चीन के साथ बढ़ते सीमा विवाद के बीच भारत ने रूस से 30 से अधिक लड़ाकू विमान खरीदने के योजना बनाई है. रूस भी जल्द से जल्द इन विमानों की आपूर्ति के लिए तैयार हो गया है. इसमें 12 सुखाई (Sukhoi Su-30MKIs) और 21 मिग (MiG-29s) विमान शामिल हैं. इन विमानों के भारतीय बेड़े में शामिल हो जाने के बाद वायुसेना (IAF) की ताकत और बढ़ जाएगी
रूस नए विमानों की जल्द आपूर्ति के लिए तैयार हो गया है. वह पहले से ही मिग -29 के आधुनिकीकरण कार्यक्रम में भारतीय वायुसेना की मदद कर रहा है. IAF को 1985 में अपना पहला मिग -29 मिला था और आधुनिकीकरण के बाद मिग -29 की लड़ाकू क्षमता में बढ़ोतरी हो जाएगी. आधुनिकीकरण के बाद मिग-29 एक तरह से चौथी पीढ़ी के लड़ाकू विमानों में शुमार हो जाएगा. यह रूस के साथ-साथ विदेशी हथियारों को ले जाने में सक्षम होगा. बेहद तेज गति के बीच भी यह एरियल टारगेट को ट्रैक कर पाएगा. इतना ही नहीं विमान heat-contrasting air objects को ट्रैक करके उन पर छिपकर हमला करने में भी सक्षम होगा, वो भी रडार के इस्तेमाल के बिना. आधुनिक सामग्री और तकनीक के चलते मिग-29 का जीवनकाल भी बढ़ जाएगा.
सुखोई की बात करें तो वायुसेना ने जनवरी 2020 में सुपरसोनिक ब्रह्मोस-ए क्रूज मिसाइल से लैस Su-30MKI के अपने पहले स्क्वाड्रन को तंजावुर वायु सेना स्टेशन पर तैनात किया है. सुखोई जेट के महत्व का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि यह भारतीय वायुसेना का एकमात्र लड़ाकू विमान है जो ब्रह्मोस सुपरसोनिक मिसाइलों को लॉन्च करने में सक्षम है.