रांची। कोरोना महामारी की रोकथाम को लेकर कोर्ट के स्वत: संज्ञान से दर्ज जनहित याचिका की सुनवाई झारखंड हाइकोर्ट में हुई। हाइकोर्ट ने राज्य सरकार से पूछा है कि झारखंड के ग्रामीण इलाकों में कोरोना जांच और इलाज के लिए क्या व्यवस्था की गयी है। प्रवासी मजदूर लाखों की संख्या में झारखंड लौट रहे हैं, वे अपने गांवों में पहुंच रहे हैं। ऐसे में इतने लोगों की कोरोना जांच कैसे होगी? कोरोना के बढ़ते रफ्तार को देखते हुए भविष्य में कोरोना संक्रमण बढ़ेगा तो इसकी रोकथाम को लेकर राज्य सरकार की क्या प्लान है? कोरोना संक्रमण के लिए पूल सैंपल लेने की दिशा में क्या कार्रवाई की जा रही है। कोर्ट ने इसपर सरकार को विस्तृत जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है। अगली सुनवाई तीन जुलाई को होगी। मामले की सुनवाई हाइकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डॉ रवि रंजन की अध्यक्षता वाली खंडपीठ में हुई। महाधिवक्ता राजीव रंजन ने कोर्ट को बताया कि राज्य के 24 जिलों में 30 ट्रूनेट मशीन लगायी गयी है। इससे कोरोना संक्रमण की जांच में तेजी आयी है। राज्य के हर जिला में सदर अस्पताल को कोविड 19 अस्पताल के रूप में तब्दील कर दिया गया है। राज्य में 85 हजार सैंपल लिये गये हैं, इनमें से 75 हजार की रिपोर्ट आ गयी है। जिसमें से 793 कोरोना पोजिटीव पाये गये, इसमें से 321 ठीक हो चुके हैं।
जितने लोगों की सैंपल लिये जा रहे हैं, उनमें से दो प्रतिशत से कम लोगों में कोरोना संक्रमण पॉजिटिव मिला है। यह देश के अन्य राज्यों की तुलना में यह दर काफी कम है। हिंदपीढ़ी में चरणबद्ध तरीके से कंटेनमेंट जोन को हटाया गया है। मई के पहले सप्ताह और ईद के पहले हिंदपीढ़ी में दो बार हेल्थ सर्वे हुआ, 38 हजार लोगों को हेल्थ सर्वे किया गया। हिंदपीढ़ी के जिन इलाकों में 28 दिनों में कोरोना के नये मामले नहीं आये वहां कंटेनमेंट जोन को हटाया गया है। केंद्र सरकार के अधिवक्ता राजीव सिन्हा ने कोर्ट को बताया कि केंद्र सरकार की नयी गाइडलाइन के तहत भविष्य में कोरोना संक्रमण के बढ़ने को देखते हुए ग्रामीण इलाकों में अस्पतालों को अपडेट किया जाना है। ताकि कोरोना संक्रमण की जांच और इलाज गांवों में हो सके। कोरोना महामारी को देखते हुए क्लस्टर वाइज सैंपल जमा करना है। इसमें 25 लोगों का सैंपल लेकर जांच की जाती है, इनमें से एक भी व्यक्ति का सैंपल पॉजिटिव आता है तो सभी 25 लोगों की फिर से कोरोना जांच की जायेगी।