कानपुर देहात जनपद के झींझक कस्बे से करीब 18 किलोमीटर दूर नदी के किनारे बसा गांव है परौख। आज से चार वर्ष पूर्व देश विदेश के मीडियाकर्मी इस गांव को पूछते हुए पहुंचे थे। तब  एनडीए की ओर से  बिहार के तत्कालीन राज्यपाल रामनाथ कोविंद को राष्ट्रपति का उम्मीदवार घोषित किया गया था। तब  हिन्दुस्थान समाचार भी सबसे पहले पहुंचने वालों की कतार में था। इसी गांव की माटी में रामनाथ कोविंद का जन्म हुआ था। चार साल बाद एक बार ​फिर मीडिया कर्मियों का कैमरा चमकने लगा और इस बार खुद राष्ट्रपति आज अपनी माटी का आर्शीवाद लेने आने वाले हैं। ऐसे में गांव की सजावट के लिए प्रशासन की ओर से कोई कोर कसर नहीं छोड़ी गई। देश के गुलाब, गेंदा आदि फूलों के साथ थाइलैंड से आरकेट फूल के पैकेट मंगाए गये हैं,जो परौंख में चमक बिखेर रहे हैं।
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद पत्नी सविता कोविंद के साथ शुक्रवार को दिल्ली के सफदरगंज स्टेशन से चलकर प्रेसीडेंशियल महाराजा ​ट्रेन से कानपुर नगर के सेंट्रल स्टेशन पर उतरे। कानपुर रेलवे के इतिहास में पहली बार हुआ कि राष्ट्रपति ने कानपुर की यात्रा ट्रेन से की हो। वे दूसरे दिन शनिवार को वहीं के सर्किट हाउस में अपने दोस्तों, परिचितों, शिक्षाविदों, उद्योगपतियों के साथ चुनिंदा राजनेताओं से भी मिले। आज रविवार को करीब नौ बजे उनका कार्यक्रम कानपुर देहात के झींझक कस्बे के पास पैतृक गांव परौख में है। ऐसे में चार साल से ग्रामीणों की जो तमन्ना थी, वह आज पूरी हो जाएगी।
खुशी में पूरे गांव में उत्सव जैसा माहौल है। देश के प्रथम नागरिक के आने पर प्रशासन की तैयारियों में कोई कमी नहीं छोड़ी गई है। गांव में सुरक्षा के कड़े बंदोबस्त किये गये हैं। स्थानीय पुलिस के साथ अर्धसैनिक बल मुस्तैदी से तैनात हैं, हालांकि उनके चाहने वाले खुद से वह सब प्रयास कर रहे हैं जिससे उनके ‘बाबा’ यानी राष्ट्रपति को ठेस न पहुंचे। गांव का प्रत्येक व्यक्ति प्रशासन के दिशा निर्देशों का पालन कर रहा है और अपने बाबा के इंतजार में पलकें बिछाए हुए है। लगभग सारी प्रशासनिक व्यवस्थाएं काबिले तारीफ हैं। खासकर सजावट में इतने फूलों का प्रयोग किया गया है, कि शायद इस गांव के एक दशक तक के सभी उत्सवों को शामिल कर दिया जाए तो भी उनसे अधिक फूल यहां पर अपनी सुगंध छोड़ रहे हैं।
थाईलैंड का फूल ‘आरकेट’ बिखेर रहा चमक
परौंख में राष्ट्रपति का सभा स्थल, विद्यालय, आंगनबाड़ी, अंबेडकर प्रतिमा, पथरी देवी मंदिर, शिव मंदिर, मिलन केन्द्र को सजाने वाले प्रवीण सैनी ने बताया कि कुल लगभग 40 क्विंटल से अधिक फूल लगें है। सभा स्थल के स्टेज में सिर्फ आरकेट 100 बंडल, कार्नेसर 100 बंडल, घोड़ा पाती 100 बंडल, जरवरा 200 बंडल, गेंदा पांच क्विंटल, एक क्विंटल गुलाब का फूल लगा है। इसके अलावा अन्य जगहों पर जहां-जहां पर राष्ट्रपति को जाना है, उन सभी जगहों पर फूल बिछाये जाएंगे। उनके स्वागत के लिए मालाएं भी बनाई गईं हैं। बताया कि इनमें सबसे महंगा आरकेट फूल है, जो थाइलैंड का है। इस एक फूल की कीमत करीब 80 रुपये पड़ती है और यह फूल दिल्ली के बाजार में थाईलैंड से मंगाया जाता है। इसके बाद देश के अलग-अलग प्रमुख शहरों में भेजा जाता है। बताया कि यह फूल काफी महंगा होता है इसलिए साधारण उत्सवों में इसका प्रयोग नहीं किया जाता। हां अगर बाजार की दृष्टि से देखा जाये तो शादी-विवाह में वरमाला में यह फूल प्रयोग में आता है। आरकेट फूल देखने में काफी सुंदर लगता है। यह  लाल एवं बीच में सफेद होता है, जो लोगों को अपनी ओर आकर्षित करता है। फूलों में केमिकल डाला गया है, जिससे सूखे नहीं।
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