जोधपुर : कोरोना का फैलाव रोकने के लिए देशभर में लागू किए गए लॉक डाउन के कारण मारवाड़ के बाजार में आया ठहराव गति नहीं पकड़ पा रहा है। बाजार में ग्राहकी और फैक्ट्रियों में श्रमिकों के गायब होने के कारण रौनक नदारद है। शहर के प्रमुख बाजारों में कई बड़े शो रूम मालिक न तो किराया भरने की स्थिति में है और न ही अपने कामगारों के वेतन देने में। जबकि शहर की फैक्ट्रियों के पास पर्याप्त ऑर्डर है, लेकिन श्रमिकों के अभाव में वे इन्हें पूरा कर पाने में स्वयं को असमर्थ पा रहे हैं। पूरे मारवाड़ में ही अब श्रमिकों की कमी पड़ी है। जो रोजाना लाखों का ऑर्डर लेते थे वे आज भी खाली बैठे है। रोजी रोटी के भीषण संकट में अब वे सरकारों से आस लगाए बैठे है ताकि कोई मदद मिल सके।
बाजार खुले लेकिन ग्राहक नदारद
अनलॉक होते ही कहने को शहर के सारे बाजार खुल गए, लेकिन ग्राहकों के कदम इन बाजारों में सिर्फ अति आवश्यक रोजमर्रा के काम की वस्तुओं को खरीदने तक सीमित हो गए है। लोग बहुत ही सतर्क होकर अपना पैसा खर्च कर रहे है। ऐसे में कई शो रूम के मालिक ग्राहकी को तरस रहे है। शहर के प्रमुख बाजार के रूप में प्रसिद्ध नई सडक़ सरदारपुरा बी व सी रोड पर कुछ दुकानें बंद हो चुकी है। वहीं कुछ बंद होने के कगार पर है। इनके मालिकों का कहना है कि ग्राहकी बिलकुल भी नही ंहै। ऐसे में कितने दिन तक बैठे रहेंगे। भारी भरकम किराया व कर्मचारियों को वेतन देना उनके लिए संभव नहीं हो पा रहा है। नई सडक़ व्यापार मंडल के अध्यक्ष नवीन सोनी का कहना है कि वास्तव में हालात विकट है। राज्य व केन्द्र सरकार को मिलकर दुकानदारों की मदद करने को पहल करनी चाहिये। अन्यथा कई दुकानें बंद हो जाएगी।
ऑर्डर है, लेकिन पूरा कैसे करे:
पश्चिमी राजस्थान की फैक्ट्रियों की स्थिति दुकानदारों के एकदम उलट है। हैंडीक्राफ्ट व कपड़ों की प्रोसेसिंग व रंगाई-छपाई क्षेत्र में सर्वाधिक रोजगार देने वाले उद्योग है। अधिकांश श्रमिक यहां से पलायन कर गए। ऐसे में इन फैक्ट्रियों का संचालन करने में ही दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। जोधपुर टेक्सटाइल एंड हैंड प्रोसेस एसोसिएशन के अध्यक्ष अशोक बाहेती का कहना है कि 400 से अधिक टैक्सटाइल फैक्ट्रियों में श्रमिकों की कमी का सामना करना पड़ रहा है। जोधपुर में रोजाना 5 से 6 लाख मीटर कपड़ा प्रोसेस होता था। अब यहां रोजाना एक लाख मीटर का काम भी नहीं हो पा रहा है। अधिकांश श्रमिक उत्तर प्रदेश व बिहार के है। अब हालात ऐसे है कि पांच की जगह दो श्रमिकों से ही काम चलाना पड़ता है। इस कारण उत्पादकता प्रभावित हुई है और ऑर्डर समय पर पूरे करना मुश्किल होता जा रहा है। करीब एक लाख लोगों को रोजगार उपलब्ध करवाने वाले हैंडीक्राफ्ट उद्योग में भी संकट का दौर चल रहा है। पहले तो दो माह काम ठप रहा। अब शुरू हुआ तो लेबर नहीं है। विदेशों से पर्याप्त संख्या में ऑर्डर पड़े है, लेकिन उत्पाद तैयार करवा कर भेजना संभव नहीं हो पा रहा है।