हैं.
कहीं बाढ़ की चुनौती, कहीं लॉकस्ट, ‘पोंगोपाल’ का कहर, कहीं ओलावृष्टि, कहीं असाम ऑयल फिल्ड में आग, कहीं छोटे-छोटे भूकंप..

पीएम बोले कि कभी-कभी समय भी हमें परखता है, हमारी परीक्षा लेता है. कई बार अनेक कठिनाइयां, अनेक कसौटियां एक साथ आती हैं. लेकिन हमने ये भी अनुभव किया है कि इस तरह की कसौटी में हमारा कृतित्व, उज्ज्वल भविष्य की गारंटी भी लेकर आता है.

हमारे यहां कहा जाता है- मन के हारे हार, मन के जीते जीत, यानि हमारी संकल्पशक्ति, हमारी इच्छाशक्ति ही हमारा आगे का मार्ग तय करती है. जो पहले ही हार मान लेता है उसके सामने नए अवसर कम ही आते हैं. ये हमारी एकजुटता, ये एक साथ मिलकर बड़ी से बड़ी आपदा का सामना करना, ये हमारी संकल्पशक्ति, ये हमारी इच्छाशक्ति, हमारी बहुत बड़ी ताकत है, एक राष्ट्र के रूप में हमारी बहुत बड़ी ताकत है. मुसीबत की दवाई मजबूती है.

यही भावना मैं आज आपके चेहरे पर देख सकता हूं, करोड़ों देशवासियों के प्रयासों में देख सकता हूं. कोरोना का संकट पूरी दुनिया में बना हुआ है। पूरी दुनिया इससे लड़ रही है। कॉरोना वॉरियर्स के साथ हमारा देश इससे लड़ रहा है. लेकिन इन सबके बीच हर देशवासी अब इस संकल्प से भी भरा हुआ है कि इस आपदा को अवसर में परिवर्तित करना है, इसे हमें देश का बहुत बड़ा टर्निंग प्वाइंट भी बनाना है.

एक दिन पहले पीएम मोदी ने केदारनाथ धाम विकास और पुनर्निर्माण परियोजना की वीडियो कॉन्‍फ्रेंसिंग के जरिए उत्‍तराखंड सरकार के साथ समीक्षा की थी. इस तीर्थस्‍थल के पुनर्निर्माण की अपनी परिकल्‍पना के बारे में प्रधानमंत्री ने कहा कि राज्‍य सरकार को केदारनाथ और बद्रीनाथ जैसे पवित्र स्‍थलों के लिए विकास परियोजनाओं की संकल्‍पना के साथ उसका डिजाइन इस प्रकार तैयार करना चाहिए जो समय की कसौटी पर खरा उतरे.

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