आजाद सिपाही संवाददाता
रांची। झारखंड में पिछले पांच साल के दौरान जितने भी बड़े निर्माण हुए या हो रहे हैं, उन सभी पर रामकृपाल कंस्ट्रक्शन की मुहर लगी है। सरकारी निर्माण में इस कंपनी का लगभग एकाधिकार रहा है। चाहे विधानसभा का नया भवन हो या हाइकोर्ट का नया परिसर, नये सचिवालय का ठेका हो या दूसरे निर्माण, हर काम रामकृपाल कंस्ट्रक्शन को ही मिला। रंजन सिंह की स्वामित्व वाली इस कंपनी को राज्य के कई नेताओं और अधिकारियों का वरदहस्त हासिल है। झारखंड की पूर्व मुख्य सचिव को पहले से ही इस कंपनी से जोड़ कर देखा जाता था। एनआइए को कंपनी के एक प्रमोटर के परिवार में हुई एक शादी का वीडियो हाथ लगा है, जिसमें झारखंड के कई आइएएस अधिकारी शामिल हैं। इस वीडियो में टेरर फंडिंग मामले से जुड़े कुछ लोग भी दिखे हैं। इसके बाद ही एनआइए की टीम ने कार्रवाई की है। अभी तक यह पता नहीं चला है कि कंपनी के कार्यालय में छापामारी के दौरान टीम को क्या-क्या मिला।

विधानसभा भवन का निर्माण किया
इस कंपनी ने झारखंड विधानसभा के नये भवन का निर्माण किया है। इसके निर्माण में काम आवंटित होने से लेकर हर स्तर पर अनियमितता के आरोप लगे हैं। रामकृपाल कंस्ट्रक्शन ने यह काम हासिल करने के लिए कई तरह के हथकंडे अपनाये। यहां तक कि बिना किसी मुनाफे के इसने यह काम करने का करार कर लिया। हैंडओवर होने से पहले ही नये भवन के एक हिस्से में आग लग गयी, जिसमें साजिश के आरोप लगाये गये।

वर्तमान सीएम हेमंत सोरेन के अलावा निर्दलीय विधायक सरयू राय भी विधानसभा भवन के निर्माण में गड़बड़ी का आरोप लगा चुके हैं। सरयू राय ने तो इस निर्माण की सीबीआइ जांच की मांग तक की है। विधानसभा के साउंड सिस्टम को लेकर कई विधायकों ने शिकायत दर्ज करायी है। इस कंपनी के जिम्मे हाइकोर्ट के नये परिसर का निर्माण भी है। इसकी लागत पहले तीन सौ करोड़ रुपये तय की गयी थी, लेकिन अब यह बढ़ कर लगभग दोगुनी हो गयी है। झारखंड के अलावा बिहार, छत्तीसगढ़, ओड़िशा और बंगाल के कई इलाकों में कंपनी का काम चल रहा है।

मधु कोड़ा के शासनकाल में चर्चा में आयी कंपनी
रामकृपाल कंस्ट्रक्शन की चर्चा पहली बार मधु कोड़ा के शासन काल में हुई। उस समय भी इस कंपनी को झारखंड में कई बड़े काम आवंटित किये गये। 2014 में रघुवर दास के मुख्यमंत्री बनने के बाद इस कंपनी ने खूब प्रगति की।

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